जीएसटी की पेचीदगी अब भी पूरी तरह से समझ नहीं पाये हैं व्यापारीहर महीने टैक्स भरने के लिए लेनी पड़ती है प्रोफेशनल्स की मददएक साधारण व्यापारी का जीएसटी पंजीकरण होने के बाद व्यापार करना आसान नहीं रह गया है. उसे बिजनेस से अधिक जीएसटी की जटिलताओं से उलझना पड़ता है. इससे बचने के लिए उसे प्रोफेशनल्स की मदद लेनी पड़ रही है. वर्तमान में तो प्रोफेशनल्स का भी जीएसटी भरने में पसीना छूट रहा है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत जीएसटी के नियम और पोर्टल है। यह साधारण व्यापारी की समझ से परे है।
अक्सर व्यापारी इनको समझने के चक्कर मे गलती कर बैठता है।
सबसे अहम कि रिटर्न भरने में अगर कोई गलती हुई तो फिर सुधार का मौका नहीं मिलेगा।
जीएसटी काउंसिल अब तक 1200 से अधिक संशोधन जीएसटी नियमों में कर चुकी है
व्यापारियों को रिटर्न संशोधन में किसी मौके की गुंजाइश नही दी जाती है।

कैटेगरी मेें है कन्फ्यूजन
जीएसटी में एक ही आइटम की इतनी अधिक कैटेगरी रखी गई है कि इसमें अपने आप कन्फ्यूजन हो जाता है।
हर कैटेगरी का अलग-टैक्स स्लैब है। अगर चूक गए तो बाद में फाइन लगाया जाएगा।
इसी तरह एचएसएन कोड में भी कन्फ्यूजन है।
हर प्रोडक्टर का स्पेसिफिकेशन अलग-अलग किया गया है।
अगर जूस में इनग्रेडिएंट बदल गया है तो एचएसएन कोड भी बदल जाएगा।
जीएसटी को इतनी बारीकी से समझने का टाइम व्यापारी के पास नही रहता है।
यही कारण है कि खुद से टैक्स भरने का जोखिम व्यापारी नही पालते हैं।

रखने होंगे महंगे साफ्टवेयर
जीएसटी रिटर्न भरने के लिए साफ्टवेयर पर खर्च भी बढ़ गया है। साफ्टवेयर अपडेट न होने से बिजनेस की इंट्री करने में दिक्कत आती है। इसमें समय भी बहुत लगता है। 75 फीसदी व्यापारियों को जीएसटी का रिटर्न भरना आज की डेट में नहीं आता है। यह बात खुद व्यापारी स्वीकार करते हैं। उनका काम अक्सर सीए प्रोफेशनल्स या टैक्स विशेषज्ञ वकीलों को करना पड़ता है। इसका वह चार्ज भी वसूलते हैं।

2022 में कब कौन सा भरना होगा बिल
रिटर्न ड्यू डेट
जीएसटी रिटर्न 4 30 अप्रैल
जीएसटी रिटर्न 5 20 मई
जीएसटी रिटर्न 6 13 मई
जीएसटी रिटर्न 7 10 मई
जीएसटी रिटर्न 8 10 मई
जीएसटी रिटर्न 9 31 दिसंबर
जीएसटी रिटर्न 9सी 31 दिसंबर
जीएसटी सीएमपी 08 18 जुलाई

व्यापारियों की मांग है कि जीएसटी को सरल बनाया जाए। जिससे इसे आम व्यापारी समझ सके। अभी तो सारा काम प्रोफेशनल्स के भरोसे चल रहा है। वह जैसा कहते हैं व्यापारी को वैसा ही करना पड़ता है।
अभिषेक अग्रवाल, व्यापारी

खुद सरकार ने जीएसटी में 1200 से अधिक संशोधन कर दिए हैं। व्यापारी रिटर्न भरे तो इसमें संशोधन का कोई रास्ता नही है। इसमें भी बदलाव करना जरूरी है।
शिशिर केसरवानी, व्यापारी

इस समय पांच तरह की टैक्स स्लैब है। व्यापारी इसे समझ नही पाते हैं। अगर वह खुद टैक्स भरने जाते हैं तो गलती कर बैठते हैं। कभी एचएसएन कोड गलत डाल देते हैं। माइनर अंतर को समझने में उन्हें समय लगता है।
अन्नू पांडेय, व्यापारी

गिनती के व्यापारी होंगे जो जीएसटी को बारीकी से समझ पाए होंगे। बाकी तो संशोधन में उलझे रहते हैं। बहुत से व्यापारी तो कागज और बिल कलेक्ट करने में ही अपना काफी समय लगा देते हैं।
विभु अग्रवाल, व्यापारी

Posted By: Inextlive