अगर आपको बुखार नहीं आ रहा है और बाकी सभी लक्षण हैं तो डेंगू होने की पूरी संभावना है. आजकल डॉक्टर्स के पास ऐसे मामले पहुंच रहे हैं. जिनमें मरीज के जोड़ों में दर्द सिर में दर्द और कमजोरी की शिकायत हो रही है. जब जांच कराई गई तो रोगियों के शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा भी कम पाई गई. ऐसे में डॉक्टरों को मरीज का डेंगू का इलाज शुरू करना पड़ा. बुखार नही आने से खुद मरीज भी परेशानी में था. डॉक्टर्स का कहना है कि यह एफेब्रिल डेंगू है और यह नार्मल डेंगू से अधिक घातक हो सकता है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। सामान्य तौर पर माना जाता है कि डेंगू में लोगों को बहुत तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द की समस्या होती है, हालांकि एफेब्रिल डेंगू के लक्षण इससे बिल्कुल अलग हैं। डेंगू के कई ऐसे मरीजों का निदान किया जा रहा है जिनमें बुखार के बिना भी प्लेटलेट्स काफी तेजी से कम हो जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या भी कम हो रही है। इस तरह के डेंगू को ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें रोगी को तब तक इस बारे में पता नहीं चल पाता है जब तक उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब नहीं हो जाती।एक यूनिट ब्लड के बदले तीन यूनिट प्लेटलेट


डेंगू का प्रकोप इतना अधिक बढि़ गया है कि ब्लड बैंकों में प्लेटलेट की शार्टेज होने लगी है। एएमए ब्लड बैंक में इस समय एक यूनिट ब्लड के बदले महज तीन यूनिट ही प्लेटलेट दी जा रही है। जबकि पहले छह यूनिट प्लेटलेट मिलती थी। एएमए सचिव डॉ। राजेश मौर्या का कहना है कि एक दिन में डेढ़ से दो सौ यूनिट प्लेटलेट बन नही है और डिमांड इससे दोगुनी है। उनका कहना है कि कोरोना काल में डोनेशन कम होने से पहले से आधी प्लेटलेट ही एक दिन में तैयार हो पा रही है।डोंट वरी, खाली हैं बेडउधर अस्पतालों में डेंगू के अधिक मरीज बढ़ जाने से बेड कम पड़ गए हैं। कई अस्पतालों से मरीजों को वापस भेजा जा रहा है। जब इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हमारे पास तीनों सरकारी अस्पतालों में कुल 50 बेड खाली है। जिसमें एसआरएन अस्पताल में 17, बेली अस्पताल में 23 और काल्विन अस्पताल में 10 बेड खाली हैं। अधिकारियों का कहना है कि सभी मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। किसी को भी अस्पताल से वापस नही किया जाएगा।800 के पार हो गए मामलेइस बीच डेंगू का ग्राफ बढ़कर 800 के पार हो गया है। जिले में 16 नए मरीज आने के बाद स्वास्थ्य विभाग बीमारी की रोकथाम में लग गया है। वर्ष 2016 के बाद यह दूसरा मौका है जब डेंगू के मरीजों की संख्या इतनी अधिक हो गई है। उस समय आंकड़ा एक हजार के पार हो गया था। समानता यह है कि उस साल भी बाढ़ आई थी और इस बार भी बाढ़ आई थी। इसकी वजह से कछार एरिया में डेंगू के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।वर्जन

सरकारी अस्तालों में डेंगू मरीजों के लिए बेड खाली हैं। यह कहना गलत है कि हमारे पास बेड नही बचे हैं। तीनों अस्पतालेां में आने वाले मरीजों को वापस नही किया जा रहा है।आनंद सिंह, जिला मलेरिया अधिकारीइस समय ऐसे कई मरीज आ रहे हैं जिनमें बुखार नही आ रहा है लेकिन जांच कराने पर डेंगू की पुष्टि हा रही है। इसे एफ्रेबिल डेंगू कहते हैं और इसमें मरीज को पता ही चलता कि वह संक्रमित है।डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन

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