जिले में खुलेंगे चार नए टीबी ट्रीटमेंट सेंटर
प्रयागराज (ब्यूरो)। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के रोगियों में टीबी होने की अधिक आशंका रहती है। ऐसे केसेज भी सामने आ रहे हैं। इसलिए जिन लोगों को ब्लड शुगर बढ़ा रहता है वह अपनी टीबी की जांच भी लक्षण होने पर करा लें। इसी तरह सिगरेट और शराब का सेवन करने वालों में भी टीबी होने की संभावना बनी रहती है।
आंकड़ों पर एक नजर
2020 में टीबी संक्रमित 13652 लोग हुए चिंहित
इनमें 7169 पब्लिक और 4483 प्राइवेट हैं
2021 में कुल 11117 लोगों को चिन्हित किया गया।
इसमें 6641 पब्लिक और 4476 प्राइवेट हैं
2020 में एमडीआर यानी मल्टी ड्रग रजिस्टेंट के 419 मामले मिले
2021 में एमडीआर के 270 मामले पंजीकृत किए गए
हवा में फैलने वाले बैक्टीरिया से होती है टीबी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ तृषा ने बताया कि क्षय रोग एक जानलेवा संचारी रोग है। यह बीमारी रोगी के खांसने, छींकने या थूकने पर हवा में निकलने वाले बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होती है। सामान्यत: यह फेफड़ों को प्रभावित करता है। पूरी दुनिया में खराब स्वास्थ्य का यह एक मुख्य कारण है। इसके साथ ही क्षय रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्ष 2020 तक कुल 26 लाख यानि 188 प्रति लाख क्षय रोगी भारत में पाए गए हैं। दुनिया की एक चौथाई आबादी एम क्षय रोग से संक्रमित है। साथ ही 5 से 10 प्रतिशत लोगों को अपने जीवन में क्षय रोग होने की संभावना है।
हर माह मिलता है 500 रुपए
बता दें कि टीबी रोगियों को हर महीने 500 रुपए आर्थिक मदद की जाती है। बीते साल 9143 मरीजों को दो करोड 41 लाख रूपये की धनराशि इस योजना के तहत दी गई है। इसी तरह उपचार सहायक के लिए मानदेय भी निर्धारित है डीएसटीबी रोगियों के लिये 1000 रूपये और डीआर टीबी रोगियों के लिए 5000 रुपए दिए जाते हैं। जिला कार्यक्रम समन्वयक एसके सैमसन ने बताया कि निजी स्वास्थ्य से जुड़े प्रेक्टिशनर, क्लीनिक, अस्पताल, नर्सिंग होम, लैब और केमिस्ट आदि के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। अधिसूचित करने के लिए 500 रुपए और परिणाम बताने के लिए 500 रुपए देने का प्रावधान है।
टीबी चैंपियंस ने शेयर किये अनुभव
प्रोग्राम में मौजूद टीबी चैंपियन कौशल ने बताया कि उन्हे 2013 में टीबी हुई थी। खांसी आती थी जिसे नजरंदाज किया एक दिन खांसते हुये बलगम में खून आया। फिर प्राइवेट इलाज कराया लेकिन आराम नहीं हुआ। इसके बाद सरकारी अस्पताल में दिखाया जहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। इलाज शुरू किया और नियमित दवायें खाई। सन 2019 तक दवा खाया और अब पूरी तरह ठीक हू। कार्यक्रम में मंचदूतम नाटय समिति वाराणसी के कलाकारों ने बडे ही रोचक तरीके से प्रतिरोधक क्षमता के महत्व को नुक्कड नाटक के माध्यम से रखा। संचालन सीफार की मंडल समन्वयक प्रीति सैनी ने किया। टीम के सदस्यों अजय रोशन, ज्योति सिंह, गोपाल चंद्र, उत्कर्ष सिंह ने शानदार प्रस्तुति दी।