मुट्ठीगंज थाने में आय से अधिक सम्पत्ति के आरोप में दर्ज हुआ था मुकदमा शिकायत से लेकर निर्णय होने तक में लगे 11 साल डीजी विजलेंस से की गई थी शिकायतपेश हुए गवाहों की गवाही व पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ कोर्ट से बड़ा फैसला आया है। करीब 11 साल के बाद शुक्रवार को अदालत के द्वारा शुक्रवार को निर्णय सुनाया गया। फैसले के पूर्व तमाम गवाहों की गवाही और जांच रिपोर्ट एवं पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों का कोर्ट के द्वारा गंभीरता पूर्वक अवलोकन किया गया। इसके बाद आरोपित रहे राकेश धर त्रिपाठी को कोर्ट ने तीन साल के कठोर कारावास से दंडित किया। सजा के साथ दस लाख रुपये का अर्थ दण्ड भी लगाया गया है। अर्थ दण्ड यानी जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर उन्हें छह साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने का भी कोर्ट ने आदेश दिया है।

33 कुल शुरू से अंत तक कोर्ट में पेश हुए गवाह
05 गवाह आरोपित बचाव पक्ष ने पेश किया
पूर्व शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को तीन साल की कैद
02 गवाहों को न्यायालय ने तलब किया था
26 गवाह अभियोजन पक्ष कोर्ट में पेश किया
45 लाख 82 हजार 271 रुपये कुल आय थी
01 करोड़ 81 लाख 20 हजार 560 रुपये व्यय होना पाया गया

जानिए क्या था पूरा मामला
बसपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला 2012 को सामने आया था। अशोक कुमार शुक्ल नामक शख्स के द्वारा यह शिकायत डीजी विजलेंस लखनऊ से की गई थी। डीजी विजलेंस के द्वारा मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। इलाहाबाद अब प्रयागराज सेक्टर विजलेंस टीम को जांच में लगाया गया था। जांच रिपोर्ट डीजी के जरिए 13.09.2012 को संकलित की गई। यह रिपोर्ट 15.09.2012 को विभाग द्वारा डीजी विजलेंस लखनऊ को भेजी गई। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के मुताबिक सतर्कता अनुभाग लखनऊ के द्वारा 23.11.2012 को खुली जांच के आदेश दिए गए। यह खुली जांच वाराणसी सेक्टर से कराई गई। जांच अधिकारी रामसुभग द्वारा रिपोर्ट सतर्कता मुख्यालय लखनऊ को भेजा गया। इस रिपोर्ट में अभियुक्त व उसके आश्रितों की ज्ञात व वैध श्रोतों से कुल आय 49 लाख 49 हजार 928 रुपये होने की बात कही। जबकि व्यय राशि चेक अवधि में दो करोड़ 67 लाख 80 हजार 605 रुपये दर्शायी गई थी। इसके बाद मुख्यालय सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के आदेश पर थाना मुट्ठीगंज में 18.06.2013 को सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक रहे सुभग राम के द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया। यह मुकदमा अपराध संख्या 107/13 पर दर्ज किया गया। मुकदमा दर्ज होने के बाद फिर मामले की विवेचना शुरू की गई। विवेचना बाद बनारस कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। इसमें आरोपित व उसके आश्रितों की ज्ञात व वैध श्रोतों से आय 54 लाख 82 हजार 275 रुपये बताई गई। जबकि व्यय एक करोड़ 81 लाख बीस हजार 560 रुपये होना बताया गया।

इस तरह निर्णय तक पहुंचा केस
चूंकि मामला पूर्व मंत्री से सम्बंधित था लिहाजा वाराणसी केस यहां एमपीएमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।
सरकार की ओर से मामले की पैरवी की जिम्मेदारी विशेष लोक अभियोजक विनय कुमार त्रिपाठी व मनोज त्रिपाठी को सौंपा गया।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की निगरानी में प्रकरण की पैरवी शुरू की गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से कुल 26 गवाह,
जबकि बचाव पक्ष आरोपित की ओर से पांच गवाह कोर्ट में पेश किए गए। अदालत के जरिए दो गवाह प्रमिला और पल्लवी पांडेय को कोर्ट ने स्वयं तलब किया था।
इस तरह केस में कुल 33 लोगों की गवाही हुई। इसके बाद गवाहों के बयान एवं पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने फैसले के लिए शुक्रवार 11 दिसंबर 2023 की डेट मुकर्रर की थी।
निर्धारित डेट पर अभियुक्त राकेश धर त्रिपाठी को कोर्ट ने तीन साल के कठोर कारावास और दस लाख रुपये के आर्थिक दण्ड से दंडित किया।
जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर छह माह के अतिरिक्त करावास की सजा सुनाई गई है।

आय से अधिक सम्पत्ति मामले के आरोपित को कोर्ट के द्वारा तीस साल के कठोर कारावास से दण्डित किया गया है। दस लाख का जुर्माना नहीं जमा करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। नियमानुसार वह आगे अपील कर सकते हैं।
गुलाबचंद्र अग्रहरि
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी


कई माननीयों को सजा सुना चुके हैं डा। दिनेश चंद शुक्ल

आय से अधिक संपत्ति के मामले में शनिवार को पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के विरुद्ध तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाने वाले एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डा। दिनेश चंद्र शुक्ल कई मंत्री और विधायक को दंडित कर चुके हैं।
कानून के पालक के तौर पर उनकी छवि ऐसी है कि आपराधिक मुकदमों के आरोपित माननीय भी उनकी कोर्ट से घबराने लगे हैं। पूर्व मंत्री राकेशधर से पहले एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डा। दिनेश चंद्र शुक्ल भाजपा के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी तथा समाजवादी पार्टी की विधायक विजमा यादव को सजा सुना चुके हैं। वह माफिया अतीक अहमद को पहली बार सजा सुनाने वाले जज हैं।
डा। दिनेशचंद्र शुक्ला ने इसी वर्ष 28 मार्च को अतीक अहमद सहित तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह मुकदमा 17 वर्ष से चल रहा था। अतीक और अशरफ सहित अन्य के विरुद्ध फरवरी 2006 में उमेश पाल ने अगवा करने के बाद बंधक बनाकर धमकाने का केस धूमनगंज थाने में दर्ज कराया था। तब से यह मुकदमा लंबित था। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डा। दिनेश चंद्र शुक्ल ने इस मुकदमे में नियमित सुनवाई कराकर निर्णय सुना दिया। इसके पहले उन्होंने यूपी में भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज हुए मुकदमे में एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी।

06.07.2012 को अशोक कुमार शुक्ल ने शिकायत की
06.07.2012 को ही डीजी विजलेंस जांच के आदेश दिए
13.09.2012 को अभिसूचना संकलन का आदेश हुआ
15.09.2012 को सूचना डीपी विजलेंस को भेजी गई
23.11.2012 को मामले में खुली जांच का आदेश हुआ
18.06.2013 को मुट्टीगंज थाने में केस दर्ज जुआ था
12.04.2016 को न्यायालय ने केस संज्ञान लिया गया
30.07.2021 को आरोप विरचित तय किया गया
22.12.2023 को एमपीएमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया

Posted By: Inextlive