मकर संक्रांति पर जंक्शन पर उमडऩे वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे ने 13 से 16 जनवरी तक सिविल लाइंस साइड से जंक्शन पर प्रवेश बंद कर दिया है. शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से 16 जनवरी को दोपहर 12 बजे तक यह नियम लागू रहेगा. इधर से केवल यात्री बाहर निकल सकेंगे. दूसरी ओर सुरक्षा के लिए तैयार किए इस प्लान का असर यहां आने वाले लोगों की जेब पर पड़ रहा है. यहां पहुंचने वाले वृद्ध जो चलने में असमर्थ है. उनके लिए व्हीलचेयर की सुविधा है. लेकिन इसका चार्ज जेब को ढीली कर दे रही है. जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 8 9 और 10 से लेकर बाहर तक छोडऩे का कुली डेढ़ सौ रुपये किराया वसूल रहे हैं. वहीं ई-रिक्शा व प्राइवेट वाहन स्वामी भी मनमाना कर रहे हैं.

प्रयागराज ब्यूरो । शुक्रवार दोपहर करीब तीन और चार बजे के बीच दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम प्रयागराज जंक्शन पर जा पहुंची। सिविल लाइंस साइड जबरदस्त भीड़ दिखाई पड़ी। बाहर निकलने वाला हर कोई यात्री परेशान दिखाई पड़ रहा था। रिपोर्टर ने
काफी देर तक वहां रहकर समय बिताया।
इस पूरे 'खेलÓ को समझने के लिए तकरीबन दो घंटे का समय लग गया।
दस कदम तक का सौ रुपये चार्ज कम से कम वसूला जा रहा था। लोगों की
जेब पर डाका के लिए बकायदा गैंग बनाकर काम हो रहा था। इस दौरान कुली, प्राइवेट टैक्सी व ई-रिक्शा वालों ने पोल खोल दी। इस दौरान बातचीत की तस्वीरें व वीडियो मोबाइल में कैद हो गई। व्हीलचेयर से जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 7, 8, 9 और 10 से लेकर बाहर तक छोडऩे का कुली डेढ़ सौ रुपये और छह नंबर प्लेटफार्म से दो सौ रुपये किराया वसूला जा रहा था।

चौकाने वाला मिला जवाब
रिपोर्टर द्वारा छह नंबर प्लेटफार्म से बाहर तक छोडऩे का दो सौ रुपये के चार्ज पर
जो जवाब मिला। वह चौकाने वाला था। पूछने पर एक कुली ने बताया छह नंबर पर ज्यादातर गाडिय़ां वीआईपी ही आती है। इसलिए पचास रुपये एक्स्ट्रा रखा गया है। कोई भी इससे काम करने को तैयार नहीं था। सब एक दूसरे से कनेक्ट थे। अगर किसी ने मना कर दिया तो कोई दूसरा उससे कम में ले ही नहीं जा सकता था। यही कारण है कि लोगों को मजबूरी में देना पड़ रहा था।

हर जगह का किराया फिक्स व सेम
इसके बाद रिपोर्टर ने ई-रिक्शा चालक से बात कर दारागंज तक रेट लिया। ई-रिक्शा चालक ने ढाई सौ रुपये बताया। जब रिपोर्टर ने दूसरे ई-रिक्शा चालक से बात की तो उसने भी सेम रेट बताया। यह रेट सभी का सेम था। सबके जुबान पर एक ही डायलॉग था। किसी से भी पूछ लीजिए गलत नहीं बताया हूं। ऑटो चालक प्रीतम नगर कॉलोनी तक चार सौ रुपये किराया मांग रहे थे। एक व्यक्ति ऐसा घूमता मिला जो अपनी पॉकेट डायरी में सब वाहनों का नंबर नोट करने के साथ उनका ट्रिप तक नोट कर रहा था। रेट कम कर बैठाने वाले प्राइवेट वाहन, ऑटो व ई-रिक्शा चालक पर नजर भी रखकर रहे थे।

गुमराह कर रहे कुली
रिपोर्टर से बातचीत में यात्रियों द्वारा बताया गया कि कुली व्हीलचेयर को प्राइवेट बता रहे है। इसलिए मजबूरी में किराया पर लेना पड़ रहा है। जबकि व्हीलचेयर पर रेलवे का कोई लोगो लगा होना चाहिए। ताकि यात्रियों को पता चल सके। यह व्हीलचेयर की सुविधा रेलवे की तरफ से मिल रहा है।

कोई भी कुली रेट कम करने को तैयार ही नहीं है। जिसने जो बोल दिया उसी पर अड़े रहे। मजबूरन देकर बाहर तक आना पड़ा। बाहर आने पर ई-रिक्शा हो या ऑटो। उनका भी यही हाल है।
विजय, बुजुर्ग यात्री

व्हीलचेयर बैठाकर सिर्फ बाहर तक लाकर छोड़ दिया और डेढ सौ रुपये ले लिया। ऑटो पर चढ़ाने तक का पचास रुपये चार्ज मांगा गया। मजबूरन उतर कर खुद से चढऩा पड़ा। मकर संक्रांति स्नान के लिए कुशीनगर से आए है।
विजय कुमार, बुजुर्ग यात्री

पैर से चलने में असमर्थ हूं, साथ में बेटा है। वह उठाकर बाहर तक ले जाने का प्रयास किया। लेकिन सामान साथ होने के चलते डेढ सौ रुपये चार्ज देना पड़ा। पहले तो कुली न कहा, यह प्राइवेट व्हील चेयर है। रेल प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
शांती देवी, बुजुर्ग महिला यात्री

कुली अपना ले जाने व आने का चार्ज ले रहा होगा। व्हीलचेयर का कोई चार्ज नहीं होगा। लाल रंग का कपड़ा पहना व्यक्ति कुली है। प्राइवेट आदमी व रेलवे स्टाफ नहीं होंगे।
वीके द्विवेदी प्रयागराज जंक्शन स्टेशन डायरेक्टर

Posted By: Inextlive