आशा एण्ड कंपनी की नीव प्रवीण मालवीय अब नहीं रहे के बाबा स्व. नित्यानंद मालवीय ने रखी थी. जिले के जानसेनगंज इलाके से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. आज इस कंपनी की शाखाएं देश के कई इलाकों में फैली हुई है. लाउडस्पीकर के मामले में इस कंपनी का एक बड़ा नाम है. प्रयागराज से लेकर हरिद्वार और उज्जैन कुंभ तक में इस कंपनी का साउंड सिस्टम महती भूमिका अदा करता है. इसके बाद इस कारोबार का का कारवां बुलंदियों पर चढ़ता चला गया. जानकार कहते हैं कि करीब 79 वर्ष पूर्व इलाहाबाद अब प्रयागराज के 1942 में आयोजित कुंभ मेला में कंपनी को चार लाउड स्पीकर का आर्डर मिला मिला था.

प्रयागराज (ब्यूरो)। आज इस कंपनी के पास हजारों लाउडस्पीकर हैं। आज कंपनी का लाउड स्पीकर कुंभ हो या महा कुंभ अथवा माघ मेला हर बड़े आयोजन में लगता ही है। इतने बड़े आयोजन में हजारों लाउड स्पीकर मुहैया कराने वाली आशा एण्ड कंपनी की अपनी एक शाख है। आवाम से लेकर सरकार तक की नजर में इस कंपनी की अपनी एक पहचान है। सिर्फ प्रयागराज के ही माघ मेला और महा कुंभ में नहीं बल्कि उज्जैन और हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेला में भी यह कंपनी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती रही है।

बड़े आयोजनों में अहम रोल
बताया तो यह भी जा रहा कि आशा एण्ड कंपनी हरिद्वार के कुंभ में वर्ष 1956 से लाउड स्पीकर का काम संभालना शुरू की थी। इस कंपनी को बुलंदी तक ले जाने में प्रवीण मालवीय का रोल काफी अहम रहा है। कुंभ ओर महा कुंभ एवं माघ मेला जैसे धार्मिक आयोजनों को सफल बनाने में इस कंपनी के लाउड स्पीकर मुफीद साबित होते हैं। मेला क्षेत्र से शहर तक लगाए गए लाउड स्पीकर के जरिए अधिकारी श्रद्धालुओं की भीड़ कंट्रोल करने के साथ बिछड़े हुए लोगों को मिलाने का भी काम करते है।

कौन थे प्रवीण मालवीय
प्रवीण को शुरू से ही बिजनेस में रुचि थे। उन्होंने बिजनेस की दुनिया में कदम हारमोनियम और सितार के बिजनेस से रखा था।
इसके बाद उन्होंने ध्वनि विस्तारक यंत्रों के बिजनेस में कदम रखा। इस पर उन्होंने दिल लगाकर काम किया और इतना बड़ा नेटवर्क स्थापित कर लिया कि देश तमाम हिस्सों में आशा एंड कंपनी का नाम हो गया।
गुजरात में भूकंप के बाद हैंड माइक कार्ड की सप्लाई के जरिए इन्हें बड़ी पहचान मिली। इसके बाद देश के सभी कुंभ में इन्हीं की कंपनी को माइक का टेंडर मिलने लगा।
90 के दशक में उन्होंने टेलीविजन के बिजनेस में कदम रखा। तब टेलीविजन की दुनिया ब्लैक एंड ह्वाइट टीवी के साथ विस्तार लेना शुरू कर रही थी.इसके बाद उन्होंने होम एप्लाएंसेज की सप्लाई में कदम रखा। यहां भी उन्हें बड़ी सफलता हाथ लगी। वर्तमान समय में उनके पास दुनिया की नामी कंपनी का डिपो और होल सेल का काम था।


अकेले के बूते खड़ा किया था ब्रांड
देश का शायद ही कोई ऐसा शहर हो जहां आशा एण्ड कंपनी से सप्लाई किया गया ध्वनि विस्तारक यंत्र आज भी मौजूद न हो
इस फर्म को प्रवीण मालवीय ने अपनी मेहनत के बूते फर्श से अर्श तक पहुंचाया था।
देश में चारों स्थानों पर आयोजित होने वाला कुंभ मेला हो या फिर प्रयागराज में हर साल आयोजित होने वाला माघ मेला आशा एंड कंपनी का सपोर्ट जरूर रहा।

लगभग हर बड़े सरकारी आयोजन में साउंड और माइक का टेंडर इसी कंपनी को मिला करता था।
माघ और कुंभ मेला में खोया पाया केंद्र के संचालन में भी उनकी कंपनी का सेट अहम भूमिका अदा करता है।
अयोध्या में राम मंदिर के नीव पूजन में आयोजित प्रोग्राम के लिए उन्हें अपना साउंड सेटअप प्रयागराज से भेजना पड़ा था।
छोटे लेवल पर काम करते हुए बड़ा ब्रांड बनने के सफर में प्रवीण के सामने तमाम मुश्किलें आयीं लेकिन कोई उनका हौसला डिगा नहीं सकी
इतने झंझावातों का अकेले सामना करने वाले व्यक्ति का फांसी लगाना लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
परिवार के सदस्य भी भौचक्के हैं कि यह नौबत क्यों आयी होगी। उनके परिवार के सदस्य भी घटना का कोई कारण बता पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।

Posted By: Inextlive