गायब डीजल का पता लगाना परिवहन निगम के लिए बना चैलेंज...फ्लैग जितना टंकी में भरता है उतना निकलता नहीं...
प्रयागराज (ब्यूरो)।रोडवेज की टंकी से बसों का डीजल गायब हो जा रहा है। तेल कौन पी जा रहा इसका पता नहीं चल पा रहा है। अफसर कर्मचारियों के पास इसका कोई हल नहीं है। गेज कुछ बताता है, मीटर कुछ। तेल सबके सामने टंकी में उतरता है। मगर घाटा लग जाता है। जितना डीजल टंकी में डाला जाता है टंकी से उतना डीजल निकलता नहीं है। सारी जांच हो चुकी है। मगर ये माजरा पकड़ा नहीं जा सका है। अफसर समस्या के हल के बजाय कर्मचारियों से रिकवरी कराने में लगे हैं।
डिपो से बसों को मिलता है तेल
रोडवेज की प्रयाग और लीडर रोड डिपो की वर्कशाप में डीजल की टंकी है। दोनों डिपो की बसों का तेल उनकी टंकी से भरा जाता है। प्रयाग डिपो की टंकी पर दो सौ लीटर डीजल का हिसाब नहीं मिल रहा है। टंकी पर तैनात कर्मचारी अपना माथा पीटकर रह जा रहे हैं। ये कहानी जून की ही नहीं है। ये कई साल से चल रही है। दो सौ लीटर तो प्रयाग डिपो में है। लीडर रोड डिपो का तो और बुरा हाल है। यहां पर दो महीने में 34 सौ लीटर डीजल का हिसाब नहीं मिल रहा है। कर्मचारी और अधिकारी सब परेशान हैं। टंकी के कर्मचारी आए दिन पत्र भेजते रहते हैं। मगर कोई स्थाई समाधान नहीं किया जा रहा है।
अफसर अपने सामने उतरवाते हैं तेल
लीडर रोड डिपो पर दो टंकी है।
एक टंकी की क्षमता 21 हजार लीटर है। दो टंकी में 42 हजार लीटर तेल उतरता है।
इंडियन ऑयल का 20 हजार लीटर का एक टैंकर एक बार में आता है।
कई बार तेल घटने के बाद अफसर भी हैरान हुए।
इसके बाद कई बार एआरएम, फोरमैन और वरिष्ठ केंद्र प्रभारी की मौजूदगी में तेल निकलवाया गया। इसके बाद भी तेल घट गया।
गेज कुछ बताता है, मशीन का मीटर कुछ
एक टैंकर में 20 हजार लीटर तेल होता है।
डिपो पर टंकी खाली हो जाने के बाद उसमें तेल उतरवाया जाता है। ताकि 20 हजार लीटर तेल उतर जाए।
टंकी 21 हजार लीटर की होती है। उतरवाने के पहले टंकी को गेज से नापा जाता है। इसके बाद गेज से टैंकर नापा जाता है।
गेज पूरा तेल टैंकर में बताता है। इसके बाद तेल उतारा जाता है टंकी में।
इसे गेज से फिर नापा जाता है। इसके बाद तेल बसों में भरा जाता है।
भरते समय मशीन चलती है। जब टंकी खाली होती है तो मशीन का मीटर कम तेल बताता है।
इसका हिसाब देने में टंकी कर्मचारियों को पसीना छूट जा रहा है।
टंकी पर तेल घटने की समस्या से परेशान कर्मचारी अपने बचाव का कोई रास्ता नहीं निकाल पा रहे हैं।
ड्यूटी है तो करनी पड़ेगी, मगर टंकी की ड्यूटी करना नौकरी को फंसा देने जैसा है। कर्मचारियों का कहना है कि कई बार अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया है।
इसके बाद अफसर कई बार अपनी मौजूदगी में टंकी में तेल उतरवा चुके हैं, मगर कोई खामी पकड़ी नहीं जा सकी।
कर्मचारियों से की जा रही रिकवरी
टंकी की डयूटी पर रहने वाले कर्मचारियों के लिए नौकरी जी का जंजाल बन गई है।
ड्यूटी न करें तो आफत और ड्यूटी करें तो तेल का हिसाब कहां से दें।
हाल ये है कि कर्मचारियों को रिकवरी का नोटिस दिया जा रहा है। जिसका नतीजा है कि तमाम कर्मचारी हाईकोर्ट का सहारा ले रहे हैं।
चार कर्मचारियों पर दर्ज करा दिया केस
तेल घटने के मामले में बुकिंग लिपिक राकेश कुमार गुप्ता, बुकिंग लिपिक विनोद कुमार तिवारी और राज किशोर कुठार समेत चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। केस रोडवेज प्रशासन की ओर से सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराया गया है। इनके खिलाफ तेल में हेराफेरी का आरोप है। मिर्जापुर डिपो से सेवानिवृत्त रामआसरे तिवारी की ग्रेच्युटी रोक ली गई है। हाल ही में राम आसरे रिटायर हुए। इसके बाद उन्हें पता चला कि उनकी ग्रेच्युटी उन्हें नहीं मिलेगी। कार्यालय से नोटिस भी मिला। 2018-19 में रामआसरे की ड््यूटी लीडर रोड डिपो पर थी। ड््यूटी के दौरान रामआसरे तेल का हिसाब नहीं दे पाए। इसके बाद जांच शुरू हो गई। अब जब हाल में रिटायर हुए तो ग्रेच्युटी रुक गई। राम आसरे को करीब दस लाख रुपये ग्रेच्युटी मिलनी थी। उन्होंने हाईकोर्ट में रिट दाखिल करने के लिए वकील से सम्पर्क किया है।
प्रयाग डिपो पर तेल भरने के लिए दो टंकी बनाई गई हैं। जिसमें से एक टंकी की मशीन खराब हो गई है। यह मशीन डेढ़ महीने से बंद पड़ी है। बताया जा रहा है कि इसका पावर कार्ड जल गया है। इसकी सूचना इंडियन ऑयल के अफसरों को दी गई है, मगर इसको ठीक नहीं कराया जा सका है। जिसकी वजह से अभी एक ही टंकी से काम चलाना पड़ रहा है।
इन सवालों का जवाब दें अफसर
जब रिकवरी का डर है तो फिर क्यों कर्मचारी चुराएंगे तेल।
सिस्टम को हाईटेक बनाने के बजाए कर्मचारियों को क्यों किया जा रहा परेशान।
तेल टंकियों का फिटनेस टेस्ट क्यों नहीं कराया जा रहा।
मीटर और गेज की गड़बड़ी को कर्मचारियों पर क्यों थोपा जा रहा।
तेल घटने पर स्पष्टीकरण देने बाद भी कर्मचारियों को क्यों दी जा रही नोटिस।
टंकी पर ड्यूटी से इंकार करने पर क्यों दी जा रही है कार्रवाई की धमकी।