कैसे हुई मौत, अब डॉक्टर को देना होगा जवाब
- प्रत्येक कोरोना वार्ड की सीनियर डाक्टर्स को सौंपी गई जिम्मेदारी, तय होगी जवाबदेही
- लाइन आफ टीटमेंट को बेहतर बनाने की कोशिश में लगा मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोरोना से होने वाली मौतों के सिलसिले को रोकने की कवायद एमएलएन मेडिकल कॉलेज ने शुरू कर दी है। रविवार को कॉलेज प्रशासन ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सभी सीनियर डॉक्टर्स को एक-एक कोरोना वार्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिससे उनकी जवाबदेही तय होगी और वार्ड में होने वाली मौतों का कारण भी उनको बताना पड़ सकता है। कॉलेज प्रशासन अपनी ऑक्सीजन आपूíत व्यवस्था को भी बेहतर बनाने में जुट गया है। 11 वार्ड में भर्ती है मरीजएसआरएन अस्पताल में इस समय 11 वार्ड में कोरोना मरीजों को भर्ती किया गया है। अभी तक इन वार्डो की देखरेख ड्यूटी डॉक्टर के साथ नोडल कोविड को करना होता था। लेकिन बनाई गई नई व्यवस्था के तहत सभी 11 वार्ड में भर्ती मरीजों की जिम्मेदारी 11 अलग-अलग सीनियर डॉक्टर्स को दी गई है। उनको इन वार्डो में लाइन और ट्रीटमेंट, ऑक्सीजन की सप्लाई और दवा की उपलब्धता पर ध्यान देना होगा। अगर कोई मरीज सीरियस होता है तो इनको तत्काल एक्शन भी लेना पड़ेगा। इन वार्डो में इस समय लगभग 600 मरीजों को भर्ती कराया गया है।
रोजाना मंगवाए जा रहे दो टैंकर
हास्पिटल की ऑक्सीजन सप्लाई पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मरीजों को दिक्कत न हो इसके लिए रोजाना जमशेदपुर प्लांट से दो टैंकर लिक्विड ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है। इसके जरिए मरीजों को वार्ड में भरपूर ऑक्सीजन दी जा रही है। बताया जाता है कि हॉस्पिटल में लगे ऑक्सीजन प्लांट की कैपेसिटी 40 हजार लीटर की है। यह एसआरएन हॉस्पिटल की खपत के हिसाब से पर्याप्त बताई जाती है। प्लांट और टैंकर की आपूíत मिलाकर मरीजों को ऑक्सीजन मिल रही है। भिजवा दिए गए पोस्ट कोविड मरीज एआरएन में कोरोना मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए यहां से पोस्ट कोविड मरीजों को सीधे काल्विन हॉस्पिटल भेजा जा रहा है। यह वह मरीज हैं जो कोरोना से मुक्त हो चुके हैं लेकिन फेफड़े तक इंफेक्शन पहुंचने से इनका स्वास्थ्य स्थिर नहीं हुआ है। इन मरीजों को काल्विन में भेजकर वहां इलाज किया जा रहा है। जिससे खाली हुए बेड पर एसआरएन में कोरोना मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इस समय काल्विन में 52 पोस्ट कोविड मरीज भर्ती कराए गए हैं।स्टाफ के साथ बैठक कर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है, जो भी सीनियर डॉक्टर्स है उनको प्रत्येक को कोरोना वार्ड की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। जिससे मरीजों को स्पेशल केयर मिलने के साथ जिम्मेदारी तय की जा सके।
प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज