जीए कार्यालय जवाबदेही पर काम करे न कि खुशामदी पर
हाई कोर्ट ने राज्य विधि परामर्शी को कारण बताओ नोटिस जारी करके किया तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय/राज्य विधि परामर्शी की कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त किया है। उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि आदेश का पालन करने में क्यों विफल रहे। कोर्ट ने विधि परामर्शी को 2अगस्त को तलब भी किया है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे, फिर भी आदेश की सूचना अधिकारियों को नहीं दी। उन्हें तलब करना पड़ा। कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता कार्यालय की कार्य प्रणाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कार्यालय को जवाबदेही पर काम करना चाहिए न कि खुशामदी पर। ऐसे रवैये की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं कर रहेकोर्ट ने कहा कि वह अधिकारियों को तलब नहीं करना चाहते किन्तु पत्रावली से साफ है अधिकारी आदेश का सम्मान नहीं कर रहे तो उन्हें बुलाना पड़ा। यह साफ नहीं है कि अधिकारी अपनी टांग क्यों बीच में ला रहे हैं। यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने शाहजहांपुर तबलीगी जमात से जुड़े विदेशी नागरिकों हसे उर्फ हंसना वाई व 11 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अदील अहमद खान ने बहस की। कोर्ट ने विधि परामर्शी से कहा था कि पता करें, ऐसा जानबूझकर किया गया या लापरवाही में हो गया।
बिना किसी गलती के अफसर तलब कोर्ट ने कहा था कि सरकारी वकील की ओर से इस घोर लापरवाही के कारण उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों को उनकी बिना किसी गलती के तलब करना पड़ा। पुलिस अधिकारियों की ओर से दाखिल हलफनामे में यह उल्लेख किया गया कि समय पर हलफनामा दाखिल करने में विफलता का कारण सरकारी वकील से सूचना न मिलना है। कोर्ट में तैनात सरकारी वकील ने स्पष्ट रूप से कोर्ट के आदेश की सूचना पुलिस अधिकारियों को नहीं दी। जबकि आदेश होने के समय सरकारी वकील कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे। कोर्ट ने कहा था मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। इस तरह के आचरण से व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होता है और मामले की सुनवाई में भी बाधा उत्पन्न होती है।