'मदद' को कलंकित करने वाले मददगार
प्रयागराज (ब्यूरो)। पूछताछ में पता चला कि मीरजापुर जिले में पकड़े गए ये शातिर इंटर स्टेट गैंग चलाते हैं। एक जिले में यह बहुत दिनों तक नहीं रुकते। एक से दूसरे जनपदों में घूम-घूमकर इनके द्वारा लोगों को अपना शिकार बनाया जाता है। दबोचे गए शातिरों ने पूछताछ में एटीएम कार्ड चेंज करने के कई राज व नाम कबूल किए हैं। एसटीएफ अब उनके जरिए प्रकाश में लाए गए शातिरों की टोह में जुट गई हैं। तलाशी में उन शातिरों के पास से टीम को एक दर्जन एटीएम कार्ड मिले हैं। बरामद किए गए इन एटीएम कार्डों का प्रयोग व कार्ड धारकों के खाते से रुपये निकालने में किया करते थे।
विभिन्न बैंकों के 12 कार्ड बरामद
गिरफ्तार किए गए गैंग के इन गुर्गों में मेन रामू भारतीया है। रामू हंडिया थाना क्षेत्र के खपटिहा गांव निवासी दयाराम भारतीया का बेटा है। दूसरा नीरज कुमार यादव पुत्र शिवशंकर यादव है। वह भी हंडिया थाना क्षेत्र रमईपुर गांव का रहने वाला है। तीसरा शातिर भी हंडिया थाना क्षेत्र के खपटिहा निवासी अंशुमान सिंह है। एक ही इलाके के होने के कारण तीनों को एक दूसरे पर बड़ा विश्वास है। एसटीएफ के मुताबिक इनके पास से तलाश में विभिन्न बैंकों के कुल एक दर्जन यानी 12 एटीएम कार्ड मिले हैं। बरामद किया गया इनके जरिए एटीएम बूथों पर लोगों को मदद का झांसा देकर चेंज किए गए थे। इसी के साथ दो मोबाइल फोन व एक बाइक और दूसरों के एटीएम कार्ड को चेंज करके शातिरों द्वारा निकाले गए विभिन्न बूथों से निकाले गए तीन हजार 900 रुपये भी बरामद किए गए हैं। पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ ने कहा कि पूछताछ में इनके जरिए गैंग के कुछ और नाम प्रकाश में लाए गए हैं। उन शातिरों की तलाश में टीमें लगा दी गई हैं।
इस तरह बूथ पर देते थे धोखा
स्पेशल टास्क फोर्स के अफसरों ने बताया कि तीनों ऐसे स्थान के एटीएम को टारगेट करते थे जहां पर लोगों की भीड़ अधिक और एटीएम बूथ पर सुरक्षा गार्ड नहीं होते थे। ऐसे बूथों पर वह उन लोगों को शिकार बनाते थे जो कम पढ़े लिखे होते हैं। एटीएम को यूज करने में उन्हें किसी न किसी की मदद की जरूरत होती है। ये एटीएम के बाहर ऐसे टारगेट की तलाश करते और उसके साथ ही एटीएम के भीतर घुस जाते थे। एक भी स्टेप गलत होने पर वे तत्काल मदद की बात करते और कार्ड लेकर कैश निकालने की प्रक्रिया पूरी करने का झांसा देते। इसी बहाने वह एटीएम का पिन हासिल कर लेते थे। इसके बाद वे पैसा निकालकर सामने वाले को पकड़ा देते थे। खेल एटीएम से करते थे कि असली के स्थान पर नकली पकड़ा देते थे। इससे पैसा निकालने वाला सोच भी नहीं पाता था कि उसके साथ कोई खेल हो गया है। इस दौरान शातिरों को यह भी पता चल जाता था कि एटीएम जिस बैंक का है उसमें रुपये कितने हैं। इसके बाद वह इन रुपयों से शापिंग करने पर फोकस करते थे। कार्ड और पिन की मदद से वे कैश ट्रांजैक्शन भी कर लेते थे।
नावेंदु कुमार पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ