काले लिबास में उदास चेहरे के साथ निकले रोजेदार
प्रयागराज ब्यूरो । हजरत अली की शहादत के सिलसिले में तीन रोज तक गमजदा रहने वाले अली इब्ने अबुतालिब के चाहने वाले भोर से ही सियाह लिबास में मस्जिद व इमामबाड़ों में जुटने लगे थे। मस्जिद काजी साहब बख्शी बाजार में इमाम ए जमात मौलाना जवादुल हैदर रिजवी ने बाजमात नमाज के बाद मजलिस को खिताब करते हुए कहा की कूफे की मस्जिद में फजिर की नमाज अदा कराने के दौरान हजरत अली के सर पर अब्दुल रहमान इब्ने मुल्जिम ने जहर बुझी तलवार से ऐसा वार किया की मौला ए कायनात अमीरुल मोमेनीन उस गहरे जख्म के ताब को न बर्दाश्त कर सके और इक्कीसवीं रमजान को मिस्कीनो यतीमों और बेवाओं को रात के अंधेरे में घर घर जा कर रोटियां पहुंचाने वाला इस दुनिया से रुखसत हो गया। बरसों बरस बीतने के बाद भी चाहने वाले उस शख्स के लिए आंसू बहा रहे हैं जो मौला ए कायनात के नाम से जाना जाता था।मजलिस में शहादत का जिक्र
रानीमंडी के धोबी गली इमामबाड़ा मिर्जा काजिम अली से भोर में कदीमी ताबूत का जुलूस निकाला गया। जैगम अब्बास मर्सियाख्वानी करते हुए जुलूस को अपने परम्परागत मार्गो से होते हुए इमामबाड़ा आजम हुसैन तक लेकर गए। रास्ते भर अकीदतमन्दों ने ताबूत पर सूती चादर व फूल माला चढ़ा कर मन्नतें व मुरादें मांगी। जीशान हैदर ने मजलिस को खिताब किया। करैली के जेके आशियाना में मस्जिद स्व अलहाज सैय्यद वजीर हुसैन में मीर कल्बे अब्बास मेरठी ने बाजमात नमाज ए फजिर अदा कराई तत्पश्चात मजलिस को खिताब करते हुए शहादत का जिक्र किया। नम आंखों के साथ गुलाब व चमेली के फूलों से सजा ताबूत जब निकाला गया तो चारों ओर से या अली मौला हैदर मौला की आवाजें गूंजने लगीं। अल कायम पर जुलूस के पहुंचने पर मौलाना मोहम्मद ताहिर ने मजलिस को खिताब कर जुलूस का समापन कराया। घंटाघर स्थित इमामबाड़ा सैय्यद मियां में हुई शहादत हजरत अली की मजलिस से पहले रजा इस्माइल सफवी ने सोज़ख्वानी पढ़ी तो जाकिरे अहलेबैत रजा अब्बास जैदी ने मजलिस को खिताब किया। 10वीं रमजान की रात रौशन बाग इमामबाड़ा सैय्यद मतलूब में मौलाना डाक्टर सैय्यद रिजवान हैदर रिजवी ने हजरत अली की जिंदगी और और उनके दौरे खिलाफत का विस्तार से वर्णन किया। बुझा दी गईं इमामबाड़े की सभी लाइटें
गमगीन मसाएब सुन कर अकीदतमन्दों की आंखें भर आईं। इमामबाड़े की सभी लाईटों को बुझाकर ताबूत ए अली निकाला गया तो जियारत को अकीदतमन्दों का हुजूम उमड़ पड़ा। अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमिया ने या अली मौला हैदर मौला की सदाओं के साथ मातम किया और गमगीन नौहा पढ़ा। जुलूस में मिर्जा काजिम अली, गौहर काजमी, नदीम अब्बास, डाक्टर ऐजाज, आफताब रिजवी, वकार रिजवी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, अलमास हसन, अली सज्जाद, इतरत नकवी, जैगम अब्बास, आसिफ रिजवी, शैदा रिजवी, जिया, डाक्टर ईशान जैदी, जामिन हसन आदि शामिल रहे।