आश्रम पद्धति विद्यालय घोटाले में हुई कार्रवाईलाखों के घोटाले के बाद गायब हैं अभिलेख


प्रयागराज (ब्यूरो)।समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित आश्रम पद्धति विद्यालय कौडि़हार में घोटालों का राज अभिलेखों में छिपा है और अभिलेख गायब हैं। अब इसकी जवाबदेही तय कर दी गई है। विद्यालय की प्रधानाचार्य दीपिका दुबे व छात्रावास सहायक गीता देवी के खिलाफ शनिवार को जिला समाज कल्याण अधिकारी की तहरीर पर नवाबगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। इन्हें अभिलेख गायब करने, कागज प्रस्तुत न करने, मांगी गई सूचनाएं न देने, विश्वास का आपराधिक हनन करने, विधि के अधीन निर्देश का अवज्ञा करने का दोषी पाया गया है। समाज कल्याण विभाग करता है संचालित
समाज कल्याण विभाग द्वारा जिले में करछना, कौडि़हार, शंकरगढ़ और कोरांव में आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हैं। यहां बच्चों की ड्रेस, किताब, फर्नीचर खरीदने और गड्ढा खोदने के नाम पर लाखों रुपये डकारे गए हैं। इसकी जांच एसआइटी कर रही है। नियम विरुद्ध पुस्तकालय अधीक्षकों को प्रधानाचार्य का कार्यभार दिया गया है। एसआइटी ने अनुदान संख्या 80 और 83 के अंतर्गत आवंटित सामान व वितरण में गड़बड़ी पकड़ी है। गुणवत्ता खराब पाई गई है। लगभग 20 हजार से एक लाख रुपये के कई भुगतान के मांगपत्र व वर्क आर्डर आज तक नहीं मिले हैं। कौडि़हार विद्यालय में परिसर में मिट्टी डलवाने के नाम पर दो लाख 81 हजार रुपये हड़प लिए गए हैं। मोबाइल की खरीद में अनियमितता है। अब परत-दर-परत चारों विद्यालयों में करोड़ों रुपये का घोटाला खुल जाएगा।महालेखाकर बनेगा विभाग और जांच का खेवनहारगायब अभिलखों को तलाश रही विभागीय टीम को कोषागार से कुछ खास हाथ नहीं लगा है। कोषागार से सिर्फ एक साल के ही रिकार्ड मिल सके हैं। पुराने वर्षों के कागजात जुटाने के लिए समाज कल्याण विभाग की एक टीम ने महालेखाकर से संपर्क साधा है। विभाग और जांच दोनों के लिए अब महालेखाकर ही खेवनहार बनेंगे। अभिलेख मिलते ही जांच पूरी हो जाएगी और विभाग की हो रही किरकिरी भी ठप होगी।

तीन विद्यालयों की जांच पूरीकरछना, शंकरगढ़ और कोरांव में आश्रम पद्धति विद्यालय में हुई वित्तीय अनियमितता की जांच पूरी हो गई है। यहां वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हो गई है। एसआइटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है और अगले सप्ताह रिपोर्ट निदेशालय भेजी जाएगी। दोषी कौन-कौन है? इसका पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए ऊपर तक जुआड़ लग रहा है। अभिलेखों के अभाव में सिर्फ कौडि़हार विद्यालय की ही जांच अधूरी है।

Posted By: Inextlive