- हाईकोर्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर एक करोड़ 37 लाख 50 हजार की ठगी का मामला आया सामने- एजी ऑफिस के सेवानिवृत्त कर्मचारी ने गैंग लीडर समेत सात लोगों के खिलाफ लिखाया मुकदमाक्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: बेरोजगारी से जूझ रहे युवकों को हाईकोर्ट में नौकरी दिलाने का ख्वाब दिखाकर एक करोड़ 37 लाख 50 हजार रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. युवकों से यह ठगी विभिन्न पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर की गई है. रुपये देने के बावजूद जब नौकरी नहीं मिली तो सभी पैसे वापस मांगने लगे. इस पर रुपयों के बजाय उन्हें धमकियां मिलने लगीं. एजी ऑफिस से सेवानिवृत्त हुए रामजतन मंडेला ने इस मामले की तहरीर कैंट पुलिस को दी है. तहरीर के आधार पर पुलिस ने गैंग लीडर शमीम अहमद सिद्दीकी व उसके साथी राघ्वेंद्र ङ्क्षसह मो. अलीम मो. सैफ मो. गौस मो. कैफ शाहिद अली सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस द्वारा सभी आरोपित सोरांव एरिया के बताए गए हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। आरोपितों की तलाश में जुटी पुलिस
रामजतन मंडेला शहर स्थित राजापुर उंचवागढ़ी के रहने वाला है। उन्होंने पुलिस को बताया है कि बेरोजगार बेटे की सरकारी नौकरी को लेकर वह परेशान थे। इस बीच दोस्त धर्मराज ङ्क्षसह निवासी गोंडा के माध्यम से उनकी मुलाकात राघवेंद्र ङ्क्षसह, अलीम व कुछ अन्य लोगों से वर्ष 2017 में एजी ऑफिस के हुई थी। उस वक्त सभी लोग उन्हें बताए थे कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट व अधीनस्थ न्यायालयों में सीधी भर्ती चल रही है। यहां कुछ नए पद भी सृजित किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ सेक्रेटरी, हाईकोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार शमीम से खुद की खुद की नजदीकी व अच्छी पहचान भी बताए थे। हालांकि शमीम डिप्ट्री रजिस्ट्रार नहीं था। उन लोगों के द्वारा उन्हें कई न्यायमूर्ति के कूटरचित हस्ताक्षर, फोटोयुक्त कागजात भी दिखाए। जिसे देखकर वह उनके झांसे में आ गए। झांसे में फंसने के बाद कई लोगों की नौकरी के लिए करीब एक करोड़ 37 लाख से से भी अधिक रुपये दिए गए। इन रुपयों का विभिन्न स्थानों पर दिया गया। कहना है कि रुपये दिए जाने के बावजूद किसी को भी नौकरी नहीं मिली। इस पर जब लोग रुपये वापस मांगने लगे तो आरोपित उन्हें धमकी और गालियां देने लगे। बताते चलें कि ऐसे ही एक मामले में शमीम समेत पांच लोगों को दो साल पहले भी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

ठगी के शिकार लोग और रेट
आरोपित शातिरों द्वारा हर पद के रेट अलग-अलग बताए बताए गए थे।
पुलिस के मुताबिक दर्ज मुकदमें में प्रशासनिक अधिकारी पद के लिए 40 लाख
अनुभाग अधिकारी पर के लिए 20 लाख और महानिबंधक पद के लिए 50 लाख
इसी तरह समीक्षा अधिकारी पद के लिए 25 एवं लिपिक पद के लिए 10 लाख रुपये का रेट शातिरों द्वारा बताए गए थे
बताया गया कि कृष्ण प्रताप ङ्क्षसह, विकास ङ्क्षसह, सुनील कुमार ङ्क्षसह, योगेंद्र प्रताप ङ्क्षसह, संजय ङ्क्षसह सहित
कई अन्य लोगों को शातिरों द्वारा निशाना बनाया गया। इन लोगों से फ्राड गैंग के जरिए विभिन्न पदों पर आवेदन करवाए गए थे।
बताया गया है कि रुपये एमएनएनआइटी परिवार और कार के अंदर एवं सोरांव स्थित देवास मोटर्स शोरूम में कैस दिए गए थे।
आरोप तो यह भी है कि यह शोरूम शमीम का ही है। गैंग सिर्फ यहीं नहीं, गैर प्रदेशों में भी अपना जाल बट्टा फैला रखा है।


इस मामले की तहरीर छह सात दिन पहले मिली थी। जिस पर मुकदमा दर्ज किया था। तहरीर में कई लोगों पर नौकरी के नाम पर ठगी के आरोप लगाए थे। दर्ज किए गए इस मुकदमें में जांच और आरोपितों की तलाश की जा रही है।
अनुराग शर्मा, प्रभारी निरीक्षक कैंट

Posted By: Inextlive