शहर में जगह-जगह हुई बमबाजी के मामले में गिरफ्तार किए गए छात्र बम बनाने की ट्रेनिंग यूट्यूब पर लिए थे. मां बाप मोबाइल इसलिए दिलाए थे ताकि वह ऑनलाइन कोचिंग पढ़ सकें. उनकी पढ़ाई मोबाइल की कमी से कमजोर नहीं पड़े. मगर वह उन्हीं मां बाप की आंखों में धूल झोंककर मोबाइल से बम बनाने की पढ़ाई शुरू कर दिए. पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद परत-दर-परत बिगड़े हुए कदम का राज इन आरोपित छात्रों के द्वारा खोला गया. उन्होंने बताया कि पुलिस को बताया कि यूट्यूब पर सर्च करने के बाद कई ऐसे वीडियो आते हैं जिसे देखकर बम बनाने के तरीके बताए जाते हैं.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। गिरफ्त में आने के बाद बमबाजी करने वाले सभी छात्रों से थाना पुलिस व अधिकारियों द्वारा पूछताछ की गई। अफसरों ने बताया कि पहले तो वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे। जब उन्हें मोटिवेट करके पूछा गया तो एक-एक कर सभी क्राइम स्टोरी बताना शुरू किए। सुधीर ने गिरफ्तार किया गया बालिग सुधीर ने बताया कि वह लोग किसी को टारगेट करके बम नहीं फेकते थे। बम फेकते वक्त इस बात का ध्यान रखते थे कि कोई छात्र या व्यक्ति उससे घायल नहीं हो। मकसद सिर्फ दूसरे ग्रुपों के छात्रों पर दबना व उसमें खुद के नाम का डर पैदा करना होता था। पुलिस के मुताबिक आरोपितों ने बताया कि इसी लिए वह स्कूल गेट पर या फिर दीवार पर बम फेका करते थे। बम फटने की आवाज सुनकर विरोधी ग्रुप के छात्र समझ जाते थे कि यह बमबाजी किस ग्रुप के लोग और किसके लिए किए हैं। इसके बाद वह अपने ग्रुप पर यह जानकारियां शेयर किया करता था। फिर उस ग्रुप के लोग डर जाते थे तो जवाब में हमारे कॉलेज या ग्रुप के पास बमबाजी नहीं करते थे। नहीं डरते थे तो जवाब में वह भी बमबाजी जरूरत करते थे। कुल मिलाकर छात्रों के बीच बमबाजी की यह घटनाएं एक दूसरे ग्रुप में वर्चस्व को लेकर इन छात्रों के द्वारा अंजाम दी गई हैं।

ग्रुपों के लीडर का होता था चुनाव
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इन इंस्टाग्राम पर इन छात्रों के जरिए इमोरल ग्रुप, तांउव, माया ग्रुप, लारेंस, जगुआर जैसे ग्रुप बनाए गए हैं।
इन ग्रुपों में विभिन्न कॉलेजों के छात्र जुड़े हुए हैं। ग्रुप में जुडऩे व के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की गई थीं।
जैसे ग्रुप में जुडऩे के लिए स्कूलों में मारपीट के दौरान छात्र का रोल, उसका एटीट्यूट यहां तक कि पारिवारिक स्टेटशन तक देखा जाता था।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में इन छात्रों ने बताया कि ग्रुपों में लीडर यानी सरगना के लिए चुनाव भी हुआ करता था।
यह चुनाव कहीं एक जगह एकत्रित होकर पर्ची के द्वारा किया जाता था। जिस पर ग्रुप के ज्यादा छात्र विश्वास जताते थे वही सरगना होता था।
उसी के इशारे पर ग्रुप के सारे छात्र काम किया करते थे। इसके ग्रुप से जुड़े किसी भी कॉलेज के मेंबर संग मारपीट होने पर पूरा ग्रुप बदला लेने का प्लान बनाता था

यह स्थिति बच्चों के भविष्य को देखते हुए कतई ठीक नहीं है। हर अभिभावक को चाहिए कि वह बच्चों के मोबाइल व उनके ग्रुप आदि की मानीटरिंग करें। वह कहां और किसके साथ उठ बैठ रहे एवं जुड़े हैं।
दिनेश सिंह, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive