-रोजा खत्म कर देता है दिल का दौरा पड़ने का रिस्क

-साल भर के लिए करता है शरीर के तंत्रों की ओवरहालिंग

प्रयागराज- जब हम रोजा रखते हैं तो यकीनन उसका मकसद होता है गुनाहों से बचना और अपने रब की कुरबत अख्तियार करना। लेकिन अल्लाह ने जो भी हुक्म फरमाया है वह यकीनन इन्सान और इन्सानियत की भलाई के बहुत से पहलुओं को शामिल करता है। यही बात रोजे के हुक्म पर भी साबित है। अल्लाह के प्यारे रसूल हजरत मोहम्मद साहब ने इरशाद फरमाया 'ऐ मुसलमानों रोजे रखो'। सेहत के लिए आज मेडिकल साइंस की रिसर्च भी यही साबित करती है कि रोजा दरअसल इंसानी जिस्म के हर सिस्टम का प्रोटेक्टर यानि कि पहरेदार है। जिस्म का हर सिस्टम बेहतरीन तरीके से काम करता रहे इसके लिए रोजा पूरी तरह मददगार है।

पाचन क्रिया को बनाता है मजबूत

इनाया फाउंडेशन चौरिटेबल ट्रस्ट प्रयागराज के सेक्रेटरी डा। मोहम्मद कदीर बताते हैं कि

रोजा रखने से पाचन क्रिया मजबूत रहती है। निजामे हजमा (पाचन) यानि डाईजेस्टिव सिस्टम दांत, जबान गला, खाने की नली -ए-मेदा यानि आमाशय छोटी आंत और बड़ी आंत शामिल हैं। जब हम खाना शुरू करते हैं या खाने का इरादा करते हैं तो दिमाग इस पूरे सिस्टम को हरकत में ला देता है। ये पूरा सिस्टम तब तक ऐक्टिव रहता है जब तक कि खाना पूरी तरह हजम नहीं हो जाता। यानि दिन में तीन बार खाने का मतलब हुआ कि हाजमे का सिस्टम चैबीस घण्टे लगातार चलता रहे। हाजमे के सिस्टम की लगातार हरकत और खाने पीने की लापरवाही से इस सिस्टम को खराब कर देती है और इंसान पेट की बीमारियों का शिकार होने लगता है। रोजे के दौरान पन्द्रह-सोलह घण्टों तक खाने पीने से परहेज इस सिस्टम को आराम की पोजीशन में ला देता है। इस तरह पाचन का सिस्टम स्वयं को दुरुस्त यानि कि रिपेयर कर लेता है।

इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत

लीवर जिस्म का निहायत अहम हिस्सा है, जो न सिर्फ हाजमे में मदद करता है बल्कि खून भी बनाता है। साथ में जिस्म के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है जिससे इंसान में बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा होती है। रोजा लीवर को हाजमे के काम से कुछ घण्टों के लिए फ्री कर देता है, नतीजे में वह पूरी ताकत के साथ खून बनाने और इम्युन सिस्टम को मजबूत करने लगता है। इस तरह एक महीने का रोजा जिस्म में साल भर के लिए बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा कर देता है।

दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम

आज की भागदौड़ की जिंदगी में लोग हाईपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं। रोजे के दौरान डायस्टोलिक प्रेशर की कमी उन्हें इस बीमारी से बचाकर रखती है। और सबसे खास बात कि रोजे के दौरान अफ्तार से चन्द लम्हों पहले तक खून से कोलेस्ट्राल, चर्बी और दूसरी चीजें पूरी तरह साफ हो जाती हैं और रगों में जमने नहीं पातीं। जिससे दिल का दौरा पड़ने का रिस्क खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं रोजे के दौरान जिस्म के हिस्सों यानि गुर्दो, फेफड़ों और स्किन से जहरीला माद्दा निकलने की प्रोसेस तेज हो जाती है। रोजा फूड एलर्जी, थकान और पेट की दूसरी बीमारियों में भी फायदा पहुंचाता है। पीठ दर्द और गर्दन दर्द में रोजे की हालत में आराम देखा गया है। फास्टिंग या उपवास न्यूट्रिशन के तीन पिलर्स में से एक है। बाकी दो पिलर्स हैं बैलेंसिंग और बिल्डिंग। जबकि फास्टिंग का सबसे अच्छा तरीका है रोजा। ये बात मेडिकल रिसर्च से साबित है।

- रोजे के दौरान पन्द्रह-सोलह घण्टों तक खाने पीने से परहेज शरीर के सभी सिस्टम को आराम की पोजीशन में ला देता है। इस तरह पाचन का सिस्टम स्वयं को दुरुस्त यानि कि रिपेयर कर लेता है।

डा। मोहम्मद कदीर- सेक्रेटरी,

इनाया फाउंडेशन चेरेटेबल ट्रस्ट, प्रयागराज

Posted By: Inextlive