पहले भी पकड़ी जा चुकी खेप आपसी मिलीभगत और फर्जीवाड़ा से होता है कामपरचेजिंग और सेलिंग के आंकड़ों में होता है खेल

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर में नशीली दवाओं का बिजनेस कोई नया खेल नहीं है। पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सिस्टम की मिलीभगत और फर्जीवाड़े के जरिए ऐसे धंधे गंदे होने के बावजूद फलते फूलते रहते हैं। जिनमें आज की यंग जनरेशन फंस कर रही गई है। शनिवार को नारकोटिक्स की टीम ने वीके इंटरप्राइजेज के आफिस में छापा मारकर एक करोड़ की नशीली दवा जब्त की। इसके बाद फर्म संचालक को जेल भेज दिया गया।

कब कब पकड़ी गई नशीली दवाएं

6 अगस्त 2021 में आलू की बोरियों के बीच छिपाकर ले जाई जा रही नशीली दवाओं को पुलिस ने पकड़ा था। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। यह लोग मप्र में अवैध तरीके से इन दवाओं की सप्लाई कर रहे थे और महेंद्र पिकअप वाहन में सिरप की 9600 शीशी बरामद की गई थीं। इस सिरप का यूज एल्कोहल की तरह किया जाता है।

4 अगस्त 2021 को पुलिस ने कोतवाली पुलिस ने सुभाष मिश्रा नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। वह रीवान जाने की तैयारी कर रहा था। उसके पास से पुलिस को तलाशी में 182 शीशी सिरप और 960 टेबलेट बरामद हुई थीं। यह दवाएं नशे के तौर पर यूज की जाती हैं। तत्कालीन ड्रग सहायक आयुक्त गोविंदलाल गुप्ता ने इस बात की पुष्टि भी की थी।

16 दिसंबर 2022 को पुलिस ने पुराने यमुना पुल के पास से पांच युवकों का लाखों रुपए की नशीली दवाओं के साथ अरेस्ट किया था। पूछताछ में युवकों ने बताया कि वह तीन साल से नशीली दवाओ की तस्करी मे लिप्त हैं। यह लोग दवाओं को मप्र के तमाम जिलों में सप्लाई करते हैं और बदले में मोटी रकम मिलती है।

स्टीमेट पर मंगाया जाता है माल
सोर्सेज बताते हैं कि नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल दवा व्यापारी इसे बड़े दिमाग से करते हैं। इसे स्टीमेट पर खरीदा जाता है और फिर इसे बेचकर सभी सुबूत नष्ट कर दिए जाते हैं। इन दवाओं को कंपनी से डॉक्टरों के नकली पर्चों के आधार पर मंगवाया जाता है। वीके इंटरप्राइजेज के केस में पता चला कि व्यापारी ने गुजरात क किसी फर्म को दवाएं बेची थीं। इसके बाद इनके खिलाफ किसी ने शिकायत दर्ज करा दी। इसके बाद नारकोटिक्स की टीम ने छापा मारकर एक करोड़ की दवा बरामद कर व्यापारी विपुल तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

फिक्स है दवाएं स्टोर करने की लिमिट
नशीली दवाओं का यूज मरीजों को डॉक्टर के पर्चे के आधार पर निश्चित लिमिट पर किया जाता है। आबकारी विभाग द्वारा नारकोटिक्स की दवाओं के लिए लाइसेंस दिया जाता है। जिसके तहत कोई भी दुकानदार मार्फिन या उससे निर्मित दवाओं को अधिकतम दस ग्राम तक रख सकते हैं। इसके अलावा अदर मेडिसिंस 50 ग्राम और कोकीन की दवाओं को दस ग्राम तक अधिकतम स्टोर कर सकते हैं। लेकिन छापेमारी में एक करोड़ की दवाएं जब्त की गई, जो की सीध तौर पर लाइसेंस का उल्लंघन है।

नशाखोरी को बढ़ावा देती हैं दवाएं
आमतौर पर शराब, गांजा और स्मैक आदि को नशे के रूप में यूज किया जाता है। लेकिन आजकल के दौर में यंग जनरेशन खांसी के सिरप सहित तमाम बेहोशी या दर्द निवारक दवाओं को नेश के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। इन दवाओं की ओवर डोज जानलेवा हो सकती है। यह दवाएं अधिक कीमत पर बिना डॉक्टरी पर्चे चोरी छिपे उपलब्ध कराई जाती हैं, जिनका सेवन करने के बाद युवा नशे के आदी हो जाते हैं।

हम लोग समय समय पर दवाओं के स्टोर का स्टाक चेक करते हैं। शिकायत होने पर जांच की जाती है। पकड़े गए व्यापारी के पास परचेजिंग का रिकार्ड ठीक था लेकिन बिक्री के बिल में गड़बड़ी पाई गई है।
संजय कुमार, सहायक आयुक्त औषधि प्रशासन प्रयागराज

हमारी ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है। साथ ही शर्त होती है कि नारकोटिक्स की दवाओं को निश्चित लिमिट में ही स्टोर किया जाएगा। इस समय प्रयागराज में केवल दो फर्म के पास यह लाइसेंस है। अगर ज्यादा लिमिट में दवा रखेंगे तो कार्रवाई की जाएगी।
जितेंद्र कुमार सिंह, जिला आबकारी अधिकारी प्रयागराज

Posted By: Inextlive