यहां तो होलिका को बचा दिया कचरा डंपिंग ग्राउंड
प्रयागराज (ब्यूरो)।
04 नंबर जोन में भी कई स्थानों पर पड़ा मिला होलिका में कूड़ा17 वार्ड हैं नगर निगम एरिया के जोन चार में
550 सफाईकर्मी इन वार्डों में तैनात
17 वार्डों में घर-घर कूड़ा कलेक्शन का दावा पर्व की महत्ता और सेहत को नुकसान
फटे-पुराने कपड़ों का गट्ठर एएन झा हॉस्टल के आगे थाने से पहले तिराहे पर लगाई गई होली में देखा जा सकता है। जोन चार के हासिमपुर मोहल्ले में निर्माणाधीन पुल के पास भी होलिका की स्थिति कुछ ऐसी ही है। इस जोन में सफाई के लिए पर्याप्त सफाईकर्मी तैनात हैं। होलिका में डाले गए इस कूड़े को न तो सफाईकर्मी ध्यान दे रहे और न ही जिम्मेदार। परिणाम यह है कि लोग होलिका की पवित्रता को बगैर रोक टोक प्रभावित कर रहे हैं।
दैवीय शक्तियों का होता है वास
पुरोहितों की मानें तो लगाई गई होलिका में दैवीय शक्तियों का वास होता है।
इसीलिए उसे शुभ मुहूर्त ओर नक्षत्र में विधि विधान से पूजापाठ के बाद जलाने का प्राविधान है।
शुद्धता के साथ लगाई गई होली विधि संवत पूजा पाठ के बाद इस कामना से होली जलाई जाती है कि होलिका मां सभी को विपत्ति से बचाए रखें।
मान्यता है कि होलिका की पूजा से अदृश्य आसुरी शक्तियों का प्रभाव धरती से कम होता है।
इससे समूचे मानव समाज की स्वास्थ्य रक्षा के योग बनते हैं।
पुरोहित कहते हैं कि होलिका शुभ मुहूर्त और नक्षत्र में ही जलाई जाती है।
पं। विमल मिश्र बताते हैं कि चतुर्दशी पुरर्वा नक्षत्र में गद यानी आनन्द योग में होलिका जलाई जाएगी।
उनके मुताबिक गुरुवार यानी 17 मार्च की रात्रि 11 बजकर 25 मिनट पर होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त है।
दूसरे दिन 18 मार्च को अबीर गुलाल से रंगों की होली खेली जाएगी। उनकी मानें तो गद आ आशय आनन्द से है।
आनन्द योग में होलिका जलाकर जातक पर्व का आनन्द उठाएंगे।
होलिका में आग लगाने से पूर्व मंत्रोच्चार के साथ धूप, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, जल पुष्प, हवन सामग्री, गृत आदि से मां होलिका के पूजन का प्राविधान है।
पूजा के बाद कच्चे धागे से कम से कम पांच और पूर्ण रूपेण सात फेरा लगाने वाले को विशेष फल की प्राप्ती होती है।
होलिका में कूड़ा करकट डालना कतई उचित नहीं है। यह हमारे धर्म व होलिका के नियमों के विरुद्ध है। फिर भी लोग होलिका में कूड़ा करकट फेक दिए हैं। होलिका के साथ कूड़ा करकट जलाएंगे तो पूजा किस बात की।
किशन गोस्वामी कर्नलगंज एसबीआई तिराहा
रविंद्र नाथ जायसवाल कर्नलगंज एसबीआई तिराहा होली में फटे पुराने कपड़े हों या कचड़ा तो फेकना ही नहीं चाहिए। अपने पर्वों व रीतियों को लेकर हम सभी को सजग रहना चाहिए। जब खुद ऐसा करेंगे तो पर्व के बारे में बच्चों को क्या समझाएंगे। पर्व सिर्फ बनाने खाने व नशा के लिए नहीं होते।
राकेश कुमार, हासिमपुर होली पर लोग डीजे लगाकर ध्वनि प्रदूषण पैला सकते हैं। मगर चार पांच हजार रुपये की लकड़ी होलिका के लिए नहीं खरीद सकते। हजारों रुपये की शराब पीकर रोड पर उधम करने के लिए पैसे होते हैं। बात होलिका की पवित्रता शुद्धता व पूजा पाठ की आती है सभी को फिजूल खर्च समझ आने लगता है।
सुनील कुमार श्रीवास्तव, हासिमपुर
जब हम और हमारा समाज ही होलिका की पवित्रता व रस्म को नहीं निभाएंगे तो पर्व की महत्ता कैसे बरकरार रहेगी। यह बात उन लोगों को सोचना चाहिए हो होली में कूड़ा फेक कर चले गए हैं। ऐसे लोगों का समाज के हर व्यक्ति को विरोध करना चाहिए। यदि होली के लिए लकड़ी का अभाव है तो लगाने वालों को टीम बनाकर चंदा लेना चाहिए।
राजन, हासिमपुर
अरविंद कुमार पाल, हासिमपुर सभी 17 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम हो रहा है। लोगों को कूड़ा कलेक्शन करने वाले कर्मचारियों की गाड़ी में डालना चाहिए। होली में कूड़ा फेका गया है तो ऐसी न तो शिकायत है और न ही जानकारी। यदि ऐसा है तो सफाई कर्मियों को होली से कूड़ा हटाने के निर्देश दिए जाएंगे।
संजय कुमार जोनल अफसर जोन चार