बैंक जाकर ही जमा कराएं केवाईसी
प्रयागराज (ब्यूरो)। लोगों के पास किस तरह कॉल आ रही हैं और कैसे उनको खाता बंद होने के नाम पर ब्लैकमेल किया जा रहा है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस तरह की शिकायतो पर जब हमने पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई। सवाल यह है कि किस तरह से लोगों का डाटा लीक हो रहा है और साइबर लुटेरे कैसे लोगों की बेसिक जानकारी जुटा ले रहे हैं। आइए जानते हैं कि कैसे लोगों पर बनाया जा रहा दबाव
केस नंबर वन लूकरगंज की रहने वाली अर्चना के पास पिछले सप्ताह एक कॉल आई। जिसमें कहा गया कि उनका खाता बंद होने वाला है। इसलिए बिना देरी किए अपना केवाईसी अपडेट करा लें। उन्होंने अर्चना से उनका बैंक एकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर मांगा और फिर एक ओटीपी भेज दी। लेकिन इस बीच अर्चना को शक हो गया और उन्होंने तत्काल फोन कट कर दिया।
केस नंबर टू चौक के रहने वाली व्यापारी अनिल के पास हाल ही में एक कॉल आई। जिसमें एक लड़की ने उनसे कहा कि अपना केवाईसी अपडेट करा लें वरना बैंक खाता सीज कर दिया जाएगा। जब अनिल ने बैंक खाता और मोबाइल नंबर सहित तमाम जानकारी देने से मना कर दिया तो उधर से लड़की और उसके साथी ने अनाप शनाप बोलना शुरू कर दिया।
एक्सपट्र्स का कहना है कि बैंक अपने ग्राहक को कभी भी फोन पर केवाईसी अपडेट कराने को नही कहता है। इसके लिए ब्रांच बुलाया जाता है। यहां पर पैन कार्ड, आधार, डीएल, वोटर आईडी कार्ड, पासबुक में से किसी एक आईडी को दिखाने से केवाईसी अपडेट हो जाती है। इस प्रक्रिया में महज 15 मिनट का समय लगता है। लोग बैंक आने से बचने के लिए फ्रॉड के जाल में फंस जाते हैं।
रिमोट पर चला जाता है मोबाइल
आमतौर पर लोगों को मोबाइल नंबर तमाम बैंक के अलग अलग खातों में दर्ज रहता है। इसके अलावा एलआईसी सहित अन्य इंश्योरेंस पालिसी में भी नंबर को दर्ज कराया जाता है। ऐसे में इस नंबर पर भेजे गए लिंक को एक्सेप्ट करने के बाद तमाम ऐप के जरिए मोबाइल फोन को रिमोट से संचालित किया जा सकता है। ऐसे में साइबर क्रिमिनल आपके बैंक खाते से रुपए उड़ा सकता है या आपकी निजी जानकारी को प्राप्त कर सकता है। इसी तरह क्यूआर कोड को भी स्कैन करने को कहा जाता है। यहां पर भी साइबर लुटेरे यही प्रॉसेस फॉलो करते हैं। आए दिन तमाम मामले ऐसे सामने आते है जब लोगों के खाते से ऐसे ही फा्रॅड कर रुपए उड़ा लिए गए।
अंकिता भार्गव चीफ मैनेजर, एसबीआई मेन ब्रांच