प्रयागराज जिले के 20 छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं. परिजनों का फोन से उनसे लगातार संपर्क तो हो रहा है लेकिन वे कब तक घर वापस आ सकेंगे इसका कोई पता नहीं है. परिजन अपने बच्चों की सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं. वहीं सरकार से भी वे अपने बच्चों को घर वापस लाने की मांग कर रहे हैं. दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने यूक्रेन के रोमानिया समीप बने शेल्टर पोलैंड के होटल प्रीजीडेन्की उल पॉडविस्लोक्ज और सूमी सिटी में फंसे आधा दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं से वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की. उन्होंने वहां की परेशानी के साथ ही बदहाली की कहानी सुनाई और दिखाया. उनका कहना था कि मेडिकल की पढ़ाई करने आए थे अब अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. वहीं छात्रों को भारतीय दूतावास वापस देश लाने के लिए अलग-अलग बॉर्डर पर व्यवस्था कर रही है. लेकिन इसमें कई अड़चनें आ रही हैं.

विनय कुमार सिंह

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यूक्रेन में फंसे छात्रों से दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने वीडियो कॉल के जरिए बातचीत की। छात्राओं ने बताया कि वहां कड़कती ठंड में कोई 40 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पहुंच रहा है तो किसी को 24 घंटे से अधिक भूखे प्यासे बॉर्डर पर इंतजार करना पड़ रहा है। पानी की बोतल भारतीय मुद्रा के मुताबिक दो सौ रुपये खर्च करने पर मिल रहा है। हर जरूरी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। इससे उनको परेशानी हो रही है। बताया कि थोड़ी दूरी की यात्रा के लिए मिनिमम एक हजार यूक्रेन डॉलर देना पड़ रहा है। जबकि सफर अभी पूरा बाकी है। बार्डर पर इतनी भीड़ है कि सभी दस्तावेजों को चेक करने में बहुत समय लग रहा है। ऐसे में परिजनों ने केंद्र सरकार से बचाव की गुहार लगाई है।

सरकार से नाराज दिखे छात्र
आधा दर्जन से अधिक छात्रों ने भारत सरकार पर नाराजगी जताई। कहा कि उनको पता था कि यहां बीस हजार से अधिक बच्चे हैं तो उसी के हिसाब से व्यवस्था करनी चाहिए। कुछ छात्र तो यूक्रेनियन यूनिवर्सिटी को ही इसके लिए जिम्मेदार बताने लगे।

प्राची के घर लौटने की उम्मीद में है पूरा परिवार
आजाद नगर झूंसी निवासी बैंक कर्मचारी कृपा शंकर मिश्रा की बेटी प्राची मिश्रा यूक्रेन के खरकीव में है। वह खरकीव मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। परिवार हर घंटे फोन कर बेटी से बात कर रहा है। मां नीलम मिश्रा ने बताया कि लगातार उनकी वीडियो कॉल से बात हो रही है। प्राची ने बताया कि उनके शहर में धमाके लगातार हो रहे हैं। हालात इतने बुरे हैं कि इंडियन एंबेसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। यहां ठंड भी बहुत अधिक पड़ रही है। इसके चलते यहां रहना मुश्किल हो रहा है।

बेटी लिए चिंतित है पूरा परिवार
रमन का पूरवा सुलेम सराय निवासी रिटायर्ड कस्टम विभाग के घनश्याम पांडेय की बेटी रुचि इस वक्त पोलैंड के प्रीजीडेन्की उल पॉडविस्लोक्ज में है। वह टेरनोपिल नेशनल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। रुचि 2019 में यूक्रेन गई थी। बेटी की सुरक्षा को लेकर परिजन चिंतित हैं। वे लगातार रुचि से हर घंटे फोन पर संपर्क में बने हुए हैं। रुचि के भाई सुनिल पांडेय, पिता घनश्याम और मां उर्मिला पांडेय अपनी बेटी की घर वापसी के लिए परेशान हैं। रुचि फिलहाल प्रीजीडेन्की उल पॉडविस्लोक्ज में ही सुरक्षित है। रिपोर्टर के सामने परिजनों से हुई बातचीत में रुचि ने बताया कि वहां सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं।

घर पहुंचने की सता रही चिंता
भोला का पूरवा निवासी धनंजय कुशवाहा की बेटी अर्पिता कुशवाहा सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। वह इस वक्त सूमी सिटी में है। परिवार के लोग बेटी की सुरक्षा की चिंता सता रही है। फोन पर परिजन लगातार बेटी से संपर्क में बने हुए हैं। रिपोर्टर से बातचीत में अर्पिता ने बताया कि खाने-पीने का सामान धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। मुश्किलें बढ़ती जा रही है। बस एक ही चीज सता रहा है। किसी भी हाल में इंडिया सुरक्षित पहुंच जाए। यहां की व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।

Posted By: Inextlive