अरे कोई तो बताए हम घर कैसे जाएं?
प्रयागराज (ब्यूरो)। चालकों द्वारा किए जा रहे हिट एण्ड रन कानून के विरोध का असर मंगलवार को जिले में चारों तरफ दिखाई दिया। गाडिय़ों के नहीं चलने से गंतव्य को जाने के लिए निकले यात्री हर जगह परेशान रहे। रोडवेज बस स्टैंड से लेकर प्राइवेट वाहन अड्डों पर भी साधनों का जबरदस्त अभाव रहा। गैर जनपदों को जाने वाले वाहन ही नहीं जिले में चलने वाली गाडिय़ां भी रोड से गायब रहीं। तीन चार प्राइवेट बसें जो चल भी रहीं थी उसके चालक परिचालक लोगों की मजबूरी को कैस कराने में जुटे। छोटे-छोटे बच्चों व परिवार के साथ निकले लोगों की स्थिति सबसे ज्यादा बदतर रही। हर कोई इस बात को लेकर परेशान था कि वह अपने गंतव्य तक पहुंचेगा कैसे? दोपहर बाद प्रशासनिक दबाव में परमानेंट चालक 12 से 13 बसें लेकर निकले जरूर, मगर बसों की यह संख्या भटक रही सवारियों के सामने नहीं के बराबर थीं।
दबाव में चली बस पर रही अपर्याप्त
पिछले दो दिनों से चालकों की नाराजगी का असर शहर में जबरदस्त देखने को मिला रहा है। सोमवार को तो हालात तब भी कुछ हद तक चलायमान थे। दूसरे दिन मंगलवार को हालात काफी बदतर नजर आए। हिट एण्ड रन के विरोध में उतरे चालकों की वजह से सवारी वाहन प्राइवेट हो या सरकारी खड़े हो गए हैं। यहां तक कि शहर में हर चौराहे पर जाम का कारण बनने वाले 95 प्रतिशत टैक्सी टैम्पो भी बंद रहे। सबसे खराब स्थिति सिविल लाइंस और जीरो रोड बस स्टैंड की रही। यहां लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, कौशाम्बी, चित्रकूट, अयोध्या जैसे जनपदों को जाने के लिए लोग इधर उधर भटकते रहे। परेशान हालत में भटक रहे इन यात्रियों के अंदर एक डर यह रहा कि यदि साधन नहीं मिला तो वे कैसे अपने स्थान पर पहुंचेंगे। छोटे-छोटे बच्चों व लगेज और परिवार के साथ लोग हैरान परेशान यहां दिखाई दिए। दोपहर बाद रोडवेज के अफसरों ने दबाव बनाकर परमानेंट कुछ चालकों को बुला लिया। इसके बाद वे करीब 12 से 14 बसें लेकर कुछ जनपदों के लिए रवाना हुए। इसके बाद परेशानी यात्री थोड़ी राहत महसूस किए। मगर बचे हुए पैसेंजर्स परेशान हालत में साधन के लिए भटकते रहे। यही स्थिति जरोरोड सहित अन्य बस अड्डों की भी रही। मजबूरी में मुनाफाखोरी कर रहे तीन चार को छोड़ दिया जाय तो प्राइवेट बसें भी पूरी तरह ठप रहीं।
प्रति सवारी 500 से एक हजार किराया
साधनों के नहीं चलने से परेशान लोग मदद साधन के लिए मदद की गुहार लगा रहे थे। लोगों की इस मजबूरी का फायदा कार से अवैध रूप से सवारी ढोने वालों ने खूब उठाया। सिविल लाइंस बस स्टैंड के आसपास कई दर्जन कार से चालक सवारियां ढोते हैं। मंगलवार को साधन के अभाव में मजबूर लोगों का इन कार चालकों ने जमकर धनादोहन किया। मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके जरिए प्रति सवारी 500 से 1000 रुपये लिए गए। मजबूरी में सवारियों इनकी गाडिय़ों में बैठे लोगों से वे यहां बस स्टैंड के पास ही पूरा पैसा पहले ही वसूल लिए। प्रतापगढ़ व वाराणसी रूट पर चलने वाले दो तीन बसों के चालक भी 50 सो 100 रुपये प्रति सवारी किराया अधिक लिए।
डॉ। कमल उसरी, सचिव इलाहाबाद मोटर्स एण्ड ड्राइवर वर्कर्स यूनियन
इस हड़ताल से जन जीवन प्रभावित हो रहा है। एक्सीडेंट पर भीड़ चालकों से यह नहीं पूछती कि गलती किसकी थी। पकड़कर बेरहमी से पीटने लगती है फिर चाहे वह चालक मर ही क्यों न जाय। खुद की सुरक्षा का अधिकार संविधान हर व्यक्ति को देता है। फिर चालक जान बचाकर भागते हैं तो क्या गुनाह है। जब वाहनों का इंश्योरेंस अनिवार्य है और दुर्घटना पर नुकसान की जिम्मेदारी कंपनी की है, तब चालक के लिए हिट एण्ड रन जैसे कानून सरासर गलत हैं।
महेंद्र गोयल, उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल
अमर वैश्य उर्फ मुन्ना भैया, अध्यक्ष प्रयागराज ट्रांसपोर्टर यूनियन
चालकों का यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह सही है। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ आम पब्लिक पर ही सारा भार डालने का काम करती है। यह कानून लागू होने के बाद हादसा होते ही चालक को जेल में डाल दिया जाएगा। फिर जुर्माना व सजा भी सुनाई जाएगी। सरकार ने सोचा कि ऐसी स्थिति में उस चालक के परिवार व बच्चों का क्या होगा। इस काले कानून का विरोध शांति पूर्वक और तेज किया जाएगा। सरकार पहले यह तय करे कि एक्सीडेंट के बाद यह कैसे मालूम चलेगा कि गलती किसकी थी। हिट एण्ड रन कानून बगैर सोचे समझे बनाया गया है।
पं। परमानन्द त्रिपाठी उर्फ सोंटा स्वामी, अध्यक्ष मिनी ट्रांसपोर्ट ट्रक यूनियन