60 साल से कम उम्र के संक्रमितों को होम आइसोलेशन के लिए किया जा रहा सजेस्ट

11 हजार से अधिक मरीज घरों में रहकर करा रहे कोरोना का इलाज

इस बार कोरोना अधिक भयानक हो चला है। इसका असर होम आइसोलेशन में दिखने लगा है। जिन मरीजों को घर में रहने की सलाह दी गई है वह हिम्मत से इस बीमारी का सामना कर रहे हैं। बहुत से मरीज ऐसे भी हैं जो एंजाइटी का शिकार होकर हॉस्पिटल में भर्ती होने की मांग करते हैं लेकिन उनको स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा काउंसिलिंग की जाती है। कुल मिलाकर शहर के कोविड हॉस्पिटल्स की स्थिति को देखते हुए होम आइसोलेशन मरीजों के लिए बड़ा सहारा बनकर उभरा है।

24 घंटे के भीतर टूट रही हिम्मत

पिछली बार की तरह इस बार भी 60 साल से कम उम्र के संक्रमितों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है। अगर उनका ऑक्सीजन लेवल बेहतर है तो उनको आरआरटी टीमों द्वारा घर पर ही दवाएं भिजवाई जा रही हैं। बावजूद इसके मरीज 24 घंटे के भीतर ही कंट्रोल रूम में फोन करके हॉस्पिटल में भर्ती कराने की मांग करने लगते हैं। ऐसे में उनकी काउंसिलिंग कर घर पर ही रुकने को कहा जाता है।

डर से फूलने लगती है सांस

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि होम आइसोलेशन यानी एचआई के मरीज कोरोना से इतने भयभीत हैं कि इससे उनकी सांस फूलने लगती है और उन्हें लगता है कि कोरोना का फेफड़े पर असर होने लगा है। जबकि डर की वजह से होने वाली एंजाइटी में सांस फूलना आम बात है। ऐसे में मरीजों को फोन पर ही ऑक्सीमीटर पर ऑक्सीजन लेवल लेने को कहा जाता है। बहुत से मरीजों का लेवल बेहतर मिलने पर उनकी काउंसिलिंग की जाती है और घर पर ही रहने को कहा जाता है।

इनको है हॉस्पिटल में भर्ती होने की इजाजत

जिनकी उम्र 60 साल से अधिक होती है।

कम उम्र वाले ऐसे मरीज जो गंभीर बीमारी से ग्रसित है।

जिस संक्रमित का ऑक्सीजन लेवल 90 से कम हो गया हो।

जिनके पास एचआई में रहने की व्यवस्था नहीं होती है।

27 हजार से अधिक हो चुके डिस्चार्ज

प्रयागराज में अब तक पाए गए कुल कोरोना पाजिटिव में 38440 को होम आइसोलेशन में भेजा जा चुका है।

इनमें से 27083 मरीज मंगलवार तक डिस्चार्ज किए जा चुके हैं।

डॉक्टर्स का कहना है कि होम आइसोलेशन में मरीजों को अपना ख्याल रखना होता है।

साथ ही यह भी बताया जाता है कि वह घर के अन्य सदस्यों से दूरी बनाकर रहें।

उनका टायलेट अलग होना चाहिए। किसी भी संक्रमित को 14 दिन के लिए होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है।

जरूरत पर रेफर किए जाते हैं मरीज

जिन मरीजों की हालत एचआई के दौरान नाजुक हो जाती है उन्हें हॉस्पिटल भी रेफर किया जाता है।

इस बार ऐसी संख्या पिछली बार की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा है।

ऐसा इसलिए कि शुरुआत में लोगों ने अधिक लापरवाही बरती है जिसकी वजह से कोरोना की रफ्तार कम होने के बजाय बढ़ती चली गई।

अब लोग सोशल डिसटेंसिंग का पालन कर रहे हैं।

कोरोना को लेकर लोग स्वत: पैनिक हो जा रहे हैं। कइयों को हॉस्पिटल में बेड चाहिए होता है। ऐसे में उनका ऑक्सीजन लेवल चेक करवाकर डर को कम किया जाता है। हालांकि बाद में लोग हिम्मत से कोरोना का मुकाबला भी करते हैं।

डॉ। अनुपम द्विवेदी

कोरोना होम आइसोलेशन इंचार्ज, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज

Posted By: Inextlive