निकला दुलदुल, जंजीरों से हुआ मातम
माहे मोहर्रम के तहत मजलिस व मातम के साथ जंजीरों से पुश्तजनी कर सिलसिला चल रहा है। दरियाबाद स्थित कदीमी इमामबाड़ा अबुल हसन खां में आयोजित मजलिस में कर्बला सरजमी पर पैगम्बरे इस्लाम मोहम्मदे मुस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी का जिक्र हुआ। जाकिरे अहलेबैत रजा हसनैन ने इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके वफादार घोड़े जुलजनाह की अपने रहवार से उलफत और वफादारी का तजकेरा किया। इमाम हुसैन पर यजीदी लश्कर द्वारा ढाए गए जुल्मों की दास्तां सुनाई तो आहो बुका की सदा गूंजने लगी। इसके बाद सूती व रेशमी चादर से ढके दुलदुल घोड़े पर गुलाब व चमेली के फूलों से सजा कर जुलजनाह की शबीह निकाली गई। लोगों ने जुलजनाह को दूध व जलेबी खिलाकर मन्नतें मांगी।
अंजुमन हाशिमया के नौहाख्वान सफदर अब्बास डेजी, अब्बास जैदी, अर्शी,अनादिल आदि नौहाख्वानो ने शायर आमिरुर रिजवी व शायर डा। कमर आब्दी का लिखा नौहा पढ़ा। वहीं, अंजुमन के सदस्यों ने जंजीरों मे जुड़ी तेज धार की छूरीयों से पुश्तजनी कर अपने आप को लहुलुहान कर लिया। मजलिस में खाकान सिब्तैन, गौहर काजमी, हसन नकवी, नजीब इलाहाबादी, शफकत अब्बास पाशा, डा। कमर आब्दी, ताहिर मलिक, मिर्जा काजिम अली, सै। मो। अस्करी, सज्जू शामिल रहे।
आज नहीं निकलेगा दुलदुल जुलूसपान दरिबा स्थित इमामबाड़ा सफदर अली बेग से 1836 से निकल रहा दुलदुल जुलूस कोरोना संक्रमण के कारण अबकी नहीं निकलेगा। दुलदुल जुलूस के संयोजक मिर्जा बाबर, सोहेल, शमशाद, जहांगीर, मुन्ना, सलीम, माहे आलम, छोटे बाबू, अफसर, नाजिम, मुरतुजा ने यह निर्णय लिया है। अंजुमन गुंचा ए कासिमया के प्रवक्ता सै। मो। अस्करी के अनुसार सातवीं मोहर्रम मंगलवार की सुबह फजिर की नमाज के बाद इमामबाड़ा सफदर अली बेग मे दुलदुल को सजाया जाएगा।