हर किसी के चेहरे पर उदासी और आंखों से अश्क का था. हर उम्र के लोगों की जुबां पर या हुसैन...या हुसैन...की सदाएं थीं. मातमी माहौल में हजारों लोग जुलूस की शक्ल में कदम बढ़ाते रहे. कर्बला के शहीदों को याद में हर दिल गमगीन रहा. मोहर्रम की दसवीं पर अजादार 'गर्म रेती पर गिरता हूं सम्भालो अम्मा... जैसे नौहा पढ़ते हुए इमामबाड़ों से कर्बला की तरफ बढ़ते रहे. गमजदा अजादारों द्वारा जंजीरी व सीनाजनी मातम देख सभी आंखें भर आईं. कर्बला में ताजिया के फूल सुपुर्दे-खाक करने के बाद आंसू बहाते हुए सभी घरों को वापस लौटे.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। मोहर्रम की दसवीं का जुलूस मंगलवार की सुबह शुरू हुआ। जुलूस में पढ़ी जा रही नौहा को सुनकर अजादारों की आंखें नम हो गईं। आगे-आगे जैगम अब्बास मर्सिया पढ़ते हुए दायरा शाह अजमल, सेवंई मंडी इमामबाड़ा से रानीमंडच्ी बच्चा जी धर्मशाला, इमामबाड़ा मीर हुसैनी तक लेकर गए। जाकिरे अहलेबैत रजा अब्बास जैदी ने शहादत इमाम हुसैन का मार्मिक अंदाज में पेश किया तो अजादारों के चेहरे पर गमगीन हो गए। अंजुमन आबिदया के नौहाख्वान मिर्जा काजिम अली विजारत व तौसीफ नौहों और मातम की सदाओं के साथ तुरबत जुलूस बच्चा जी धरमशाला चड्ढ़ा रोड कोतवाली नखास कोहना खुलदाबाद हिम्मतगंज होते हुए चकिया करबला तक लेकर गए। कर्बला में इमाम हुसैन के रौजे पर तुरबत रखकर सिर व छाती पीटकर मातम किया गया। वहीं, दूसरा जुलूस रानीमंडी चकिया नीम इमामबाड़ा मिर्जा नकी बेग से अंजुमन हैदरिया रानीमंडी की ओर से बशीर हुसैन की कयादत में निकाला गया। इसमें अंजुमन के नौहाख्वान हसन रिजवी ने नौहाख्वानी की। अलम व जुलजनाह की शबीह भी साथ रही। रास्तेभर अजादारों ने दुलदुल व अलम का बोसा लेते रहे। अंजुमन गुंचा ए कासिमया के प्रवक्ता सै। मो। अस्करी के मुताबिक दरियाबाद के इमामबाड़ा जद्दन मीर साहब, इमामबाड़ा अरब अली खां, इमामबाड़ा सलवात अली खां, इमामबाड़ा मलिक, इमामबाड़ा •ौदी, इमामबाड़ा हुसैन अली खां, इमामबाड़ा गुलजार अली खां से मुहर्रम पर रखे गए ताजिये के फूल को दरियाबाद कब्रिस्तान में अश्कों का नजराना पेश करते हुए सुपुर्द-ए लहद किया गया।

Posted By: Inextlive