बस कुंभ के दौरान ही चकाचक रहती हैं संगम नगरी की सड़कें
- शहर की एक भी रोड अब चलने लायक नहीं बची
- कमर दर्द के साथ ही बीमारी भी दे रही हैं सड़कें ALLAHABAD: पिछले दो-तीन वर्षो से संगम नगरी इलाहाबाद के सड़कों की जो स्थिति है, उसे देख कर कोई भी व्यक्ति ये नहीं कह सकता है कि ये वही ऐतिहासिक संगम नगरी है, जहां माघ मेला और हर छह साल पर आयोजित होने वाले कुंभ व अर्द्धकुंभ मेला में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। हर साल करोड़ों रुपये के साथ ही छह-छह वर्ष के अंतराल पर अरबों रुपया सड़कों की मरम्मत पर बहाया जाता है, लेकिन मरम्मत और निर्माण कार्य बस कुछ महीने ही टिक पाता है। आज स्थिति ये है कि संगम नगरी की गढ्डायुक्त सड़कें लोगों को बीमारी के साथ परेशानी भी दे रही हैं। फिर भी गढ्डा है बरकरार- 400 करोड़ हुए थे खर्च 2013 कुंभ के दौरान शहर की सड़कों को चमकाने के लिए
- लेकिन सड़कें साल भर भी नहीं चल पाई। - विभागों ने अरबों की लागत से बनी सड़कों को खोदकर छोड़ दिया - 10-15 करोड़ रुपये हर साल नगर निगम शहर की सड़कों के मरम्मत में करता है खर्च - 20-25 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी भी खर्च करता है शहर की सड़कों की मरम्मत पर- 300-400 करोड़ रुपये एक बार फिर कुंभ मेला 2019 के लिए खर्च हो रहे हैं
2017 में हुए 1163 हादसे, 478 लोगों की गई जान धूल ने दी गंभीर बीमारियां - गंभीर सिर दर्द - माइग्रेन अटैक के साथ - आंखों की बीमारी - शरीर में खुजली - नींद न आना - शहर के लोग सांस, एलर्जी, माइग्रेन, सिर दर्द के शिकार हो रहे हैं - शहर में कोई सड़क ऐसी नहीं जिस पर इस समय धूल की समस्या न हो चलने लायक नहीं एक भी सड़क हिवेट रोड, लीडर रोड, नवाब युसुफ रोड, बेनीगंज, चकिया, दारागंज, कीडगंज, तेलियरगंज, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज, लूकरगंज, चकिया, राजरूपपुर, करेली, जानसेनगंज, मुट्ठीगंज आदि इलाकों की सड़कें बहुत ज्यादा खराब हो चुकी हैं। इन्हें सीवर लाइन बिछाने या फिर सड़क चौड़ीकरण के लिए खोद कर छोड़ दिया गया है। - सरकारी पैसे की बर्बादी को इसी से समझा जा सकता है कि गढ्डे भरे जाने के नाम करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए। गुनहगारों को दिलाएं सजा - खराब सड़कों की वजह से अगर एक्सीडेंट या फ्रैक्चर हो जाता है तो सजा, जुर्माने व क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान किया गया है।- चोट लगने पर आईपीसी की धारा 337 के तहत 6 महीने की सजा और फ्रैक्चर होने पर धारा 338 के तहत दो साल तक सजा हो सकती है
- सार्वजनिक जगहों (सड़कों) पर कोई अवरोध हो जिससे चोट लगे तो आईपीसी की धारा 283 के तहत 200 रुपए जुर्माना भी किया जा सकता है - जनहित याचिका भी दायर की जा सकती है। धारा 133 के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष भी इस्तगासा दायर किया जा सकता है - गढ्डों से चोट लगती है या किसी की जान जाती है तो पीडि़त या परिजन दुर्घटना अधिनियम की धारा 3 के तहत जिम्मेदार के खिलाफ क्लेम दायर कर हर्जाना मांग सकता है खराब सड़कों की वजह से कमर दर्द के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लोगों को सड़कों पर आराम से वाहन चलाना चाहिए। बहुत जल्दी करने पर गढ्डे की वजह से कमर में झटके लगने का डर रहता है। डॉ। जितेंद्र जैन, हड्डी रोग विशेषज्ञ जिन सड़कों पर गढ्डे हों वहां वाहन चलाने से बचना चाहिए। इससे झटके लगते हैं और कमर से लेकर गर्दन तक दिक्कत महसूस होती है। स्पांडलाइटिस के साथ ही सर्वाइकल के मरीजों की संख्या अब कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है। डॉ। एपी सिंह, हड्डी रोग विशेषज्ञधूल के कारण लोग श्वांस रोग के शिकार हो रहे हैं। प्रति दिन कई लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है।
डा। आशुतोष गुप्ता चेस्ट रोग विशेषज्ञ शहर की सड़कें बदहाल हैं। पैदल चलना भी मुश्किल है। गड्ढों के साथ ही धूल व गंदगी के कारण थोड़ी दूर चलने पर ही सांस फूलने लगती है। जगदीश अग्रवाल सीवर लाइन बिछाने के लिए पूरे शहर की सड़कें व गलियां खोदी गई हैं, जिनकी मरम्मत नहीं हुई है। आखिर ये किसकी जिम्मेदारी है। दिनेश सिंह अल्लापुर, अलोपीबाग-दारागंज की हर रोड गढ्डे में तब्दील हो चुकी है। पूरी सड़क खोदकर छोड़ दी गई है। बारिश में तो स्थिति और खराब है। देवी प्रसाद यादव कुंभ मेला के लिए विकास कार्य कराना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शहर की जनता को बीमार कर दिया जाए। अमित साहू रैपिड फायर शहर की हर सड़क व गली आज खुदी पड़ी है? इसके लिए पब्लिक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को ही दोषी ठहरा रही है? काफी हद तक ये बात सही है। क्योंकि रोड चाहे पीडब्ल्यूडी की हो, निगम या फिर एडीए की सीवर लाइन बिछाने के लिए हर रोड खोदी गई है। लेकिन ये आरोप गलत है कि हर रोड खुदी पड़ी है।सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़कों की मरम्मत क्यों नहीं हो रही है?
सीवर लाइन बिछाने के बाद तत्काल सड़क को पहले की तरह किसी भी कीमत पर नहीं बनाया जा सकता है। क्योंकि मरम्मत के साथ ही डब्ल्यूबीसी आदि का समय निर्धारित है। खोद कर क्यों छोड़ी गई हैं गलियां व सड़कें? गलियां व सड़कें खोदकर छोड़ी नहीं गई हैं। बल्कि बारिश के बाद कई जगह सड़कें व गलियां बैठी हैं, जहां दुबारा मरम्मत कराई गई है। सीवर लाइन बिछाने के बाद कम से कम एक बारिश से पहले पूरी तरह मरम्मत नहीं कराया जा सकता है। आखिर कब तक पूरा होगा काम? कब चकाचक होगी सड़क? सीवर लाइन बिछाने के साथ ही मरम्मत का समय अक्टूबर तक निर्धारित है, इसे पूरा कर लिया जाएगा। अक्टूबर के बाद सभी विभाग एक-दूसरे के साथ मिल कर सड़कों की मरम्मत कराएंगे। पीके अग्रवाल जीएम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई