प्रयागराज में पहली बार लगने जा रहा ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट
प्रयागराज ब्यूरो । नैनी में लगने वाले इस प्लांट से रोजाना एक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। डॉ। मिश्रा ने बताया कि ग्रीन हाईड्रोजन को फसलों के वेस्टेज जैसे पराली, सरसों या दूसरे पौधों की डंठल आदि से एक ही प्रॉसेस से बनाया जाएगा। धीरे धीरे ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में बढ़ोतरी की जाएगी। वर्तमान में मिर्जापुर के चुनार में ग्रीन हाइड्रोजन का प्लांट इसी कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा है। जिससे प्रतिदिन 50 किलो ग्रीन हाइड्रोजन, 300 किलो स्मोकलेस बायो कोल और 200 किलो सीएनजी उत्पादन हो रहा है। क्या है ग्रीन हाइड्रेजन
जब पानी से बिजली गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल बहुत सारी चीजों को पावर देने में होता है। अगर हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली किसी रिन्यूएबल सोर्स से आती है, मतलब ऐसे सोर्स से आती है जिसमें बिजली बनाने में प्रदूषण नहीं होता है तो इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। अब एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर ग्रीन हाइड्रोजन की जरूरत पड़ी क्यों? दरअसल केंद्र सरकार ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन बहुत महत्व दे रहा है। 2030 तक सरकार ने पर डे 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का निर्णय लिया है।