कचहरी में प्रवेश के हैं सात द्वार किसी पर नहीं है सुरक्षा के इंतजामयहां शो पीस बने हैं मेटल डिटेक्टर

प्रयागराज (ब्यूरो)।कचहरी में कोई भी किसी का भी 'गेमÓ बजा सकता है। कचहरी में गंभीर मामलों की पैरवी करने या गवाही देने जाइए तो अपनी सुरक्षा व्यवस्था खुद पुख्ता करके जाइए। वरना कोई हादसा हुआ तो फिर जिम्मेदारी कोई लेने वाला नहीं है। ऐसा नहीं कि कचहरी में पुलिस रहती नहीं है, मगर कहां रहती है, क्या करती रहती है इस बारे में कोई सवाल का जवाब देने वाला भी नहीं है। जब राजधानी लखनऊ कचहरी में कुख्यात अपराधी मौत के घाट उतारा जा सकता है तो फिर आम लोगों की क्या बिसात। बुधवार को लखनऊ कचहरी में कुख्यात संजीव जीवा को मार दिया गया। ऐसे में बृहस्पतिवार को प्रयागराज कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की गई तो पता चला की सुरक्षा राम भरोसे है।
कचहरी में सात प्रवेश द्वार
कचहरी में प्रवेश के सात दरवाजे हैं। पहला रास्ता जिलाधिकारी कार्यालय जाने वाला, दूसरा रास्ता विकास भवन के सामने से, दो रास्ते पुलिस कमिश्नर न्यायायल के सामने से, एक रास्ता नई बिल्डिंग से, दो रास्ते मुख्तारखाना के पास से कचहरी के अंदर जाते हैं। अंदर नई बिल्डिंग में जाने के लिए रास्ते पर मेटल डिटेक्टर लगा है। मगर न तो वहां कोई सिपाही रहता है और न ही मेटल डिटेक्टर चलता है। ऐसे में कौन अंदर जा रहा है कौन बाहर जा रहा है पूछने वाला कोई नहीं है। ये बात दीगर है कि कहीं किसी कचहरी में कोई घटना हो जाती है तो फिर यहां भी हड़कंप मच जाता है। पुलिस अफसर भागदौड़ करते हैं मगर दो चार दिन बाद सुरक्षा फिर ढांक के तीन पात हो जाती है।

कचहरी एक नजर
- कचहरी में प्रवेश के सात द्वार
- कचहरी में करीब 6 हजार अधिवक्ता
- जिला जज की एक कोर्ट
- 22 अपर जिला जज की कोर्ट
- 16 मजिस्टे्रट की कोर्ट
- 26 सिविल कोर्ट

जिजा जज से मिले पदाधिकारी
बुधवार को जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गिरीश तिवारी ने जिला जज संतोष राय से मुलाकात की। अध्यक्ष ने जिला जज से कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जताई। जिस पर जिला जज ने आवश्यक कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधि मंडल में मंत्री विद्यावारिधी मिश्रा, उपाध्यक्ष देवकांत, संयुक्त मंत्री रेवतीरमण त्रिपाठी शामिल रहे।

की सुरक्षा के संबंध में एलआईयू (लोकल इंवेस्टिगेशन यूनिट) से इनपुट लें। इनपुट के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था टाइट रखें। जनपद न्यायाधीश और अधिवक्ता संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करके सुरक्षा व्यवस्था बनाएं।

सुरक्षा व्यवस्था पर बोले अधिवक्ता

कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति बेहद कमजोर है। आए दिन मुवक्किलों और वकीलों में विवाद होते रहते हैं। अधिवक्ता सुरक्षित नहीं हैं। पुलिस अधिवक्तओं की शिकायत नहीं सुनती है।
रोचक त्रिपाठी, अधिवक्ता

अधिवक्ता पीडि़तों को न्याय दिलाने का काम करता है। मगर अधिवक्तओं को जब न्याय की जरुरत पड़ती है तो पुलिस कोई ठोस कदम नहीं उठाती है। कचहरी में सुरक्षा के लिए पुख्ता कार्ययोजना की जरुरत है।
बृजेश ओझा, वरिष्ठ अधिवक्त

पुलिस हमेशा अधिवक्ता समाज की छवि को धूमिल करने का प्रयास करती है। शायद यही कारण है कि कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस अफसर कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाते हैं। जबकि अधिवक्ता हमेशा ईमानदारी से अपना काम करता है।
श्यामधर मिश्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता

अधिवक्ता कानून की रक्षा करता है। अधिवक्ता समाज पढ़े लिखे तबके का प्रतिनिधित्व करता है। मगर पुलिस कोई सहयोग नहीं करती है। कचहरी से लेकर बाहर तक पुलिस हमेशा अधिवक्ता समाज के खिलाफ रहती है।
सुमित शुक्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता

पुलिस की वजह से अधिवक्ता समाज की छवि धूमिल होती है। पुलिस सहयोग करे तो आम व्यक्ति को जहां न्याय मिले वहीं अधिवक्ता समाज भी खुद को सुरक्षित महसूस करे। पुलिस की लापरवाही से कचहरी में भी सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ नहीं है।
अभिषेक राय, वरिष्ठ अधिवक्ता


कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था ठीक है। कचहरी में पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। जरुरत पडऩे पर कचहरी के लिए अतिरिक्त पुलिस कर्मी रिजर्व में रखे गए हैं।
राजेश यादव, एसीपी कर्नलगंज

Posted By: Inextlive