शहर के दो बड़े सरकारी अस्पतालों में केवल सर्दी जुकाम और बुखार का इलाज होता है. यहां पर गंभीर बीमारियों के लिए स्पेशलिस्ट व सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती नहीं है. बात हो रही है बेली और काल्विन अस्पताल की. यहां रोजाना हजारों मरीज आते हैं और लीवर किडनी व न्यूरो से संबंधित गंभीर बीमारियों के लिए उन्हे मेडिकल कॉलेज में लाइन लगानी पड़ती है या प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज कराना पड़ता है.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इन दोनों अस्पतालों में रोजाना मिलाकर 4 से 5 हजार नए मरीज दस्तक देते हैं। यहां पर पर्याप्त संख्या में फिजीशियन भी मौजूद नही हैं। ऐसे में गंभीर मरीज को शुरुआती इलाज भी नही मिल पा रहा है। बेली अस्पताल में फिजीश्यिान के कुल चार पद हैं और इसमें दो भरे जा सके हैं। बाकी दो खाली हैं। काल्विन अस्पताल में तीन पद हैं और केवल दो फिजीशियन काम कर रहे हैं। इसमें से एक डॉक्टर 31 मार्च को रिटायर हो जाएगा।

गंभीर मरीज ना आएं तो बेहतर
इन दोनों अस्पतालों में गंभीर मरीजों का आना ही व्यर्थ है। क्योंकि यहां पर किडनी, लीवर, न्यूरो और मानसिक रोग के डॉक्टर ही उपलब्ध नही हैं। काल्विन में संविदा पर एक साइक्रेटिस्ट की तैनाती की गई है। बेली अस्पताल में यह सुविधा ही नही है। रोगों की जांच के लिए पैथोलाजिस्ट के पद भी खाली पड़े हैं। काल्विन में केवल एक रेडियोलाजिस्ट है। जिस दिन व अवकाश पर होता है मरीजों का एक्सरे व अल्ट्रासाउंड अधर में चला जाता है। बेली में कार्डियोलाजिस्ट और टीबी के डॉक्टर के पद हैं लेकिन तैनाती नही हो रही है। ईएनटी के दो-दो पद होने के बाद बावजूद महज एक-एक डॉक्टर तैनात हैं। स्किन स्पेशलिस्ट का पर काल्विन में एक साल से खाली पड़ा है। बेली अस्पताल में केवल एक डॉक्टर है और उनकी ओपीडी रोजाना लंबी भीड़ लगती है।

जो बचते हैं वह वीआईपी ड्यूटी करते हैं
दोनों अस्पतालों में डॉक्टरों की जबरदस्त कमी है।
बेली अस्पताल में डॉक्टर्स के कुल 33 पद हैं और इसमें 12 पद खाली हैं।
काल्विन अस्पताल में 44 पद हैं और इसमें से 25 डॉक्टर ही तैनात हैं।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जो डॉक्टर हैं वह भी वीआईपी ड्यूटी में लगा दिए जाते हैं।
हालात यह हैं कि एक-एक डॉक्टर को सौ से डेढ़ सौ मरीज देखने पड़ते हैं। ऐसे में बीमारी का सही पता लगाना मुश्किल होता है।
इसी तरह दोनेां अस्पतालों में जनरल सर्जन और आर्थोपेडिक सर्जन की भी कमी है। इन पर भी मरीजों का जबरदस्त लोड है।

मेडिकल कॉलेज भी ओवरलोड
गंभीर मरीजों के लिए इलाज का एकमात्र सहारा एमएलएन मेडिकल कॉलेज है। यहां पर भी गेस्ट्रो, न्यूरो, यूरो, स्किन आदि विभागों में कई पद खाली पड़े हैं। ऐसे में यहां भी स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी हैं। जो डॉक्टर्स पर हैं उन पर भी मरीजों का ओवर लोड है। क्योंकि रोजाना बेली और काल्विन अस्पताल से निराश सैकड़ों ़मरीज मेडिकल कॉलेज रेफर होते हैं। यहां भी इलाज नही मिलने पर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च करना पड़ता है।

जितने पद हैं उनमें से आधे खाली पड़े हैं। कई स्पेशलिस्ट की तैनाती नही हो सकी है। जिससे गंभीर मरीजों को धक्का खाना पड़ता है। खाली पदों को भरा जाना बेहद जरूरी है।
डॉ। राजेश कुमार अधीक्षक, काल्विन अस्पताल

हमारे यहां फिजीशियन की चार पोस्ट और इसमें से दो स्पेशलिस्ट की खाली है। अस्पतालों में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट की तैनाती भी की जानी चाहिए। इससे गंभीर मरीजों को इलाज मिल जाता है।
डॉ। एमके अखौरी अधीक्षक, बेली अस्पताल

Posted By: Inextlive