पीएचडी में प्रवेश को ¨हदी विभाग ने पलटा अपना ही निर्णय
एक सत्र में प्रवेश के लिए बन गये थे दो तरह के नियम,
अब तक विवादों में घिरी ¨हदी विभाग की पीएचडी प्रवेश परीक्षा नए विवाद में घिरने से बच गई। यही वजह है कि मंगलवार देर शाम विभाग को अपना ही निर्णय पलटना पड़ा। विभागाध्यक्ष की ओर से लघु परीक्षा की सूचना जारी होने के बाद इविवि प्रशासन को अपनी गलती का एहसास हुआ कि एक ही सत्र में प्रवेश के लिए दो तरह के नियम बनाए गए हैं। ऐसे में देर शाम पीआरओ डा। जया कपूर की तरफ से सूचना जारी कर कहा गया कि लेवल-1 में सफल अभ्यर्थियों को लेवल-2 के लिए लिखित परीक्षा नहीं देनी होगी। वह सिनाप्सिस जमा कर इंटरव्यू में शामिल हो सकेंगे। 90 सीटों पर होना है प्रवेशशैक्षणिक सत्र 2019 में हिंदी विषय से पीएचडी के लिए कुल 90 सीटों पर प्रवेश को आवेदन मांगे गए थे। प्रवेश परीक्षा के बाद कुल 78 को प्रवेश मिला। बची 12 सीटों पर प्रवेश नहीं दिया गया। बाद में दूसरे चरण के तहत 19 सीटों पर आवेदन मांगे गए। यह मामला विवादों में घिरा और कोर्ट पहुंच गया। इसी बीच सत्र 2020 में पीएचडी प्रवेश के लिए कुल 41 सीटों पर आवेदन मांग लिए गए। जब इस पर सवाल उठने लगे तो तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो। आरआर तिवारी ने नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी। कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव की पहल पर यह विवाद निपटाया गया। इसी बीच सोमवार को विभागाध्यक्ष प्रो। कृपाशंकर पांडेय ने यह निर्णय लिया कि क्रेट 2019 फेज-2 में अर्ह छात्रों को 30 जुलाई को विभाग में एक घंटे की लघु परीक्षा देनी होगी। इसके बाद ही साक्षात्कार होगा। उन्होंने बताया कि इस बार प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सिनाप्सिस जमा कराने की जगह विभाग में लिखित परीक्षा कराई जाएगी। बाद में इविवि प्रशासन को गलती का एहसास हुआ तो परदा डालने की कोशिश शुरू कर दी गई।
हिंदी विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार छात्रों को पूर्व सूचित लघु परीक्षा के स्थान पर अब 30 जुलाई को सिनाप्सिस के साथ साक्षत्कार के लिए उपस्थित होना होगा। डा। जया कपूर, पीआरओ