खाकी को शर्मसार करने वाले पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड
प्रयागराज (ब्यूरो)। गाजीपुर निवासी एक प्रतियोगी छात्रा ने दो साल पहले कर्नलगंज थाने में असिस्टेंट प्रोफेसर के विरुद्ध दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन एक साल बाद वह जमानत पर जेल से बाहर आ गया। आरोप है कि असिस्टेंट प्रोफेसर ने सर्विलांस प्रभारी व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर छात्रा के सीनियर छात्र जो गवाह था, उसके विरुद्ध पहले फूलपुर में दुष्कर्म का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद हंडिया थाने में दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे में गवाह को फर्जी ढंग से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। साथ ही उसके पास से बरामद स्कूटी का नंबर बदलकर कूटरचना के मुकदमे में भी फंसाने की कोशिश हुई। हालांकि पीडि़ता की शिकायत पर जांच हुई तो पुलिसकर्मियों की कारस्तानी का भंडाफोड़ हुआ। फिर मामले की जांच एसपी गंगापार को दी गई। अधिकारियों का कहना है कि एसपी गंगापार ने जांच में आरोपों को सही पाया है, जिनकी रिपोर्ट के आधार पर पांच पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन के उपरांत विभागीय जांच भी होगी, जिसके बाद दंड मिलेगा।
जार्जटाउन इंस्पेक्टर, दारोगा पर भी लटकी तलवार
असिस्टेंट प्रोफेसर की ओर से दुष्कर्म पीडि़ता के खिलाफ जार्जटाउन थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे में भी लापरवाही बरती गई। ताकि अभियुक्त मदन यादव को फायदा मिल सके। इस मामले में भी तत्कालीन इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा व विवेचक दारोगा बलवंत यादव पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इसके अलावा एसओजी के एक दारोगा भी पर गाज गिरने की बात कही जा रही है।
गिरफ्तारी न करने पर शिवकुटी इंस्पेक्टर निलंबित
मोबाइल लुटेरे की गिरफ्तारी न करके समझौता कराने की कोशिश में इंस्पेक्टर शिवकुटी जयचंद्र शर्मा को भी निलंबित किया गया है। बताया गया है कि शिवकुटी में एक युवक से मोबाइल लूटा गया था। उसकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए अभियुक्त की स्कूटी बरामद कर ली गई, लेकिन आरोपित नही पकड़ा गया। एक अधिवक्ता के जरिए उनके बीच समझौता भी कराने की कोशिश की गई और फिर बाद में पीडि़त को नया मोबाइल मिल गया था। इस कारस्तानी से नाराज एसएसपी ने निलंबन की कार्रवाई की।
नारकोटिक्स टीम कार्रवाई जरूरी
पांच बार टीम बनने के बाद भी कुछ सिपाही ऐसे हैं जिनकी बार-बार नियुक्ति टीम में की गई है। इनकी नियुक्ति नारकेाटिक्स, क्राइम ब्रांच या एसओजी में बार बार होना सवाल खड़े करता है। कुछ महीने पहले एएसपी रहे अशोक वेंकट ने कीडगंज एरिया में कुछ पुलिस कर्मियों को वसूली करते पकड़ा था। जिसमें कुछ कर्मी पर कार्रवाई हुए थे। फिर भी टीम में शामिल किए गए। पूर्व एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने एक पुलिस कर्मी को घरपुर से कार्रवाई की थी। जिसे टीम में पुन: शामिल किया गया।
गवाह को फर्जी ढंग से जेल भेजने के मामले में दो इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है।
शिवकुटी इंस्पेक्टर ने मोबाइल लूटने वाले की गिरफ्तारी नहीं की थी, जिस पर कार्रवाई की गई है।
- सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी, एसएसपी