Allahabad: छह साल का अनय दुबे प्रेप में स्टडी करता है. उसे नहीं पता कि जिमनास्टिक क्या होता है. इसके बावजूद डेली ही नेशनल स्पोट्र्स एकेडमी के जिम्नेजियम में वह पूरी शिद्दत के साथ ट्रेनिंग लेता नजर आता है. यहां ऐसा करने वाला अनय अकेला नहीं. उसके जैसे 143 नन्हे-मुन्ने खेल-खेल में जिमनास्ट बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं.

 

चार शिफ्ट में दी जा रही ट्रेनिंग

ट्रेनिंग दे रहे द्रोणाचार्य एवार्डी कोच डीके राठौर बताते हैं कि इस कैंप में 10 साल से नीचे एज वाले बच्चों को ही शामिल किया गया है। बच्चों को चार शिफ्ट में ट्रेनिंग दी जा रही है। पहली सुबह पांच से छह, दूसरी छह बजे से सात, तीसरी शाम पांच से छह और चौथी शाम छह से सात बजे तक। राठौर बताते हैं कि छह साल से 10 साल तक के बच्चे इस कैंप में हैं। जिमनास्टिक के लिए काफी हार्ड प्रैक्टिस करनी होती है। यही रीजन है कि इन बच्चों को गेम्स के सहारे जिमनास्टिक के लिए तैयार किया जा रहा है। गेम ऐसे हैं जो बच्चों को पसंद आए। इसका पूरा शेड्यूल बनाया गया है। मंडे को खो-खो, ट्यूजडे को कैच द बॉल, वेडनसडे को डॉग इन बोन, थर्सडे को रस्साकसी, फ्राइडे को इन ऑर आउट और सैटरडे को डांस बॉल।

 

सबका अपना फंडा

क्लास फस्र्ट में स्टडी करने वाला  प्रणव भी इसी कैंप में शामिल है। वह बताता है कि उसे जंपिंग में बहुत मजा आता है। इसी तरह अनहद इसी में खुश है कि आगे चलकर वह जिमनास्ट बनेगा। पहली बार ट्रेनिंग में आई श्रुति को वार्म अप करना अच्छा लगता है। यशवर्धन और अकल को पीटी करना पसंद है। इनके अलावा ज्यादातर बच्चों को जंपिंग में मजा आता है। पहले तो वह ऊपर से नीचे कूदने में डरते हैं। लेकिन जब नीचे गद्दे पर कूदते हैं और चोट नहीं लगती तो फिर उन्हें मस्ती करने का मन करता है। कुछ इसी तरह अन्य एक्सरसाइज में भी बच्चों को खेल-खेल में जिमनास्टिक की ट्रेनिंग दी जा रही है। मनीष यादव, ओम प्रकाश, राहुल शर्मा, उमेश, महेन्द्र और आराधना कोच डीके राठौर के मार्गदर्शन में खुद भी ट्रेनिंग ले रहे हैं और बच्चों को भी ट्रेंड करने में लगे रहते हैं। एक साल तक इसी तरह प्रैक्टिस करने के बाद बच्चों का शेड्यूल बदला जाएगा. 

 

Posted By: Inextlive