नहीं गौर करते टीडीएस दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर टीडीएस चेक करने वाले मशीन को लेकर लोक पत्रिका चौराहा समीप रेस्टोरेंट पर रखे कैंपर वाले पानी का टीडीएस चेक किया. यहां टीडीएस की मात्र 440 से ऊपर मिला. वही कुछ दूर एक ऑटो दुकान पर रखे कैंपर के पानी को लेकर चेक किया. यहां चालीस के करीब मिला. सुभाष चौराहा समीप एक बैंक में चेक किया तो उधर भी 48 मिला. वहीं चौराहा समीप तमाम दुकानों में रखे कैंपर वाले पानी को चेक किया तो कहीं टीडीएस चार सौ पार मिला तो कही चार सौ से अधिक दिखा रहा था. 60 से कम होती है तो उसे मृदु जल कहा जाता है. इसको लेकर रिपोर्टर ने सभी से बातचीत की. ज्यादातर लोगों का जवाब था कि टीडीएस जांच पर गौर हीं नहीं करते हैं. जबकि कुछ ने बताया कि सिर्फ ठंडा पानी होने पर खरीदते हैं.

विनय कुमार सिंह

शुद्ध पानी के मानक
- टोटल डिसोल्वड सॉलिड्स 500 एमजी पर लीटर होना चाहिए।
- कैल्शियम 75 एमजी पर लीटर होना चाहिए।
- मैग्नीशियम का लेवल 30 एमजी पर लीटर होना चाहिए।
- जिंक की मात्रा 5 परसेंट पर लीटर होनी चाहिए।
- आयरन की मात्रा पानी में 1.0 प्रतिशत पर लीटर होनी चाहिए।

कैंपेन के जरिए अधिकारियों से अपील

गर्मियों की शुरुआत हो गई है। धीरे-धीरे तापमान बढ़ता चला रहा है। इसके साथ ही मिनरल वॉटर की डिमांड भी पहले से ज्यादा होती जा रही है। ऐसे में कैंपर वाले मिनरल वॉटर से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। यहां ये भी जरूरी है कि पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट कैंपर से पानी की सप्लाई करने वालों पर भी नजर रखे और ये बात सुनिश्चित करे कि लोगों की सेहत से कोई खिलवाड़ न हो।

- गली-मोहल्ले में धड़ल्ले से चल रहा इसका कारोबार
- कानून और किसी भी कार्रवाई से बेखौफ है ये लोग
- घरों से भी संचालित हो रहे इस अवैध कारोबार का खेल

न कोई रोक-टोक, न ही कोई मापदंड
जितने भी प्लांट शहर में बनाए गए हैं उनके ऊपर पब्लिक हेल्थ की किसी भी तरह की कोई रोक-टोक नहीं होती, न ही उनके लिए कोई मापदंड निर्धारित किए हुए होते हैं। लेकिन अगर कहीं से शिकायत मिलती है तो उसके सैंपल अवश्य ही लिए जाते हैं। एनवायरमेंट अफसर उत्तम कुमार वर्मा का कहना है कि पैक्ड बोतल का रजिस्ट्रेशन तो होता है, लेकिन कैंपर से दुकानों या दफ्तरों तक पहुंचने वाला पानी रजिस्टर्ड नहीं होता, न ही विभाग उनके लिए कोई मापदंड तय करता है। ऐसे में सबसे बड़ी चिंता यही है कि ज्यादातर दुकानों, दफ्तरों और बाजारों में कैंपर वाला मिनरल वॉटर ही सप्लाई होता है, जिससे आपके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।


दूषित पानी से हो सकते हैं बीमार
डा। अरूण कुमार गुप्ता (बीएचएमएस) का कहना है कि अगर पानी में सही तरह के मापदंड पूरे नहीं किए जाते तो उसमें काफी बीमारियों को न्यौता देने वाली बात होगी। उन्होंने कहा कि पब्लिक हेल्थ और नगर निगम को मिनरल वॉटर प्लांट पर नजर रखनी चाहिए और समय-समय पर पानी की जांच होनी चाहिए, क्योंकि ये पानी रोजाना हजारों लोग पीते हैं।


खाद्य सुरक्षा अधिकारी से बातचीत
सवाल
शहर में पानी सप्लाई करने वाले प्लांट की जांच पड़ताल होती है या नहीं
जवाब
हां समय-समय पर हम लोग निरीक्षण कर लेते हैं

सवाल
घर, दुकान, रेस्टोरेंट, बैंक में जो पानी का बोतल सप्लाई की जाती है उसकी जांच पड़ताल क्यों नहीं की जाती।
जवाब
ये लोग जो बोतल व कैंपर सप्लाई करते हैं उस पर पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर नहीं लिखते हैं जिसके कारण इनकी जांच हमारे अधिकार में नहीं है

सवाल
इसका मतलब है कि ये लोग किसी भी तरह का पानी सप्लाई करें आप कुछ नहीं कर सकते
जवाब
हम निरीक्षण जरूर कर लेते हैं लेकिन सैंपलिंग में परेशानी होती है। अभी तक तो इसके लिए हमारे पास कोई अधिकार नहीं है


विशेषज्ञों का कहना है
- बोतलबंद पानी जितना पुराना होता जाता है, उसमें एंटीमनी की मात्रा उतनी ही बढ़Þती जाती है। अगर यह रसायन किसी व्यक्ति के शरीर में जाता है, तो उसे जी मिचलाने, उल्टी और डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे साफ है कि बोतलबंद पानी शुद्धता और स्वच्छता का दावा चाहे जितना करें लेकिन वह सेहत की दृष्टि से सही नहीं है।

Posted By: Inextlive