प्लेटफॉर्म पर जीआरपी-आरपीएस की मदद न मिलना भी उपभोक्त अधिकार का हनन. एक नंबर प्लेटफॉर्म पर बेहोश पड़ा था फौजी नहीं मिली मदद अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ चुका था दमफरीदकोट में थी पोस्टिंग पिता की तबियत खराब होने की सूचना पर आ रहा था प्रयागराज


प्रयागराज ब्यूरो ।रनिंग ट्रेन में सुविधा न मिले या फिर प्लेटफॉर्म पर उतरने के बाद सुविधा न मिलना दोनों केस में उपभोक्त हित का मामला होता है। इसे साबित कर दिया है जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने एक आदेश में। फोरम ने ट्रेन से यात्रा कर रहे फौजी को समय पर मदद न मिलने को आधार मानते हुए रेलवे पर आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। रेलवे को आठ फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।प्रीतमनगर में रहता था परिवार


प्रकरण प्रयागराज के प्रीतमनगर मोहल्ले से जुड़ा हुआ है। यहां के रहने वाले राम निरंजन पाठक के बेटे विनोद कुमार पाठक की 2012 में तैनाती भारतीय सेना में थी। नवंबर 2012 में हुई घटना के समय उसकी पोस्टिंग फरीदकोट (गुजरात) में थी। रामनिरंजन की तबियत अचानक बिगड़ी तो परिवार के सदस्यों ने उन्हें एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान राम निरंजन ने बेटे से मिलने की च्च्छा जताई तो परिवार के सदस्यों ने विनोद को यह मैसेज कन्वे कर दिया। पिता की तबियत खराब होने का मामला था तो सेना से उसे अवकाश मंजूर हो गया और घर जाने की अनुमति मिल गयी। विनोद अवकाश लेकर 13 नवंबर 2012 को फरीदकोट से नार्थ-ईस्ट एक्सप्रेस से अपने घर प्रयागराज के लिए निकला। परिवार के लोगों का कहना था कि रास्ते में उनकी विनोद से बात हुई थी। बातचीत के दौरान उसने अपनी लास्ट लोकेशन कानपुर बतायी थी।बेहोश पड़ा था प्लेटफॉर्म पर

ट्रेन प्रयागराज पहुंची तो येन केन प्रकारेण विनोद प्लेटफॉर्म एक पर उतर गया। वह बेहोशी की अवस्था में था। उसकी स्थिति देखकर किसी दूसरे पैसेंजर ने विनोद के मोबाइल से उसके परिवारवालों को फोन किया और जानकारी दी। यह सूचना पाकर सन्नाटे में आ गये परिवार के लोग स्टेशन पहुंचे तो विनोद को प्लेटफार्म नंबर एक पर बेसुध पड़ा देखा। उन्होंने आरपीएफ और जीआरपी से हेल्प की रिक्वेक्ट की लेकिन उनकी तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद भाई खुद उठाकर विनोद को काल्विन अस्पताल ले गया। यहां डाक्टर्स ने बताया कि विनोद की मौत हो चुकी है। इस पूरे प्रकरण के साथ विनोद के पैरेंट्स ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया और वाद दाखिल किया। इसमें उन्होंने बेटे की मौत के लिए रेलवे की लापरवाही को जिम्मेदार बताया था। वाद में उन्होंने खुद की उम्र का हवाला देते हुए बताया कि विनोद की पत्नी और तीन च्च्चे हैं जो उसके न रहने पर बेसहारा हो गये हैं। वाद में कहा गया कि रेलवे यात्रियों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान देने का दावा करता है। जीआरपी और आरपीएफ के जवानों ने वक्त पर मदद की होती तो विनोद की जान न जाती। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम व सदस्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी ने प्रस्तुत प्रत्रावली और एवीडेंस को परखने के बाद सुनाये गये फैसले में कहा कि पत्नी, बूढ़े मां-बाप व च्च्चे मृतक पर आश्रित थे। विपक्षी यानी रेलवे माता-पिता, पत्नी व तीन च्च्चों को आदेश की तिथि से दो माह के भीतर आठ प्रतिशत ब्याज के साथ आठ लाख रुपए का भुगतान करे। भुगतान की राशि छह लोगों में बराबर बांटी जाएगी। तीनों नाबालिग च्च्चों के हिस्से का पैसा किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में फिक्स डिपाजिट कराने का आदेश फोरम ने दिया है।

Posted By: Inextlive