गंगा में प्रदूषण फैलाया तो दर्ज होगी एफआईआर
प्रयागराज ब्यूरो । जल निगम में एमडी बलकार सिंह शुक्रवार को सर्किट हाउस में विभागीय अफ़सरों के साथ गंगा स्वच्छता और जनजीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो कंपनियां गंगा में प्रदूषण फैला रही हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने लापरवाह अफसरों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि गंगा में एक भी नाला गिरा तो जिम्मेदारों की खैर नहीं होगी। उनके खिलाफ एफआईआर भी होगी। साथ ही जुर्माना भी वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ 2025 से पहले गंगा को पूर्णतया प्रदूषण मुक्त बनाया जाना है। यह भी कहा कि नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के आला अधिकारी अभी ग्राउंड ज़ीरो पर हैं।
हर हाल में चालू होगी एसटीपी
फाफामऊ एसटीपी का काम लेटलतीफी का शिकार था। इसकी कार्यदायी संस्था और विभागीय अधिकारियों को एमडी जल निगम ने निशाने पर रखा। उन्होंने कहा कि हर हाल में 20 दिसंबर तक एसटीपी का काम पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि लेटलतीफी करने वाली एजेंसी को चेतावनी जारी कर दी जाए। एसटीपी की प्रतिदिन की समीक्षा और प्रगति रिपोर्ट तलब की। एमडी ने अधिकारियों से कहा कि समय सीमा से एक दिन भी काम आगे बढ़ा तो कार्रवाई के लिए अफसर तैयार रहें।
आकर्षक बनेगी सलोरी एसटीपी
इसके बाद एमडी ने सलोरी एसटीपी का निरीक्षण किया। कहा कि इसका सौंदर्यीकरण किया जाए जिससे यह आकर्षक नजर आए। साथ ही 24 घंटे मॉनीटरिंग और औचक निरीक्षण करने को भी कहा। नैनी एसटीपी का काम कर रही कम्पनी को निर्माण की गुणवत्ता बेहतर करने और प्लांट के आसपास सफाई और पौधरोपण के निर्देश दिये। समीक्षा बैठक में एमडी ने अधिकारियों को फरवरी 2023 तक झूंसी एसटीपी को संचालित करने के निर्देश भी दिये। जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर जल योजना की भी एमडी ने समीक्षा की।
आसान नही है गंगा को अव्रिरल और निर्मल बनाना
बता दें कि शहर में जितना सीवेज उत्पन्न हो रहा है उसके मुकाबले शोधन कम मात्रा में हो रहा है। इसकी वजह से नाले सीधे नदी में गिराए जा रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक शहर में वर्तमान में कुल 470.84 एमएलडी सीवेज का उत्सर्जन हो रहा है।
सात एसटीपी से महज 348.96 एमएलडी सीवेज का शोधन किया जा रहा है।
जिसमें नालों से गिरने वाली गंदगी 152.18 एमएलडी और सीवर नेटवर्क की गंदगी 196.78 एमएलडी है।
72 एमएलडी के 3 एसटीपी का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जबकि गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ रखने के लिए 132 एमएलडी शोधन की अभी और आवश्यकता है।
42 एमएलडी नैनी-2, 16 एमएलडी झूंसी एसटीपी, 14 एमएलडी फाफामऊ एसटीपी की क्षमता है।