मोबाइल चैट को साक्ष्य बताकर नवंबर में ही पुलिस ने किया था घटना का खुलासा तीनों को भेजा था जेलहत्या में इनवाल्वमेंट न मिलने पर फरवरी में सीओ ने लगायी रिपोर्ट तो तीनो बाहर आए थे जेल सेफाफामऊ के गोहरी में दंपति और उसके दो बच्चों एक बेटा व एक बेटी की हत्या ने तीन युवकों के दामन पर खून का दाग लगा दिया. जुर्म में किसी तरह का इनवाल्वमेंट न होने के बाद भी उन्हें 62 दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे रात बितानी पड़ी. हालांकि वे जेल से बाहर आ चुके हैं. बुधवार को नया खुलासा हो जाने के बाद चैन की नींद भी ले रहे होंगे. लेकिन बड़ा सवाल अब भी यह है कि इनकी जिंदगी के 62 खूबसूरत दिन कैसे वापस लौटेंगे. इन परिवार के लोगों ने इस दौरान जो सामाजिक बहिष्कार झेला उसकी भरपाई कौन करेगा?

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। गोहरी में चार लोगों की हत्या का पता 25 नवंबर चला था। दलित परिवार की सामूहिक नृशंस हत्या की खबर से सरकार तक के कान खड़े हो गए थे। मौत के घाट उतारी गई युवती से रेप की भी पुष्टि हुई थी। इसके बाद प्रकरण ने तूल पकड़ लिया था। घटना के बाद मारे गए मुखिया के भाई की तहरीर पर कुल 11 लोगों के खिलाफ फाफामऊ थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि जमीन के विवाद में हत्या की गई है। नामजद मुकदमे के बाद पुलिस द्वारा इन सभी आरोपितों से भी पूछताछ और छानबीन की गई। पुलिस को एक भी सुबूत इनके खिलाफ नहीं मिला। इससे वे सभी जेल जाने से बच गये।
कॉल डिटेल से हुआ था दूसरा खुलासा
गोहरी कांड की पड़ताल में जुटी पुलिस ने युवती के वाट्सएप चैट का डाटा रिकवर कराया तो थरवई इलाके के कोड़सर निवासी राजकुमार के बेटे पवन सरोज तक जा पहुंची। इसी को बेस बनाकर पुलिस ने घटना का खुलासा कर दिया। एडीजी ने ही प्रकरण का खुलासा करते हुए चैट रिकॉर्ड के आधार पर उसे कातिल बताया गया था। इस खुलासे पर सवाल कई सवाल उठे थे जिससे पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। इसके बाद भी पवन जेल भेज दिया गया।
रिलेशनशिप बना तीसरे खुलासे का बेस
पवन को जेल भेजे जाने के बाद सवाल उठे तो पुलिस ने जांच को कांटीन्यू कर दिया। मोबाइल रिकॉर्ड और मारी गयी युवती की कोचिंग से मिले क्लू के आधार पर पुलिस युवती के कथित प्रेमी शशी व उसके मौसेरे भाई रजनीश तक पहुंची। बताया कि युवती से शशी का रिलेशन था। युवती शादी के लिए दबाव बना रही थी। उसने धमकी दी थी कि शादी न करने पर वह उसे सबक सिखायेगी। इसी को आधार बनाकर पुलिस ने चालान बनाया और दोनों को जेल भेज दिया। अच्छी बात यह रही कि पुलिस ने यहीं पर मामले को क्लोज नहीं किया। कई महीने तक पुलिस तीनों युवकों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने की कोशिश में लगी रही लेकिन सफलता नहीं मिला। फाइनली फरवरी में आईपीसी की धारा 179 के तहत जेल भेजे गए तीनों युवकों को निर्दोष बताते हुए रिपोर्ट कोर्ट भेजी गई.पुलिस की इस रिपोर्ट पर तीनों युवक फरवरी महीने में जेल से बाहर आ गए।

कैसे साफ करेंगे यह दाग?
गोहरी सामूहिक हत्याकांड में जिन 11 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ था उसमें आकाश पुत्र अमित, बबली सिंह, अमित सिंह पुत्र स्व। अरुण सिंह, रवि व मनीष पुत्रगण रामगोपाल, अभय, राजा, रंचू एवं कुलदीप कान्हा ठाकुर व अशोक सिंह पुत्रगण मान सिंह निवासी मोहनगंज गोहरी का नाम शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 256/21 धारा 147, 148, 149, 302, 376-डी, आईपीसी 3/4 पास्को एक्ट व 3(2) 5 एससीएसटी एक्ट की धाराएं लगाई गई थीं। ये सभी तो जेल जाने से बच गये लेकिन इसी धारा में बेगुनाह तीनों युवक भी जेल भेजे गए थे। इनके जीवन के काले अध्याय को वक्त कब तक भर पायेगा यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन, बुधवार को इनके घर में खुशी ने जरूर अपने कदम रख दिये।

गोहरी कांड में पहले जेल भेजे गए एक युवक के मोबाइल चैट मिले थे। उसके जरिए दो और युवकों का नाम सामने आया था। शक के आधार पर जेल भेजा गया था। जब कोई साक्ष्य नहीं मिला तो पुलिस की रिपोर्ट पर तीनों छोड़ दिए गए।
अभिषेक दीक्षित, एसपी गंगापार

Posted By: Inextlive