पहले पैरेंट्स सुधरें, बच्चे तो सुधर ही जाएंगे
बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम देने पर डिस्कशन में सभी ने जताई सहमति
allahabad@inext.co.inALLAHABAD: बीते दिनों में स्कूलों में स्टूडेंट्स की ओर से उठाए गए कदम लोगों को हैरान करने वाले थे। लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल में छात्रा द्वारा छुट्टी के लिए जूनियर पर चाकू से हमले का मामला हो या फिर यमुनानगर के स्कूल में स्टूडेंट्स द्वारा प्रिंसिपल को गोली मारने की घटना, दोनों ही बच्चों की मानसिक स्थिति और उनकी समझ को लेकर हर किसी की चिंता बढ़ाने वाले हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से बच्चों की समस्याओं और निदान को लेकर पैरेंट्स और टीचर्स के बीच कराए गए डिस्कशन के बीच कई बातें सामने आई। इसमें जुटे एक्सपर्ट्स ने मौजूदा स्थिति को बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक बताया।
इंट्रैक्शन न होना है बड़ा कारण
टीचर्स और पैरेंट्स के बीच ग्रुप डिस्कशन के दौरान सभी ने माना कि मौजूदा स्थिति में ज्यादातर घरों में बच्चों और पैरेंट्स के बीच इंट्रैक्शन काफी कम है। यही बच्चों की बदलती मानसिकता का मूल कारण है। पैरेंट्स ने भी कहा कि कई बार काम की अधिकता के कारण बच्चों को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं। इससे बच्चे खुद को अकेला महसूस करते हैं। कुछ पैरेंट्स अत्यधिक प्यार जताने के चक्कर में बच्चों का काम स्वयं कर देते हैं, ये भी खतरनाक है, क्योंकि इससे बच्चों की फिजिकल वर्क करने की क्षमता कम होती है। ऐसे बच्चों पर जब वर्क प्रेसर पड़ता है तो वे उससे बचने का प्रयास करने लगते हैं। जब सफल नहीं होते तो इरिटेट होते हैं और इरिटेशन में ऐसा कदम उठा लेते हैं जिसके सामने आने के बाद सभी भौचक रह जाते हैं।
बच्चों की डिमांड तुरंत पूरी करने से हम सभी पैरेंट्स को बचना चाहिए। इससे बच्चों को ना सुनने की आदत पड़ेगी और वे उस पर गलत तरीके से रिएक्ट करने से बचेंगे।
अंजली गौड़पैरेंट्स को बच्चों के साथ इंट्रैक्शन बढ़ाने की जरूरत है। इससे वे बच्चों की मानसिकता समझ सकेंगे.मैं बेटी के साथ क्वालिटी टाइम नियमित रूप से देती हूं।जया सिंहआज के समय में पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों के साथ दोस्त की तरह बिहैव करें। इससे बच्चे अपने दिल की बात आसानी से पैरेंट्स के साथ शेयर कर सकेंगे।तुहिना दासबच्चों के साथ बातचीत में उनकी समस्या जरूर जानें, जिससे उसे दूर करने में आसानी हो और समय रहते उनकी मदद की जा सके।श्रेया मुखर्जीबच्चों की सभी डिमांड एक बार में पूरी करना भी गलत है। ऐसा होने से बच्चों के अंदर किसी भी बात में ना सुनने की आदत खत्म हो जाती है। ऐसे में जब भी उन्हें अपनी जरूरत पूरी करने की इच्छा होती है तो वह कुछ भी करने को मजबूर हो जाते हैं।ललिता तिवारीबच्चों के अंदर सभी से समान व्यवहार करने की आदत को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों के अंदर सामाजिकता और नैतिक मूल्यों की समझ आती है।प्रीति तिवारीबच्चों को गैजेट्स की दुनियां से बाहर निकालने का प्रयास करें। आज कल तो बच्चे सिर्फ गैजेंट्स में उलझे रहते हैं।
बबिता सिंहअक्सर देखा जाता है कि बच्चे स्कूल और घर में उलझकर रह जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उनकी समस्याओं को समझा जाए और उसे दूर करने की कोशिश की जाए।श्वेता ज्वॉय