जयगुरुदेव के समर्थकों की याचिका खारिज
वाराणसी में 25 लोगों की मौत पर दर्ज प्राथमिकी को दी थी चुनौती
ALLAHABAD: वाराणसी राजघाट पुल पर 15 अक्टूबर को हुई भगदड़ में बाबा जयगुरुदेव के शिष्य पंकज बाबा के समर्थकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की वैधता के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका खारिज हो गयी है। कोर्ट ने कहा कि आयोजकों ने जिला प्रशासन को दी गयी सूचना से कई गुना भीड़ इकट्ठी कर आयोजन अनुमति शर्तो का उल्लंघन किया है। ऐसे में दर्ज प्राथमिकी पर हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।यह आदेश न्यायामूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति एके मुखर्जी की खण्डपीठ ने कार्यक्रम के आयोजक बच्चू प्रसाद गुप्ता व बाबू सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका का विरोध एजीए विकास सहाय ने किया। मालूम हो कि पंकज बाबा के धार्मिक आयोजन में तीन हजार लोगों के इकट्ठा होने की एडीएम सिटी वाराणसी ने अनुमति दी। शहर के भीड़ भरे क्षेत्र से शोभा यात्रा भी निकाली जानी थी। अनुमति के विपरीत पांच लाख लोग इकट्ठा हुए। राजघाट पुल पर भगदड़ में 25 लोगों की मौत हो गयी। जिस पर जिला प्रशासन न प्राथमिकी दर्ज करयी थी।
------------ बाबू सिंह कुशवाहा को राहत नहींALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारण्ट के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने याची को निचली अदालत में हाजिर होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों की सुनवाई कर निर्णय लेने का सीबीआई कोर्ट को पूरा अधिकार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने बाबू सिंह कुशवाहा की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। 50 लाख जमा करने की याचिका पर निर्णय सुरक्षितकोर्ट ने चार अन्य मामलों में 50 लाख जमा करने की शर्त पर जमानत पर छूटे कुशवाहा की याचिका पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। फैसला 15 नवंबर को आएगा। इसके अलावा आधा दर्जन अन्य एनआरएचएम घोटाला आरोपियों की याचिकाओं पर भी निर्णय सुरक्षित कर लिया है। बाबू सिंह कुशवाहा के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएल पांडेय का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति नहीं ली है। ऐसे में सीबीआई कोर्ट को याची के विरुद्ध अभियोग चलाने का वैधानिक अधिकार नहीं है। सीबीआई के अधिवक्ता अमित मिश्र का कहना था कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 के तहत अभियोग चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी नहीं है।
अपराध लोक सेवक की सेवा का हिस्सा नहीं याची का कहना था कि अधीनस्थ न्यायालय को आदेश दिया जाए कि वह याची का जमानत बाण्ड स्वीकार करे, वह 50 लाख जमा करने को तैयार है। सीबीआइ की तरफ से कहा गया कि अपराध लोक सेवक की सेवा का हिस्सा नहीं है। यह शासकीय कार्य के दौरान अपराध की श्रेणी में नहीं आता इसलिए याची को 197 का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर सीबीआई कोर्ट को निर्णय लेने का अधिकार है।