दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने किया रोडवेज की एसी बसों का रियलिटी चेक

ज्यादातर बसों में आखिरी सीट के नीचे धूल फांक रहे अग्निशमन यंत्र, कर्मचारी चलाना भी नहीं जानते

मंगलवार को सिविल लाइंस डिपो के भीतर एसी बस में घटना हुई थी। अचानक आग लग जाने की। आग बुझाने के लिए कर्मचारियों को पानी का सहारा लेना पड़ा। बाल्टी खोजनी पड़ी। संयोग अच्छा था कि इस घटना में किसी पैसेंजर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। कितने सुरक्षित हैं परिवहन निगम की बसों में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स? फायर इक्विपमेंट्स का हाल क्या है? क्यों आग बुझाने के लिए पानी की जरूरत पड़ गयी। हकीकत जानने के लिए रिपोर्टर ने गुरुवार को रोडवेज की एसी बसों में फायर इक्विपमेंट्स की पड़ताल की। इस दौरान चौंकाने वाला सच सामने आया। पैसेंजस इसमें भगवान भरोसे ही यात्रा करते हैं। इक्विपमेंट्स तो मिले लेकिन उनका मेंटेंनेंस नहीं किया जाता। बसों को लेकर जाने वाले ड्राइवर हों या कंडक्टर, इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, किसी को नहीं पता।

दिखाने के लिए ही हैं सब सामान

गुरुवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में ज्यादातर बसों में आग बुझाने के यंत्र तो मिले लेकिन वह शोपीस बनकर रह गए हैं। कुछ बसों में तो आखिरी सीट पर खराब हालात में धूल फांकते मिले। रिपोटर ने सिविल लाइंस व प्रयाग डिपो पर खड़ी व जाने वाली बसों का रियलिटी चेक किया। रियलिटी चेक के दौरान अधिकतर बसों में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए लगे फायर एक्सिटिंगिश्वर पर डेट ही नहीं लिखी गई थी और कई एक्सिटिंगिश्वर की पिन टूटने के साथ ही गैस खत्म थी। जिस कारण उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इनमें ज्यादातर बसें बाहर की डिपो की शामिल थी।

यह था एसी बसों की हालत

यूपी 78एफएन 5729 (विकास नगर डिपो) गैस खत्म था, देख कर लगा रहा था कभी कोई टच ही नहीं किया हो

यूपी 78 एफटी 0851 (झांसी डिपो)- काफी देर तक तो कंडक्टर खुद ढूंढता रहा आखिर कहां रखा है। बहुत देर बाद याद आया पीछे कहीं रखा है। कंडीशन देखने पर खुद कंडक्टर बोल दिया गैस खत्म है

यूपी 78 एफएन 8669 (प्रयाग डिपो) अग्निशमन यंत्र में मात्रभर का गैस भरा था। पाइप फट गई थी। कंडक्टर खुद बोल दिया पता नहीं चलता भी है या नहीं।

यूपी 32 एनएन 9989 (ताज डिपो) - ड्राइवर द्वारा बताया गया कि एक बस में दो अग्निशमन यंत्र दिया गया है। एक ड्राइवर सीट के पीछे होता है। दूसरा आखिर सीट के नीचा होता है। इस बस में एक कुछ सही कंडीशन में था। एक धूल खा रहा था।

यूपी 32 एनएन 9856 (गोला डिपो) इस बस में अग्निशमन यंत्र ही गायब था। पूछने पर ड्राइवर और कंडक्टर कोई जवाब नहीं दे पाये

यूपी 14 एफटी 2583 (अवध डिपो) अग्निशमन यंत्र मौजूद था। मगर गैस खत्म था। पूछने पर कंडक्टर ने बोला ये जिम्मेदारी अधिकारियों की बनती है। या फिर टेक्निकल टीम चेक करें

बाक्स

इस तरह से पल्ला झाड़ते मिले अधिकारी कर्मचारी

जब संबंधित अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि करीब दो महीने पहले की बसों में एक्सिटिंगिश्वर को बदला गया था। बताया कि यात्रा के दौरान शरारती तत्व जान बूझकर एक्सिटिंगिश्वर की पिन को तोड़ देते हैं। जब इस बारे में बस चालक से पूछा गया तो उसने बताया कि यह काम टेक्निकल टीम का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एसी बसों का यह आलम है तो नॉन एसी बसों का क्या हाल होगा।

हाई लाइट

नहीं लें रहे सबक

कुछ दिन पहले सिविल लाइंस डिपो पर एक जनरथ बस में लगी थी आग

सभी प्रकार की बसों का पूरा मेंटेनेंस वर्कशाप में ही होता है। कोई इक्विपमेंट खराब या एक्सपायर हो गया है तो उसकी डिटेल मुख्यालय को भेजी जाती है। सामान उपलब्ध होते ही उसे बस में लगा दिया जाता है।

राजीव आनंद

सर्विस मैनेजर, यूपीएसआरटीसी, प्रयागराज

उस बस का भी अग्निशमन यंत्र खराब था, किसी अन्य बस का निकालकर आग पर पाया गया काबू

तब भी अधिकारियों ने नहीं ली सबक, किसी बड़ी घटना होने का कर रहे इंतजार

जबकि नियम है बसों में दो अग्निशमन यंत्र होना चाहिए, एक ड्राइवर सीट के पीछे दूसरा बस की आखिरी सीट पर

वर्कशाप की जिम्मेदारी है मेंटेनेंस

बसों में रखा हर सामान वर्किंग है या नहीं? यह चेक करना वर्कशाप की टीम का काम है। इसीलिए प्रत्येक डिपो का सेपरेट वर्कशाप है। यहां दर्जनों की संख्या में इम्प्लाई काम करते हैं। बताया जाता है कि बस से जुड़े काम ही यहां के इम्प्लाई देखते हैं। यह टीम बसों के खराब पार्ट की जानकारी तैयार करती है और कम्पाइल रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाती है। बजट या फिर पार्ट मिलने पर उसे बस में लगाया जाता है।

बसों के मेंटेनेंस का पूरा ध्यान रखा जाता है। हर गाड़ी कर दिन वर्कशाप जाती है। हो सकता है कि किसी गाड़ी में रखे इक्विपमेंट काम न करते हों लेकिन सभी बसों के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है।

टीके विशेन

आरएम, प्रयागराज

Posted By: Inextlive