ऐतिहासिक 'बड़ी कोठीÓ को मिली नयी पहचान
प्रयागराज (ब्यूरो)।बड़ी कोठी दारागंज में मां गंगा के तट पर स्थित त्रिवेणी संगम पर प्रयाग के प्रधान देवता श्री वेणी माधव मंदिर के समीप स्थित है। बड़ी कोठी के मालिक रंजन सिंह ने कहा कि बड़ी कोठी से मेरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। मेरे दादा इस कोठी से जुड़े रहे। लाल बाहदुर शास्त्री, मदन मोहन मालवीय, हेमवती नन्दन बहुगुणा, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी जैसी हस्तियों समेत फ्रीडम फाइटर कोठी से जुड़े रहे। मैंने सुना कि कोठी बिक रही है और खरीदने वाले इसको तोड़कर प्लाटिंग करेंगे तो मैं तुरन्त दिल्ली से यहां आया। मालिक से येन केन प्रकारेण मैंने इस कोठी को लिया तब मैंने सोचा भी न था कि यहा प्रयागराज का पहला हैरिटेज होटल बनाऊंगा। मां गंगा व वेणी माधव जी के आशीर्वाद से सब कार्य सहज होते चले गए। आज हम वेलकम हैरिटेज मिलकर काम कर रहे हैं। श्री महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत जमुना पुरी, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह, महासचिव प्रभाशंकर मिश्र और भाजपा महानगर अध्यक्ष गणेश केसरवानी भी मौजूद रहे।
क्या है इतिहास और क्या है खास
बड़ी कोठी का निर्माण हरियाणा के बड़े गल्ला व्यापारी रिखीमल अग्रवाल ने 1540 में करवाया था।
इसका निर्माण जैसलमेर के कारीगरों ने किया था।
बलुआ पत्थर पर उकेरी गई खूबसूरत नक्काशियों के चलते प्रयागराज में एक आकर्षण का केंद्र है।
सबसे अहम कि नक्काशियों का रंग दिन के समय के हिसाब से चेंज होता है।
स्वागत करती हुई ऊंचे चबूतरे पर सुन्दर फाउंटेन, तीन तहखाने, एक तिजोरी कमरा, विशाल खूबसूरत आंगन, मां दुर्गा का मंदिर व मंदिर के बाहर की प्रियक्टाड्योरा नक्काशी जिसमें मार्बल को काटकर जेम्स भरे गए हैं।
योग व ध्यान के लिए ध्यान कक्ष, पब्लिक कांफ्रेंस के लिए दो हॉल, पुलिस व्यवस्था से पूर्व के दौर में जमींदारी व्यवस्था के अंतर्गत एक जेल, रेस्टोरेंट, पुस्तकालय, रूफ टॉप स्विमिंग पूल, स्लाइडिंग पत्थर के द्वार वाला गुप्त कक्ष बनाया गया है।
गुप्त कक्ष सल्तनत काल में आक्रमण की दशा में महिलाओं को जौहर प्रथा से बचाने हेतु बनाया गया था।
इस कोठी में 24 कमरे हैं। रात में यहां लाइटिंग का कम और लालटेन व दीपक का अधिक प्रयोग होता है।
तीन मंजिल पर बने स्वीमिंग पूल से गंगा का साफ नजारा दिखता है।
इन घटनाओं से बड़ी कोठी की पहचान
यहां एक दिन के लिए मीरा बाई ने प्रवास किया था
महात्मा गांधी ने सामने स्थित निर्वाणी अखाड़े से पंचायतीराज व्यवस्था का कॉन्सेप्ट प्राप्त किया
कोठी के मालिक सेठ पेरूमल अग्रवाल ने 1857 की क्रांति में लॉर्ड कैनिंग और कैद हुए क्रांतिकारियों के बीच मध्यस्थता की थी
अंग्रेजों द्वारा प्रथम राय की उपाधि पेरू मल अग्रवाल को प्रदान की गयी थी
बड़ी कोठी एक समय में उत्तर भारत में कांग्रेस के मुख्यालय के रूप में काम करती थी
लाल बहादुर शास्त्री जी का यहां पर निवास करते हुए कांग्रेस का कार्य देखना
वे बाद में उत्तर प्रदेश के मंत्री, फिर रक्षा मंत्री फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे