बोर्ड की कॉपियों के मूल्यांकन का धर्म निभाएं या बाहर जाकर लें प्रैक्टिकल परीक्षा मूल्यांकन व प्रैक्टिकल में एक साथ डबल ड्यूटी लगा दिए जाने से परेशान हैं टीचरइंटर कॉलेजों के सैकड़ों प्रवक्ता गुरू जी इन दिनों धर्म संकट में हैं. उन्हें यह नहीं सूझ रहा कि वह कॉपी मूल्यांकन में लगाई गई ड्यूटी का धर्म निभाएं या फिर प्रैक्टिकल परीक्षा कराएं. एक साथ दोनों वर्क के बोझ से परेशान टीचर्स फिलहाल प्रैक्टिकल लेने गैर जनपद जा चुके हैं. इससे यहां कॉपियों के मूल्यांकन पर असर पड़ रहा है. प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए बाहर गए प्रवक्ताओं की जगह दूसरे टीचर्स की ड्यूटी लगाई भी जाय तो उनका नाम साफ्टवेयर नहीं एक्सपेप्ट कर रहा. इस सिस्टम की वजह से मूल्यांकन केंद्रों के जिम्मेदारी भी परेशान हैं. क्योंकि उन पर कॉपियों के मूल्यांकन कार्य को समय से पूरा कराने की जिम्मेदारी है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर के अंदर नौ कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है। इन केंद्रों पर यूपी बोर्ड के हुए एग्जाम की कॉपियों को जांचने का काम चल रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो मूल्यांकन कार्य में करीब 4200 टीचर्स की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें से लगभग 500 टीचर्स ऐसे हैं जिनकी ड्यूटी प्रैक्टिकल परीक्षा में लगा दी गई है। एक तरफ मूल्यांकन जरूरी है तो दूसरी ओर प्रैक्टिल परीक्षा का लेना भी। लिहाजा विज्ञान विषय से जुड़े सारे टीचर्स प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के लिए गैर जनपद रवाना हैं। इसका सीधा असर यहां कॉपियों के मूल्यांकन पर पड़ रहा है। कॉपी मूल्यांकन के लिए उनकी जगह किसी दूसरे टीचर्स की ड्यूटी भी जिम्मेदार नहीं लगा पा रहे। इसकी वजह मूल्यांकन केंद्रों पर तैनात टीचर्स साफ्टवेयर को बताते हैं। कहते हैं कि मूल्यांकन कार्य के लिए साफ्टवेयर पर जिनके नाम चढ़ गए हैं उनकी जगह किसी दूसरे का नाम लोड नहीं हो पा रहा है। हालात यह हैं कि मूल्यांकन केंद्र पर डीईओ बनाए गए प्रवक्ता भी प्रैक्टिकल में हैं और उनकी जगह किसी दूसरे को नहीं रख पा रहे। डीईओ बनाए गए प्रवक्ता के नहीं होने से उनकी टीम यानी कॉपी जांच रहे टीचर्स परेशान हैं। जांची गई कॉपियों का कालमवार मूल्यांकन चार्ज के डाटा को भी साफ्टवेयर एक्सेप्ट नहीं कर रहा।

पिछले वर्षों में नहीं हुआ कभी ऐसामूल्यांकन केंद्रों पर तैनात डीईओ व कुछ शिक्षक बताते हैं कि पिछले वर्षों के मूल्यांकन कार्यों में ऐसा नहीं थावह कहते हैं कि पिछले वर्षों में प्रैक्टिकल परीक्षाएं यूपी बोर्ड परीक्षा के पहले ही हो जाया करती थीऐसे में जितने टीचर्स मूल्यांकन कार्य में लगाए जाते थे वह सभी उपस्थित होकर कॉपियों को जांचने का काम करते थेइस बार पैटर्न में चेंज हुआ और मूल्यांकन में ड्यूटी साफ्टवेयर से लगा दी गई, मूल्यांकन व प्रैक्टिल साथ हो रहा हैअब जिसकी ड्यूटी दोनों जगह है उनके लिए प्रैक्टिल पहले लेना जरूरी है, क्योंकि मूल्यांकन बाद वह नंबर छात्र के प्राप्तांक में जुडऩे हैं

Posted By: Inextlive