कोविड-19 के दौर में बंद स्कूल व कॉलेज और चल रही ऑनलाइन एजुकेशन का छात्रों की राइटिंग पर बैड इफेक्ट सामने आया है. ज्यादातर छात्रों की लिखावट और स्पीड दोनों ही बिगड़ गई है. बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों ने सिर्फ एक ही कॉपी का प्रयोग किया है. कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनके लिए लिखकर एक कॉपी के पन्नों को भर पाना मुश्किल रहा. अब तक के मूल्यांकन में शिक्षकों को कुछ ही अभ्यर्थी ऐसे मिले जिनके जरिए बी कॉपी का प्रयोग किया गया है. परीक्षा में सी कॉपी का इस्तेमाल करने वालों की तादाद नहीं के बराबर है. राइटिंग की बिगड़ी रफ्तार और आदत की हकीकत सोमवार को कॉपी मूल्यांकन केंद्र सीएवी इंटर कॉलेज में दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा किए गए रियलिटी चेक में मिले हैं.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। लोगों की जिंदगी को कोरोना ने कई तरफ से प्रभावित किया। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष भी इसके प्रभाव के जद में लोग आए। कोरोना से हो रही मौत को देखते हुए छात्र व छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए। करीब दो साल तक लगातार शिक्षण संस्थान बंद रहे। प्रभावित हो रही पढ़ाई को देखते हुए विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों की चिंता बढ़ गई। रास्ता ऑनलाइन एजुकेशन का निकाला गया। यह ऑनलाइन एजेकुशन पैटर्न नया था, लिहाजा लोगों को खूब रास आया। लेकिन, बंद शिक्षण संस्थाओं के दौर में ऑनलाइन एजुकेशन का विद्यार्थियों की हैंड राइटिंग पर काफी बैड इफेक्ट पड़ा। विद्यार्थियों के लिखने की आदत में काफी श्लो हो गई। कोरोना का प्रभाव कम हुआ तो स्कूल और कॉलेज खोल दिए गए। बावजूद इसके बिगड़ी हुई हैंड राइटिंग और स्पीड कवर नहीं हो पाई। इसका असर यूपी बोर्ड का एग्जाम में अभ्यर्थियों द्वारा लिखी जाने वाली कॉपियों पर पड़ा। करीब 80 प्रतिशत परीक्षार्थी ऐसे रहे जिन्होंने परीक्षा के दौरान सिर्फ एक ही कॉपी का इस्तेमाल किया। इसमें भी लगभग 20 प्रतिशत परीक्षार्थी ऐसे बताए जा रहे एक कॉपी को भी नहीं भर सके। जबकि उनके जरिए एग्जाम में आए कई प्रश्नों को छोड़ दिया गया है। शेष तकरीबन बीस प्रतिशत छात्रों में 15 फीसदी परीक्षार्थियों द्वारा बी कॉपी का प्रयोग किया गया है। हालांकि सभी प्रश्नों के उत्तर लिखकर बी कॉपी के सभी पन्नों को भरने वाले छात्रों की संख्या कम बताई जा रही है। अनुमान के मुताबिक पांच प्रतिशत परीक्षार्थी ऐसे बताए जा रहे जिनके ए, बी के साथ सी कॉपी का इस्तेमाल किया गया। वह भी उन्होंने गलत सही सभी प्रश्नों के उत्तर लिखकर तीनों कापियों को फुल भर दिए हैं।

मूल्यांकन के नियमों में हुए यह चेंज
मूल्यांकन कार्यों में जुटे प्रवक्ताओं व सहायक अध्यापकों का भी मानना है कि इस बार परीक्षार्थियों के लिखने की रफ्तार स्लो दिखाई दे रही है।
अनुभवनी व सीनियर प्रवक्ताओं की मानें तो पहले ऐसा नहीं था। 80 प्रतिशत छात्र बी कॉपी का प्रयोग करते और उसे लिखकर भरा भी करते थे
परीक्षार्थियों की बिगड़ी हुई राइटिंग का अहसास शायद यूपी बोर्ड को था, इसलिए इस बार पूरी कॉपी में राइटिंग अच्छी है तो एक नंबर देने का नियम बनाया गया
पिछले वर्षों की बोर्ड परीक्षा में ऐसा नहीं था, राइटिंग अच्छी हो या फिर खराब परीक्षार्थी को कोई नंबर नहीं मिला करता था और न ही नियम था
सरकार और यूपी बोर्ड ने कोरोना कॉल में प्रभावित हुई शिक्षा को देखते हुए इस बार कॉपी मूल्यांकन में स्टेप मार्किंग व्यवस्था की गई
स्टेप मार्किंग के तहत परीक्षार्थी यदि किसी प्रश्न का उत्तर आधा या कुछ ही सही लिखा है तो उसका नंबर भी इस बार दिया जाएगा
प्रवक्ता कहते हैं कि पिछले वर्षों में स्टे मार्किंग की व्यवस्था नहीं थी, पूरा सवाल या उत्तर सही और एक जगह गलत हुआ तो प्रश्न का पूरा उत्तर गलत माना जाता था नंबर नहीं मिलते थे

पिछले वर्षों की अपेक्षा इस बार मूल्यांकन व नंबर मार्किंग के नियमों में काफी चेंज आए हैं। इस बार देखने को मिल रहा कि अधिकांश छात्र पूरी कॉपी भी ठीक से नहीं भर पाए हैं। इस स्थिति को बेशक हम कोरोना के पढ़ाई का प्रभावित होना कह सकते हैं। इस बार यदि परीक्षार्थी प्रश्न के उत्तर में जितने स्टेप सही लिखा है उतने का नंबर देना अनिवार्य किया गया है।
मुरलीधर, प्रवक्ता सीएवी इंटर कॉलेज

यूपी बोर्ड की परीक्षा में पिछले वर्षों की अपेक्षा इस बार देखने को यह मिल रहा कि बच्चे कॉपियों में कम लिखे हैं। कुछ ही छात्र ऐसे हैं जिन्हें बी कॉपी का प्रयोग तो किया पर पूरी नहीं भर पाए, जबकि उनके जरिए कई प्रश्न छूट गए हैं हैं। पहले ऐसा नहीं था, परीक्षार्थी गलत ही सही कॉपी में उत्तर लिखा जरूर करते थे।
ऊषा सिंह, प्रवक्ता श्रीमती जानकारी देवी गल्र्स इंटर कॉलेज

इस बार की कॉपियों कई खास चीजें देखने को मिल रही हैं। केमेस्ट्री के पेपर से सम्बंधित कॉपियों की बात करें अब तक जितनी भी कॉपी का मूल्यांकन किया सभी के उत्तर में भिन्नता दिखाई दी। इससे हम कह सकते हैं कि इस बार की परीक्षा में नकल पर लगाम थी। जबकि पिछले वर्षों की परीक्षाओं में कॉपियों में ज्यादातर प्रश्नों के जवाब एक जैसे हुआ करते थे।
मयंक श्रीवास्तव, प्रवक्ता एंग्लोबंगाली इंटर कॉलेज

परीक्षा में ढाई तीन घंटे का समय निर्धारित होता है। स्कूल कॉलेज खुले होने पर लिखने की प्रैक्टिस बनी रहती है। अब ऑनलाइन पढ़ाई में जब तक छात्र जो लिखे सो लिखे, बाकी तो लिखने की प्रैक्टिस किए नहीं। मूल्याकांन के दौरान ज्यादातर छात्रों द्वारा एक भी कॉपी का नहीं भर पाना यही सारे कारण रहे हैं।
निर्मला जोशी, प्रवक्ता संत एंथोनी इंटर कॉलेज

परीक्षार्थियों की हैंड राइटिंग स्पीड ही नहीं उनके सुंदर होने पर भी असर पड़े हैं। इस बार जब सुंदर राइटिंग पर एक नंबर दिए जाने हैं तो परीक्षार्थियों की राइटिंग ही उतनी अच्छी कॉपी में नहीं दिखाई दे रही। कुछ कॉपी में देखा यह भी जा रहा कि परीक्षार्थी प्रश्न का उत्तर टुकड़ों में और अलग-अलग पन्नों पर लिखे हैं।
देवराज सिंह, सहायक अध्यापक सीएवी इंटर कॉलेज

इन विषयों की कापियों का हो रहा मूल्यांकन
मूल्यांकन केंद्र पर भौतिक विज्ञान, समाजशास्त्र, काष्ठ कला, मानव विज्ञान, प्रिटिंग, कंप्यूटर शिक्षा व रसायन विज्ञान की कापियां जांची जा रही है।

4500 कापियां जांची गई
2 मई तक कापियों का चलेगा मूल्यांकन
10 जनपद की कापियों का चल रहा मूल्यांकन
72 हजार कापियां मूल्यांकन केंद्र सीएवी इंटर कालेज का एलाट

Posted By: Inextlive