आईटीसी मिसमैच मामले में सरकारी राहत बनी सिरदर्द
प्रयागराज ब्यूरो । कभी कभी सरकारी राहत ऐसे होती है कि चाहकर भी कोई उसका लाभ नही ले सकता। ठीक ऐसा ही व्यापारियों के साथ आईटीसी मिस मैच मामले में हो रहा है। 2017-18 वित्तीय वर्ष में आईटीसी मिसमैच मामले में सरकार की ओर से जिले के तीस हजार व्यापारियों को नोटिस भेजा गया है। इन सभी को नोटिस का जवाब देने के लिए भी कहा गया है। व्यापारियों की मांग पर सरकार ने राहत के तौर पर न्यूनतम वैल्यू मिसमैच होने पर नोटिस को इग्नोर करने की राहत तो दी लेकिन इस वैल्यू का मानक तय नही किया। ऐसे में व्यापारी परेशान है कि हम किस एमाउंट को न्यूनतम वैल्यू मानकर चलें। वर्तमान में हजारों व्यापारी इस कन्फ्यूजन का शिकार हो रहे हैं।
लगा गलत आईटीसी लेने का आरोप
सरकार की ओर से हजारों व्यापारियों पर गलत आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का आरोप लगाया है। इसके एवज में उन्हें नोटिस भेजा गया है। जिसका जवाब 15 से 20 दिनों के भीतर देना है। जवाब देने में लापरवाही बरतने पर जीएसटी विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी। यह सभी नोटिस
2017-18 वित्तीय वर्ष के तहत दिए गए हैं। जब व्यापारियों ने हल्ला मचाया तो सरकार की ओर कहा गया कि जीरो वैल्यू और न्यूनतम वैल्यू पर नोटिस का जवाब नही देना होगा। अब व्यापारियों का कहना है कि यह न्यूनतम वैल्यू है क्या? सरकार क्लीयर कर दे तो व्यापारी भी राहत की सांस ले सकेंगे।
50 रुपए की आईटीसी मिसमैच का नोटिस
इतना ही नही, जीएसटी विभाग की ओर से भेजे गए नोटिस में मिसमैच एमाउंट भी अजीबो गरीब हैं। एक बड़े व्यापारी को पचास रुपए मिसमैच का नोटिस आया है। वह निर्णय नही ले पा रहे हैं कि यह न्यूनतम वैल्यू में आएगा कि नही। उन्होंने इस मामले में एक एक्सपर्ट से बात की तो उन्होंने तत्काल नोटिस का जवाब देने की बात कही। कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में पचास रुपए के मिसमैच के पीछे व्यापारी को किसी बड़ी कार्रवाई का शिकार होना पड़ जाए। फिल्टर लगा दें तो भी चले काम
व्यापारियों का आरोप है कि यह नोटिस जीएसटी पोर्टल के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से दिए जा रहे हैं। अब अगर सरकार एआई पर फिल्टर लगा दे तो अपने आप क्राइटेरिया फिक्स हो जाएगा। यानी व्यापारियों को उस कैटेगरी के ऊपर होने पर भी नोटिस जाएगा। लेकिन जीएसटी विभाग यह कदम भी नही उठा रहा है। जिससे व्यापारियों को थोड़ी बहुत राहत भी मिल सके।
ऐसी राहत का व्यापारियों कोई फायदा नही है। वह और ज्यादा उलझ गए हैं। जिनको इस नियम से राहत मिल सकती थी उनको भी अब जवाब देना पड़ रहा है। इस मामले में सरकार को जल्द कदम उठाना होगा।
महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, कैट
अनुपम अग्रवाल, व्यापारी सबसे अहम कि काफी छोटे एमाउंट मिसमैच होने पर भी नोटिस भेजा गया है। इनका भी क्राइटेरिया फिक्स नही है। यह काफी अजीबो गरीब मामला हो गया है। जिसका जवाब हजारों व्यापारियों के पास नही है।
सुशांत केसरवानी
अध्यक्ष, प्रयागराज व्यापार मंडल