कसारी मसारी कब्रिस्तान में असद की बॉडी को किया गया सिपुर्द-ए-खाक

प्रयागराज (ब्यूरो)। उमेश पाल की मौत हर हाल में सुनिश्चित करने के लिए घर के भीतर तक घुसकर गोली चलाने वाले अतीक के बेटे के जीवन का शनिवार को फुल एंड फाइनल हो गया। अतीक के सीधे रिश्ते का कोई भी सदस्य असद का चेहरा अंतिम बार देखने के लिए नहीं पहुंचा। जनाजे की नमाज और उसके कब्र में दफन किये जाने की प्रक्रिया अतीक के मुंहबोले बहनोई ने पूरी करायी। असद के रिश्तेदारों में सिर्फ नाना ही थे जो उसकी कब्र को मिट्टी दे सके। वैसे मोहल्ले के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे। महिलाओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी एक बारगी पुलिस को परेशान करने वाली थी। इसके चलते कब्रिस्तान के आसपास कड़ा पहरा रखा गया और बॉडी को दफनाये जाने की प्रक्रिया पूरी किये जाने के समय सिर्फ उन्हीं को जाने की इजाजत दी गयी जो अपना पहचान पत्र दिखा पाये। बाकी को बाहर ही रोक दिया गया। इससे लेकर पुलिस की महिलाओं से बहस भी हुई। तीन बुर्कानशी महिलाओं से शक के आधार पर पूछताछ भी की गयी।

झांसी से सुबह पहुंची बॉडी
बता दें कि असद को यूपी एसटीएफ की टीम ने झांसी में हुई मुठभेड़ में मार गिराया था। झांसी मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस से उसकी बॉडी रिसीव करने के लिए असद के मुंहबोले फूफा पहुंचे थे। बॉडी लेकर निकलने में देर हो जाने के चलते यह प्रयागराज में सुबह नौ बजे के आसपास पहुंची। असद की अंतिम बार एक झलक पाने के लिए अतीक के चकिया स्थित कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। यह भीड़ शुक्रवार को भी थी तो पुलिस ने शनिवार को सुरक्षा घेरा बेहद तगड़ा कर दिया था। अतीक के तोड़े का चुके चकिया कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोग थे लेकिन सामने स्थित कसारी मसारी कब्रिस्तान में जाने की इजाजत लेना अनिवार्य था। कब्रिस्तान की ओर बढ़ रही भीड़ को सुरक्षा में रहे जवान बैरिकेटिंग पर ही रोक दिया।

चकिया में दरवाजे पर नहीं रोकी बॉडी
गुनाहों से मिल रही बददुआएं अतीक अहमद व उसके पूरे परिवार का नसीब इस कदर बिगाड़ देंगी, कभी कोई ख्वाब में भी नहीं सोचा रहा होगा। यह बदनसीबी ही है कि बेटे असद का चेहरा देखना तो दूर अतीक उसे मिट्टी तक नहीं दे सका। यह बदनसीबी सिर्फ अतीक के हिस्से ही नहीं आई। उसकी पत्नी और शाइस्ता परवीन भी इससे बच नहीं सकी। जिस बेटे को वह कलेजे से लगाकर इतना बड़ा की थी, आज वही आखिरी बार उसका चेहरा तक नहीं देख सकी। अतीक के पुराने कार्यालय के बाहर स्थित भीड़ को उम्मीद थी की बॉडी को वहां रोका जायेगा। इसके बाद सिपुर्द ए खाक किये जाने की प्रक्रिया पूरी होगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं के सामने से ही बाडी लिए एंबुलेंस निकल गयी। यह वहां जाकर रुकी जहां पहले से ही कब्र खोदकर तैयार रखी गयी थी। कब्रिस्तान में एम्बुलेंस के अंदर प्रवेश करते ही बैरिकेटिंग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। असद की बॉडी को देखने के लिए कुछ करीबी जिद पर अड़ गए। ऐसे में पुलिस को तरकीब निकालनी पड़ी। उन सभी लोगों के नाम एड्रेस व मोबाइल नंबर एक रजिस्टर पर लिखे गए। इसके बाद उन्हें कब्रिस्तान में जाने की इजाजत दे गई।
कपड़ा भी बदला न जा सका
अंदर कब्रिस्तान में असद के लिए पहले से ही कब्र खोदी जा चुकी थी। झाड़ी के पास असद के ताबूत को रखा गया। यहां उसके नाना व अन्य रिश्तेदारों के जरिए दफन करने के पूर्व निभाई जाने वाली सभी रस्म अदा की गई। इसके बाद असद की बॉडी को ताबूत से बाहर निकाला कर कब्र के अंदर रखा गया। उसकी आत्मा की शांति के लिए अल्लाह से दुआ मांगते हुए असद की बॉडी को दफन किया गया।

महिलाएं हुईं आक्रोशित, की हंगामा
अतीक के बेटे असद को अंतिम विदाई देने के लिए सुबह से जुटे लोगों में सिर्फ पुरुष ही नहीं थे। इस भीड़ में सैकड़ों महिलाएं और युवतियां व युवक भी शामिल रहे। असद की मौत से महिलाओं के कलेजे में सुलग रही आक्रोश की चिंगारी उस वक्त भड़क गई जब उसकी बॉडी को अतीक के दरवाजे पर नहीं रोका गया। उनमें गुस्सा इस बात का था कि अतीक के दरवाजे पर उसके बेटे असद की बॉडी क्यों नहीं उतारी गई। सुबह से अंतिम बार देखने के लिए मोहल्ले की तमाम महिलाएं व लोग उसकी बॉडी आने का इंतजार करते रहे। जब बॉडी लाई गई गई तो लेकर सीधे कसारी मसारी कब्रिस्तान चले गए। इसी बात को लेकर महिलाओं ने सख्त नाराजगी व्यक्त की। उनका गुस्सा इस कदर था कि शांत कराने पहुंची महिला पुलिस को भी हॉट टॉक करना पड़ा। हालांकि फोर्स इतनी ज्यादा थी कि मामला बढऩे से पहले गमजदा उन महिलाओं को समझा बुझा कर पुलिस शांत करा दी। पुलिस को यहां बुर्का पहने दो महिलाएं संदिग्ध प्रतीत हुईं। पुलिस ने इनसे पूछताछ भी की। शक था कि यह शाइस्ता हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ निकलकर सामने नहीं आया।

मेंहदौरी में दफन किया गया गुलाम
उमेश पाल की हत्या में शामिल रहे मो। गुलाम की बॉडी को महंदौरी कब्रिस्तान में दफन किया गया। वह भी अतीक के बेटे असद संग झांसी में एसटीएफ से हुई मुठभेड़ में मारा गया था। यह बात उसके घर पहुंची तो परिवार के लोगों की आंखें नम हो गईं। गुलाम के भाई राहिल हसन और बूढ़ी मां कुसुंदा उसी दिन बॉडी लेने से मना कर दी थीं जब घर ढहाया गया था। गुरुवार को जब उसके मारे जाने की खबर आई तो उन दोनों की भी आंखें नम हो गईं, पर दोनों मां बेटे अपनी बात पर अडिग रहे। वह गुलाम की बॉडी लेने से इंकार कर दिए। इसके बाद गुलाम की पत्नी सना और ससुराल के लोग झांसी जाकर उसकी बॉडी को रिसीव किए। शनिवार को असद के साथ लाई गई गुलाम की बॉडी का मेंहदौरी कब्रिस्तान ले जाया गया। दफन करने से पूर्व यहां भी लोग मौजूद रहे। ससुरालीजन व लोगों ने सिपुर्द एक खाक और बॉडी को मिट्टी दिये जाने की रस्म पूरी की।

Posted By: Inextlive