चार दिन पहले गवर्नमेंट ने किया इंकार

लापरवाही के चलते पोर्टल पर दर्ज नहीं हो सका नाम

बिना वैक्सीनेशन करना पड़ रहा है मरीजों का इलाज

कोरोना काल में कोविड मरीजों का इलाज करने वाले मेडिकल कॉलेज के यूजी और पीजी स्टूडेंट्स को कोरोना का टीका नहीं लगेगा। गवर्नमेंट ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की रिक्वेस्ट को ठुकरा दिया है। कोविन पोर्टल में नाम फीड करने के दौरान बरती गई लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है। उनके अलावा सैकड़ों की सख्या में डॉक्टर्स भी हैं जो वैक्सीनेशन अभियान का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। उनके नाम को भी गवर्नमेंट ने रिफ्यूज कर दिया है।

एक लापरवाही से हुआ नुकसान

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के यूजी और पीजी स्टूडेंट मिलाकर 1300 और अन्य सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स को मिलाकर 1700 हेल्थ वर्कर्स को टीकाकरण अभियान में जगह नहीं मिली है। यह सभी वैक्सीनेशन के लिए एलिजिबल थे। केवल एक लापरवाही से इनका नाम टीकाकरण से बाहर हो गया। दरअसल मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यूजी और पीजी छात्रों का नाम पोर्टल पर फीड तो किया लेकिन रेफरेंस में आधार कार्ड अपलोड कर दिया। जबकि इसकी मनाही थी। इसके चलते पोर्टल ने सभी का नाम रिजेक्ट कर दिया। किसी अन्य कारण से अन्य डॉक्टर्स का नाम भी पोर्टल में उपलब्ध नहीं था जिससे उन्हें कोरोना का टीका नहीं लगाया गया।

12 जनवरी बंद हो गया था एकाउंट

कोविन पोर्टल में फ‌र्स्ट फेज के रजिस्ट्रेशन की आखिरी डेट 12 जनवरी थी।

इसके बाद हेल्थ वर्कर्स का एकाउंट बंद कर दिया गया।

इसके बाद किसी भी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ का नाम पोर्टल पर दर्ज नहीं किया गया है।

पूरे जिलेभर में 31 हजार हेल्थ वर्कर्स का नाम पोर्टल पर अपलोड है

इनको कोरोना का टीका लगाया जा रहा है।

अब बड़ी संख्या में डॉक्टर्स सामने आ रहे हैं जिनका नाम पोर्टल पर नहीं चढ़ सका है।

यह लोग सीएमओ आफिस का चक्कर काट टीकाकरण कराने की मांग कर रहे हैं।

खतरों से घिरे रहते हैं मेडिकल स्टूडेंट

सरकार की मंशा थी कि फ‌र्स्ट फेज में हॉस्पिटल या क्लीनिक में काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगा दिया जाए। जिससे वह इलाज के दौरान पूरी तरह से सेफ रहें। लेकिन अफसोस की बात रही कि एसआरएन हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के बीच लगातार काम कर रहे यूजी और पीजी स्टूडेंट इस टीकाकरण से महरूम रह गए हैं। अब उनको प्राइवेट टीकाकरण का इंतजार है। वहां से वैक्सीन लगवाकर वह कोरोना से खुद को महफूज रख सकेंगे।

एक दिन पोर्टल खोलने की मांग

हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से लेटर भेजकर एक दिन के लिए हेल्थ वर्कर्स का पोर्टल खोलने की मांग की गई थी। जिसमें कहा गया था कि हेल्थ वर्कर्स का एकाउंट ओपेन कर देंगे तो छूटे हुए 1700 डॉक्टर्स का नाम दर्ज करा दिया जाएगा। लेकिन इसके जवाब में गवर्नमेंट से सीधे इंकार करते हुए सभी के नाम रिफ्यूज कर दिए। अब यह लोग प्राइवेट तौर पर ही टीका लगवाएंगे।

Posted By: Inextlive