गंदे पानी की सप्लाई पर सदन गरम
प्रयागराज (ब्यूरो)। नगर निगम कार्यालय के हॉल में दोपहर करीब एक बजे से सदन की बैठक शुरू हुई।
कुल 87 पार्षदों में 56 ही जलकल विभाग द्वारा पेश किए गए बजट सत्र में हिस्सा लिए।
पानी जैसी मूल भूत सुविधा व समस्या को लेकर बुलाई गई सदन की बैठक से 31 पार्षद लापता रहे।
बजट पर चर्चा शुरू होते ही कई पार्षद मोहल्लों में गंदा पानी की आपूर्ति को लेकर शोर मचाना शुरू कर दिए।
जलकल विभाग पर पार्षदों पर शिकायत के बावजूद ध्यान नहीं दिए जाने जैसे कई तरह के गंभीर आरोप लगाए गए।
सदन में पार्षदों द्वारा उठाए गए सवाल पर अध्यक्षता द्वारा गंभीरता से गौर किया गया।
पार्षदों द्वारा बताई गई मोहल्ले की समस्या को गंभीरता से सुनने व तत्काल निस्तारण का निर्देश अध्यक्ष ने जलकल विभाग के अफसरों को दिया।
इसके बाद पार्षद शांत हुए और चेयर पर जाकर बैठ गए तो कार्रवाई आगे बढ़ी।
इस बीच सीवर लाइन बिछाने सीवर टैक्स चर्चा शुरू हुई तो फिर पार्षदों का पारा चढ़ गया।
बजट में वाटर के साथ सीवर टैक्स की बात आते ही ज्यादातर पार्षद हंगामा शुरू कर दिए।
अध्यक्ष का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पार्षदों ने कहा कि जब सीवर की सफाई होती नहीं, कहने के बावजूद कनेक्शन देने में पब्लिक को परेशान किया जाता है तो टैक्स किस बात का?
सीवर टैक्स के मुद्दे पर पार्षदों ने घेरना शुरू किया तो जलकल के अधिकारी सीवर सफाई की गेंद गंगा प्रदूषण के पाले में फेंक दिए।
जवाब में उनके द्वारा कहा गया कि सीवर सफाई का काम गंगा प्रदूषण के पास है।
यह सुनते ही सदन में बैठे पार्षद एक स्वर में गंगा प्रदूषण पर बिफर पड़े।
हर घर की जुड़ी इस समस्या पर पार्षदों की बात को मेयर अभिलाषा गुप्ता द्वारा गंभीरता से संज्ञान लिया गया।
सीवर सफाई की बदतर स्थित पर नाराजगी जताते हुए मेयर ने गंगा प्रदूषण से अफसर की जमकर क्लास ली।
इतना ही नहीं फटकार लगाते हुए उन्होंने गंगा प्रदूषण के अफसरों के खिलाफ शासन को पत्र लिखने की बात कही।
बारिश में हालात होंगे खराब
मेयर ने कहा कि बारिश शुरू होने वाली है और सीवर की सफाई बदतर होगी हो पब्लिक को परेशानी होगी। गंगा प्रदूषण को इस घोर लापरवाही की जिम्मेदारी लेनी होगी। पार्षदों ने सदन अध्यक्ष/मेयर को बताया कि जिस जगह सीवर का काम हुआ ही नहीं है वहां से भी सीवर टैक्स वसूला जा रहा है।
वर्ष के अंत में मुनाफे का बजट पास
अध्यक्ष की अपील के बाद माहौल फिर शांत हुआ। थोड़ी देर बार जलकल विभाग के अधिकारियों द्वारा बजट को लेकर बिन्दुवार चर्चा शुरू की गई। अफसरों ने सदन को बताया कि मौजूदा समय में दो लाख पांच हजार घरों से वाटर टैक्स की वसूली की जा रही है। पेश किए गए बजट में बताया गया कि प्रारंभिक वास्तविक एक करोड़ 74 लाख 54 हजार 527 रुपये अवशेष हैं। इस तरह वर्ष की कुल अनुमानित आय 190 करोड़ 33 लाख 79 हजार 22 रुपये बताई गई। अफसरों ने सदन को बताया कि प्रारंभिक अवशेष सहित वर्ष की कुल अनुमानित आय इस तरह 192 करोड़ 83 लाख 35 हजार 49 रुपये हैं। इसमें से वर्ष में कुल अनुमानित 190 करोड़ 64 लाख 40 हजार 22 रुपये पेयजल संसाधनों पर व्यय खर्च होंगे। इतना ही नहीं वर्ष के अंत में एक करोड़ 44 लाख 29 हजार 527 रुपये की बचत भी पेश किए गए बजट में बताया गया है। कराए जाने वाले कार्यों को लेकर बिन्दुवार पेश किए गए इस बजट पर सदन द्वारा मंजूरी प्रदान की गई। पुराने स्लैब पर वाटर टैक्स पब्लिक से लिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर सदन ने जनहित में उठाया गया कदम बताया।
आनन्द घिडियाल, पार्षद पानी हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। सभी को पानी मिले और मिलता रहे, इसके लिए व्यवस्था करने में रुपये तो खर्च होंगे ही। मेरा मानना है कि हैंडपम्पों के रिबोर हो जाने से जल संरक्षण होगा। लोगों को जितने पानी की जरूरत होगी उतना ही हैंडपम्प चलाकर निकालेगा। कोई बेवजह हैंडपम्प चलाकर पानी को नहीं बहाएगा। सप्लाई वाले पानी के नल की टोटी खोलकर लोग चले जाते हैं। स्वच्छ पानी बहता रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।
बालमुकुंद तिवारी, पार्षद
बजट में जन-जन के लिए पानी की सुविधा का ध्यान रखा गया है। इस बजट विस्तारित क्षेत्र वाले लोगों को भी शहरी जलापूर्ति सुविधा का लाभ मिलेगी। चूंकि वह इलाके नए हैं जो नगर निगम से जुड़े हैं। उन क्षेत्रों में वाटर सुविधा को विस्तार देने में यह बजट सहायक और उपयोगी साबित होगा। बजट काफी सराहनीय है।
अनीश अहमद, पार्षद
रमीज अहसन, पार्षद