पारिवारिक रिश्तों पर भारी इगो की दुश्वारी
प्रयागराज (ब्यूरो)। बंद दरवाजे के अंदर छोटी-छोटी बातों को लेकर हो रहे विवाद से कई परिवारों के दाम्पत्य जीवन बिखरने के कगार पर हैं। इस तरह के घरेलू विवाद डेरी लांघ कर थाने और एसएसपी दफ्तर तक जा पहुंचे। दोनों ही जगह पहुंचे लोगों की समस्या को सुनने व हल कराने की जिम्मेदारी पारिवारिक परामर्श केंद्र को सौंपी गई। जनवरी से लेकर फरवरी तक यहां इस तरह के करीब 100 केस भेजे गए। पारिवारिक परामर्श केंद्र में इनके केस को दर्ज कर जिम्मेदारों द्वारा दोनों पक्षों को बुलाया गया। यहां पहुंचे दोनों पक्षों को बैठाकर बारी-बारी उनकी बातें सुनी गईं। तीन से चार बार बुलाकर सभी का माइंड वास किया गया। नतीजा यह रहा कि जो दम्पति एक दूसरे को देखना नहीं चाह रहे थे वह साथ रहने को तैयार हो गए। ऐसे 30 परिवारों को काउंसलिंग बाद बिखरे और बर्बाद होने से बचाया गया। एक दूसरे से दूर होने की जिद पर अड़े इन दम्पतियों में छोटी-छोटी बात को लेकर मन मुटाव और इगो की समस्या ज्यादा पाई गई। काउंसलर की मानें तो दो महीनों में प्राप्त पारिवारिक शिकायतें पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक हैं।
विवाद के कुछ मुख्य कारणपरिवार परामर्श केंद्र की गई छानबीन में विवाद के कुछ मख्य कारण पाए गए हैं, जो इस प्रकार से हैं
बताते हैं कि शिकायत करने वाली ज्यादातर महिलाओं में इगो प्रॉब्लम और सामंजस्य का अभाव है
ससुराल में उन्हें सास व अननद एवं जेठानी जेवरानी से ही नहीं पति तक पर प्रताडऩा व अपमानित करने के आरोप हैं
कुछ मामले तो ऐसे हैं जिनमें महिला इस बात से खफा है कि उसके मायके वालों को भला बुरा कहा जाता है
दहेज की मांग को लेकर प्रताडि़त करने व और डिमांड करने जैसी भी शिकायत यहां कम नहीं हैं
कुछ केस में पति व उसके परिवार को भी बहू और पत्नी के देर से सो कर उठने बात नहीं मानने की भी शिकायतें हैं
इन सब के बीच कुछ बुजुर्ग सास व ससुर भी इंसाफ की आश में यहां भेजे गए हैं जिन्हें बहु व बेटे प्रताडि़त कर रहे हैं
इन बुजुर्गों के आरोप हैं कि शादी के बाद बेटा व उसकी पत्नी मिलकर उन्हें परेशान कर रहे हैं, इनकी भी काउंसलिंग जारी है
ऐसे मामलों में यदि शांत चित्त से घर परिवार एवं रिश्तेदार बैठकर आपस में बात करें तो परिवारिक विवाद समाप्त हो सकते हैं। पति व पत्नी को एक दूसरे की सही गलत का फर्क समझते हुए उस पर अमल करना चाहिए। काउंसलिंग में हम भी निष्पक्ष भाव से यही करते हैं। दोनों को सुनते हैं और समझाते हैं, कई-कई बार समझाने के बाद तमाम परिवार आज साथ रह रहे हैं।
ममता द्विवेदी
काउंसलर परिवार परामर्श केंद्र