लगातार बढ़ रहे सब्जी के दामों से आमजन का बिगड़ रहा बजटलहसुन और अदरक का भाव मार्केट में टमाटर से दो और तीन गुना है ज्यादा बारिश से लोकल किसानों के खेत में हरी सब्जियों का उत्पादन घटने से बाहरी काट रहे हैं जेबगरीबों के लिए चटनी रोटी भी खाना हुआ दुश्वार अगले दो माह तक रेट गिरने के आसार नहीं

प्रयागराज ब्यूरो । बारिश का पानी सब्जियों के भाव में लगी आग में पेट्रोल साबित हो रहा है। बारिश की वजह से लोकल किसानों के खेत की हरी सब्जियों के पौध खराब होने लगे हैं। ऐसी स्थिति में पैदावार के घटने से मार्केट में हरी सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। लोकल में उत्पादन क्षमता घटते ही मंडियों से बाहर से आने वाली सब्जियां खुदरा व्यापारियों को काफी महंगी मिल रही हैं। आलम यह है कि 40 लीस रुपये के नीचे कोई हरी सब्जी है ही नहीं। अदर व लहसुन का भाव टमाटर की अपेक्षा दो से तीन गुना बढ़े हुए हैं। मार्केट में सब्जियों के भाव को सुनते ही गरीबों के पसीने छूट जा रहे हैं। अति गरीब तबके के लोग टमाटर की चटनी और प्याज नमक से चोटी चावल खाकर पेट पाल लेते थे। इस महंगाई में अब उनके लिए तो चटनी प्याज खाना भी दुश्वार हो गया है। खुदरा मार्केट में सब्जियों के रेट और समस्याओं का दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शुक्रवार को सर्वे किया। दांत खट्टे करने वाले भाव को देखते हुए कुछ चीजों को आप्शन की तलाश शुरू की गई। पता चला कि मार्केट में अदरक व लहसुन ही नहीं टमाटर के भी आप्शन मौजूद हैं। मतलब यह कि आसमान छू रहे सब्जियों के भाव को लेकर परेशान होने के बजाय लोगों को आप्शन खोजने की जरूरत है।

लोकल में जो सब्जी है भी व्यापारी बढ़ा रहे दाम
लोकल के ज्यादातर किसान अपनी आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखे हुए हैं। अच्छी इनकम कमाने की मंशा से वे अभी स्टोर से आलू निकाल नहीं रहे। वह आलू बुवाई के सीजन में कोल्ड स्टोर से आलू निकालते हैं। किसानों के पास जितना आलू बाहर डंप था वह करीब लोकल मार्केट से खत्म हो चुका है। इन दिनों शहर की मंडियों में व्यापारी आलू बाहर से मंगा रहे हैं। बाहर से मंगाई गई आलू पर वह कई तरह के रुपयों का जोड़कर पब्लिक से वसूलते हैं। व्यापारी जितने में आलू पाते हैं उसे दस पांच रुपये बढ़ा कर लेते हैं। ऊपर से आलू लाने में खर्च हुआ ट्रक या छोटे भार वाहनों का भाड़ा इसके बाद आलू के सूखने पर घटने वाले वजन आदि को चार्ज करते हैं। ऐसी स्थिति में आलू मार्केट में 25 रुपये किलो 90 रुपये में पांच किलो बिक रही है। पड़ताल में मालूम चला कि लोकल में किसानों के पास से टमाटर खत्म हो गया है। जिन किसानों के खेत में टमाटर था भी बारिश में पौधे सडऩे के कगार पर पहुंच गए हैं। बताते हैं कि ऐसी स्थिति में लोकल स्तर पर किसानों के पास से टमाटर समाप्त होने के कारण बाहर से आ रहा है। बाहर भी बारिश के चलते फसल की स्थिति डैमेज हो चुकी है। ज्यादातर टमाटर कोल्ड स्टोरेज से बाहरी किसानों से खरीद कर थोक व्यापारी सप्लाई कर रहे हैं। बताते हैं कि बाहर भी बारिश के कारण टमाटर के रेट काफी बढ़ गए हैं। अदरक बाहर से भी बारिश के चलते नहीं आ पा रही है। ऐसी स्थिति में अदरक खुदरा मार्केट में 300 से 320 रुपये में बिक रही है। लहसुन का रेट भी 200 के पार पहुंच गया है। परवल और टमाटर का रेट करीब सेम हो चला है। किसानों के खेत में बारिश के पानी से कद्दू के पौध भी सडऩे लगे हैं। फूल बारिश से बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में इसकी भी पैदावार घट गई है। जिसके चलते दस पंद्रह रुपये किलो बिकने वाले कद्दू का रेट मार्केट में 30 से 40 रुपये किलो चल रहा है।

'फूलÓ बना रहा सब्जियों का फूल
सब्जियों को उत्पादित करने वाले किसान बुदुल पटेल, जासे मौर्या, विजय मौर्या आदि कहते हैं कि बारिश के पानी से बैगन, कद्दू, नेनुआ करेला, भिंडी जैसी सब्यिों के पौधे तो खराब हो ही रहे हैं। उनमें लगे फूल भी सड़क जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हरी सब्जियों का खेतों में उत्पादन लोकल किसानों के पास डिमांड के अनुरूप नहीं हो पा रहा है। हालांकि आज भी किसान व्यापारियों को अपने खेत की सब्जी दस से बीस रुपये किलो में ही बेचते हैं। मगर मार्केट में उसी सब्जी की कीमत व्यापारी दो से डेढ़ गुना ज्यादा रेट में बेच रहे हैं। किसानों की मानें तो बारिश तक सब्जियों के रेट में गिरावट की गुंजाइश नहीं दिख रही है।


इन आप्शन का कर सकत हैं इस्तेमाल
खुदरा मार्केट में टमाटर का भाव 120 रुपये किलो चल रहा है। मार्केट में इसका आप्शन मौजूद है जो लोगों को राहत दे सकता है।
पैकेट बंद मार्केट में टमाटर के पेस्ट मौजूद हैं। बताते हैं कि साबुत टमाटर की तुलना में पैकेट बंद टमाटर का यह पेस्ट काफी सस्ता मिलता है।
जिससे लोग अपना काम चला सकते हैं। जहां तक रहा खुदरा मार्केट में 300 या 320 रुपये किलो अदरक का तो पैकेट बंद मार्केट में इसका भी पेस्ट मौजूद है।
जो इस खुदरा मार्केट से काफी सस्ता है। लोग साबुत अदरक की जगह अदरक के पेस्ट से काम चला सकते हैं।
साबुत प्याज लेने के बजाय रोस्टेड प्याज से काम चलाया जा सकता है। पैकेट बंद रोस्टेड प्याज मार्केट में वजन के हिसाब से अलग-अलग रेट में मौजूद है।
यह रेट साबुत प्याज से सस्ता बताए जा रहे हैं। किचन मैनेजमेंट के एक्सपर्ट करते हैं कि हरी सब्जियों के रेट में लगी आग से राहत पाने के कई रास्ते हैं।
इन सब्जियों की अपेक्षा लोग राजमा और दाल की वैरायटी में चेंज करके राहत पा सकते हैं।
दाल मसूर अथवा उड़द, चना या फिर मटर की हरी सब्जियों की तुलना में सस्ती भी पड़ेगी और प्रोटीन भी पर्याप्त मात्रा में मिलेगी।
हरी सब्जियों में इतनी समय पालक व चौराई जैसी अन्य सब्जियां भी आ रही हैं। बनाने में थोड़ी मेहनत जरूर होती है पर इसके फायदा अन्य हरी सब्जियों से कहीं ज्यादा होते हैं और सस्ती भी है।


खुदरा मार्केट में सब्जियों के रेट
सब्जी रेट प्रति केजी
अदरक 320 रुपये
लहसुन 240 रुपये
परवल 100 से 120 रुपये
शिमला मिर्च 160 रुपये
प्याज 30 से 40 रुपये
करेला 80 रुपये
गोभी 70 से 80 रुपये
कद्दू 30 रुपये
भिंडी 60 रुपये
आलू 25 रुपये
अरवी 60 रुपये
बैगन 80 रुपये
आलू 25 रुपये
नेनुआ 30 से 40 रुपये

Posted By: Inextlive