कचहरी पहुंचे तो वादकारियों का मालूम चला न्यायिक कार्य से विरत हैं अधिवक्ता

प्रयागराज ब्यूरो । क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: बुद्ध पूर्णिमा के मद्देनजर आज कचहरी आने के बाद जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों द्वारा न्यायिक कार्य से विरत रहने की घोषणा कर दी गई। वकील के न्यायिक कार्य से विरत रहने के कारण केस के सिलसिले में दूर दराज से आने वाले वादकारियों को मन मसोस कर वापस लौटना पड़ा। क्योंकि घर से आने में उनका सिर्फ किराया भाड़ा ही नहीं कीमती वक्त भी बर्बाद हो गया। मुकदमा था तो आना उनकी मजदूरी भी थी। मगर, ऐसे वादकारियों का कहना था कि अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे यह बात उन्हें कचहरी आकर मालूम चली। यदि एक दिन पहले या घर पर थे तभी मालूम चल जाता तो उनका समय ही नहीं किराया भाड़ा पर खर्च होने वाला पैसा भी बच जाता। इस बचे हुए समय में दूसरे काम करके वे दो पैसा कमा भी सकते थे। काम कोई हुआ नहीं, लिहाजा वह अपने-अपने अधिवक्ता से मिलकर घर चले गए।


आज जमीन के एक केस की पैरवी में आए थे। कचहरी पहुंचे तो मालूम चला कि अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत हैं। आज कुछ होगा ही नहीं। वकील साहब को फीस दे दिए और वापस जा रहे हैं। अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे, यह मालूम होता तो आज नहीं आते। मांडा से एक बार कचहरी आने पर कम से कम एक से डेढ़ हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। साधन पकडऩे में जो फजीहत और वक्त बर्बाद होता है वह अलग। चार रुपये तो केवल किराए में ही खर्च हो जाते हैं।
अशोक कुमार, मांडा

हमारी जमीन पर दूसरे गांव के लोग कब्जा कर लिए हैं। कई साल से केस चल रहा है। तारीख आज भी लगी थी इसी लिए सारा काम धंधा छोड़कर चले आए। यह बात पता नहीं था कि आज अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। फीस तो अधिवक्ता की जनता ही है भाई वे मेहनत करते हैं। हम आज नहीं आते तो कम से कम हमारा समय बच जाता दूसरे काम कर लेते। सौ दो सौ किराया भाड़ा भी बच जाता। पूरा दिन चला गया आने और जाने भर का ही हुए। अब मुकदमा है तो आदमी आएगा ही चाहे जैसे।
परोपकार मिश्र, बहरिया

हम बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं साहब, मेहनत मजदूरी करते हैं। हमारे भैकरा का मुकदमा था। उन्हीं के साथ आए थे आज कुछ गवाही ओवाही होनी थी। अब पता चल रहा कि डेट बढ़ गई है। भैकरा वकील साहब के पासै हैं। अब वह आएं तो घर के लिए चली चला होय। अै काम का होगा? भैकरा बता रहे कि वकील साहब लोग आज कोई नहीं करेंगे। यही बात भैकरा को वकील साहब से फोन पर पूछ लेना था तो काहे उतनी दूर से पैसा और समय बर्बाद करके आना पड़ता। हमरे भैकरा होलागढ़ ससुराल में रहते हैं।
शिवबाबू पटेल, बाघराय प्रतापगढ़


करित का है मेहनत मजदूरी कर लेते हैं। आज तो मजदूरीव नहीं किए मुकदमा के चक्कर मा। गांव में बाग है उसी का मुकदमा चल रहा है। काम के लिए शहर तो रोजै आते हैं। आज मुकदमा था तो कचहरी चले आए। नहीं तलासते तो कउनौ न कउनौ काम मिल ही जाता। आज तौ बता रहे हैं कि अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत हैं। अब हम जा रहे हैं हमरे वकील साहब अब तारीख ले लेंगे। समय बहुत हो गया है कामवाम तो मिलेगा नहीं, काम किए होते तो दो पैसा मिल ही जाता। पैसा का नुकसान तो हुआ ही समय भी पूरा चला गया।
राम आनन्द, कौडि़हार

Posted By: Inextlive