भारत के 1.2 करोड़ लोगों को है कार्निया ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत

प्रयागराज ब्यूरो ।नेत्रदान समाज सेवा का पूरी तरह से स्वैच्छिक कार्य है। नेत्रदान में एक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने का वचन देता है। भारत में, लाखों लोगों को दोबारा अपनी आंखों की रोशनी हासिल करने के लिए कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की जरूरत है। दुर्भाग्य से 10 प्रतिशत से भी कम लोगों को इसका लाभ मिल पा रहा है। यह स्थिति तब है जब एक अनुमान के मुताबिक भारत में 1.2 करोड़ लोग कॉर्नियल ट्रांसप्लांट हो जाने पर फिर से दुनिया को देख सकते हैं। यह कहना है एमडीआई के वरिष्ठ नेत्र परीक्षण अधिकारी डॉक्टर एसएम अब्बास का।
दुनिया के एक चौथाई दृष्टिहीन भारत में
डॉ अब्बास बताते हैं कि पूरी दुनिया की दृष्टिहीन जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा भारत में है। जिसमें से अधिकांश बच्चे हैं। इन चौंकाने वाले आंकड़ों की वजह से मृत्यु के बाद नेत्र दान को अनिवार्य बनाने जैसे प्रस्ताव आ रहे हैं। भारत में नेत्रदान के लिए लोगों को मोटीवेट करने के उद्देश्य से अॅवेयरनेस कैंपेन चलाए जाने के बाद भी कार्निया डोनेट करने वालों की संख्या बेहद कम है। इसके पीछे कम जागरूकता के साथ अंधविश्वास है, जो अंग दान के बारे में कम जानकारी की कमी से उत्पन्न होता है।

पूरी आंख ट्रांसप्लांट नहीं होती
वर्तमान में केवल कॉर्निया और स्क्लेरा का उपयोग ट्रांसप्लांटेशन के लिए किया जा सकता है न कि पूरी आंख का।
कॉर्निया एक पारदर्शी परत है जो आंख के अगले हिस्से को कवर करता है और स्क्लेरा आंख का सफेद भाग है
वास्तव में, कॉर्निया ट्रांसप्लांट वर्तमान में मानवों में सबसे अधिक उपयोग होने वाली सामान्य ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में से एक है।

नेत्रदान करने की कोई उम्र सीमा नहीं
यदि कोई व्यति अपनी आंख दान करने का वचन देता है तो उन्हें केवल उसकी मृत्यु के पश्चात ही प्राप्त किया जाता है।
अधिकांश मामलों में, आंखों का उपयोग जरूरमंद को रोशनी का उपहार देने में किया जाता है
80 साल की उम्र के बाद कई बार आंख दान के लिए अनुपयोगी हो सकती है फिर भी उसका उपयोग रिसर्च व अन्य कार्यों के लिए हो सकता है
मृत्यु होने के 4-6 घंटों के भीतर आंख को प्राप्त करना चाहिए और दान की गई आंखों का उपयोग 2-3 दिन के भीतर किया जाना चाहिए।

नेत्रदान किसी भी धर्म के खिलाफ नही है
दुनिया के सभी प्रमुख धर्म नेत्रदान का समर्थन करते हैं और इसे एक महान सामाजिक सेवा के रूप में प्रोत्साहित करते हैं
यह किसी को बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन जीने की क्षमता प्रदान करती है
रोशनी का यह उपहार उन अच्छे मूल्यों के अनुरूप है, जिन्हें दुनिया के धर्मों द्वारा प्रचारित किया जाता है

दानदाता का परिवार न तो पैसा देगा या प्राप्त करेगा
यह समाज सेवा का पूरी तरह से स्वैच्छिक कार्य है। इसके लिए दानदाता या उसके परिवार को कोई पैसा नहीं दिया जाता है
क्योंकि अंगों की बिक्री या खरीद गैर-कानूनी है। दानदाता के परिवार को नजदीकी नेत्र बैंक से संपर्क करना चाहिए ताकि चिकित्सक आकर परीक्षण करके आंखों को प्राप्त कर सके
इस पूरी प्रक्रिया में मुश्किल से आधा घंटे का समय लगता है

Posted By: Inextlive