अधूरी नींद पर भारी पड़ सकती है ड्राइविंग
प्रयागराज ब्यूरो, ड्राइवर टवेरा कार फुल स्पीड में चला रहा था। ड्राइविंग के वक्त ड्राइवर बात भी कर रहा था। सुबह का समय था। मगर ड्राइवर बात करते-करते सो गया। कहा जाये तो झपकी लग गई। फिर अचानक कार एक ब्रेकर पर आती ही उछल गई। जब तक ड्राइवर की नींद खुलती स्टेयरिंग संभाल पाता, तब तक देर हो चुकी थी। सूत्रों की माने तो हवा में कार उछलते ही स्टेयरिंग घूम गया। फिर क्या, कार नीचे आते ही पोल से टकराई और तीन बार पलटी खाई। हादसे के बाद जब पुलिस की टीम पहुंची तो सीट बेल्ट तक नहीं लगाया गया था। जबकि ड्राइविंग करते वक्त सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य होता है। कार के एक पार्ट्स तक के परखच्चे उड़ गये थे। टवेरा कार कोल्ड मॉडल होने के चलते एयर बैग तक नहीं था। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब टवेरा का पड़ताल की तो
कार पंद्रह साल पुरानी मिली। थर्ड पार्टी ओनरशिप मिली। टवेरा कार किसी मोईन नाम की व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड है। टवेरा कार का पीयूसी 19 नवंबर को ही एक्सपायर हो चुका है।
पल भर में उजड़ गया परिवार, एक साथ गांव पहुंची छह बॉडी
मृतक श्यामलाल के चार बेटे और चार बेटियां है। सभी की शादियां हो चुकी है। सबसे बड़े बेटे संजय अग्रहरि जिनके पत्नी रेखा थी। इनके चार संतान हैं जिनमें से सोनू 18 साल, नेहा 14 साल, नैंसी 12 साल व शिवम 16 साल के है और सभी लोग घर पर रहकर पढ़ाई करते हैं। वही दूसरे नंबर के रमेश कुमार की पत्नी का नाम भी रेखा था। जिनके चार बच्चे है। जिसमें निशी 16 साल, निकिता 4 साल, पलक 8 साल और गोटू उर्फ न्यासा 12 साल की है। वहीं तीसरे नंबर के पुत्र मृतक दिनेश कुमार की औरत का नाम कविता देवी है। जिनके चार संतानें गुडिय़ा 12 साल सायली 14 साल, काजल 10 साल, और एक बेटा शेष अग्रहरि 8 साल का है। वही सबसे अंतिम पुत्र उमेश कुमार की पत्नी का नाम प्रिया देवी हैं। जिनका सिर्फ एक बेटा ओजस नौ माह का था और घर की मुखिया कृष्णा देवी की उम्र लगभग 70 साल थी। इनके परिवार में अब संजय और रमेश ही परिवार का सहारा है। यह सभी लोग खेती बाड़ी का काम करते हैं। पोस्टमार्टम के बाद एक साथ गांव में छह बॉडी के पहुंचते ही लोगो का हुजूम उमड पड़ा। घर में चीखपुकार मच गयी और गांव में सन्नाटा पसर गया। सभी की जुबान से एक ही शब्द निकल रहा था कि पल भर में परिवार उजड गया।
त्योहार के तीसरे दिन दु:खों का टूटा पहाड़
शिवगढ निवासी स्व। श्याम लाल अग्रहरि के तीसरे नंबर का बेटा उमेश कई वर्षो से गुजरात के अहमदाबाद में रहकर सब्जी का कारोबार करता है। वह दीवाली में घर आया था। उसने अपने नौ माह के बेटे ओजस के मुंडन की तैयारी गुरूवार को की थी। बच्चे के जन्म से पूरा परिवार खुशहाल था। वह गुरूवार को मुंडन कराने के लिए टवेरा कार से विंध्याचल जा रहे थे और हादसा हो गया। हादसे के बारे में जानकर हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। दिवाली के तीसरे ही दिन इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। भरे-पूरे परिवार के सभी लोग दिवाली पर एकत्र थे तो खुशियां छाई थीं। लेकिन इस अनहोनी के बाद अब विलाप से गांव में सन्नाटा पसर गया।
चार बच्चों से सिर से मां का भी उठा साया
शिवगढ निवासी स्व। श्यामलाल के चार बेटों से तीसरे नंबर के बेटे दिनेश कुमार अग्रहरि की तीन साल पहले आकस्मिक मौत हो गयी थी। अभी उस दु:ख से परिवार उभर ही रहा था कि एक बड़ा हादसा हो गया। हादसे में उसकी पत्नी कविता की भी मौत हो गयी। दोनों के पांच बच्चे हैं। अब उनके सिर से मां का भी सहारा उठ गया। अब इन बच्चों का क्या होगा। हादसे की शिकार हुई कविता के चार संताने गुडिय़ा 12 वर्ष, सायली 14 12 वर्ष, काजल 10 12 वर्ष, और एक बेटा शेष अग्रहरि आठ वर्ष का है। गांव में एक ही चर्चा हो रही है कि अब इन बच्चों की देखरेख कौन करेगा।
ओवरस्पीड हादसों का कारण बन सकता है.नींद में गाड़ी चलाना भी नियमों का उल्लंघन है। इस तरह के हादसों से अन्य चालकों को सबक लेना चाहिए। वाहन चलाते समय हर हाल में सीट बेल्ट का प्रयोग करें।
- राजीव चतुर्वेदी, एआरटीओ प्रशासन