युवाओं की जिंदगी पी रहा नशा
प्रयागराज ब्यूरो । शराब और सिगरेट के साथ अब युवाओं में स्मैक और गांजा की लत तेजी से बढ़ रही है। तनाव भरे जीवन से निजात पाने के लिए वह जहररूपी इस नशे की चपेट में आ रहे हैं। सच्चाई तब सामने आती है जब नशे की लत को पूरा करने के लिए वह अपराध करने पर आमादा हो जाते हैं। जानकारी होने पर परिजन नशा मुक्ति केंद्रों का चक्कर काटने लगते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि शुरुआत में ही काबू कर लिया जाए तो नशे से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है।
हर महीने 60 से 7्र0 नए मरीज
युवाओं में नशे का चलन किस तेजी से बढ ऱहा है, यह बताने की जरूरत नही है। काल्विन अस्पताल में खुले मनोरोग चिकित्सा केंद्र में हर महीने स्मैक के 60 से 70 मरीज आ रहे हैं। जबकि गांजा के मरीजों की संख्या सौ का आंकड़ा पार कर रही है। इसके अलावा शराब के 150, और तंबाकू की लत के शिकार मरीजों की संख्या 300 का आंकड़ा पार कर रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि अधिकतर मरीज 15 से 35 साल के बीच के होते हैं।
क्या कहती है केस स्टडी
मनोरोग चिकित्सा केंद्र में जब इन मरीजों से बात की गई तो इसके पीछे कई बिंदु निकलकर आए। सबसे कॉमन रीजन यह सामने आया कि सबसे पहले संगत में आकर इन्होंने नशे का यूज किया। जिन लोगों ने नशा कराया, उन्होंने शुरुआत में तीन से चार बार पैसा नही लिया। इसके बाद फिर स्मैक और गांजा पैसा देकर खरीदना पड़ा। पैसा नही होने पर घर पर या मार्केट में नशेडिय़ों को चोरी भी करनी पड़ी।
इन्होंने दी नशे को मात
केस वन- सिविल लाइंस के एक बड़े कांवेंट स्कूल के 16 वर्षीय छात्र के माता-पिता उसे मनोरोग चिकित्सा केंद्र में लेकर आए। बताया कि उसे स्मैक की लत है। डॉक्टरों ने काउंसिलिंग करने के बाद उसका इलाज शुरू किया। 5 माह में उसकी लत छूट गई। अब वह छात्र दूसरों को जागरुक कर रहा है। उसने अपने आधा दर्जन दोस्तों को भी इस लत से छुटकारा दिलाया है।
केस टू- नैनी का रहने वाली बीटेक के छात्र को गांजा की लत लग गई थी। वह मौका पाते ही गांजा पी लेता था। जब पैरेंट्स को इस बारे में पता चला तो उन्होंने उसको केंद्र में दिखाया। पूछताछ में पता चला कि उसे लगता है कि उसके परिवार की जान खतरे में है इसलिए वह यह नशा करने लगा। छह माह में उसे लत से छुटकारा दिलाया जा सका। अब वह पूरी तरह से नशा मुक्त है।
केस थ्री- बीएससी में पढऩे वाली एक छात्रा प्रयागराज में हास्टल में रहती है। पैरेंट्स को जानकारी मिली कि वह सिगरेट और शराब दोनों की आदी हो चुकी है। माता-पिता ने जब डॉक्टर को जानकारी तो उन्होंने इलाज शुरू किया। शराब की लत छुड़वाने में सात माह का समय लग गया। इसके लिए छात्रा को मेडिसिन भी देनी पड़ी।
- बार बार पैसे की मांग करना और नही देने पर लड़ाई करना।
- बात बात पर उग्र हो जाना और अकेले में बक बक करना।
- खाने पर अचानक टूट पडऩा और अजीब सी हरकत करना।
- हमेशा अकेले में रहना और परिवार में मेल मिलाप और कर होते जाना।
- घर से अधिक देर तक गायब रहना और अच्छी संगत का न होना।
कैसे मिलेगा नशे से निजात
- नशा मुक्ति केंद्र के डॉक्टर से संपर्क करें।
- व्यक्ति को अकेला मत छोड़ें और उसके साथ बने रहें।
- नशे की बात करने पर उसका विरोध करें, अनावश्यक पैसा मत दें।
- सीवियर नशा है तो अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज कराएं।
- नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं और जबरन गुस्सा न करें।
बढ़ती जा रही नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या
प्रयागराज मे नशेडिय़ों की बढ़ती संख्या की वजह से नशा मुक्ति केंद्रोंं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। आज स दस साल पहले जहां शहर में बमुश्किल एक दर्जन केंद्र थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर सौ के आसपास हो गई है। गली कूचे में ऐसे सेंटर मिल जाएंगे और सबसे अहम कि इनके पास मरीज भी मौजूद हैं। केंद्र संचालकों की माने तो स्मैक और गांजा की लत छुड़ाना आसान नही होता है।
लगातार नशे की लत के मामले बढ़ रहे हैं। गांजा और स्मैक के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है। कारण साफ है। यह लोगों को आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। स्मैक और शराब के सीवियर मरीजों का तो महीनों इलाज चलता है। उन्हें दवाएं देनी पड़ती है। क्योंकि स्मैक जैसे नशे को अचानक छुड़ा दिया जाए तो मरीज की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक
हमारे केंद्रों पर मरीजों को काउंसिलिंग कराई जा रही है। जरूरत पडऩे पर इलाज भी कराया जा रहा है। लोगों को नशे से दूर रखने के लिए प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है। पैरेंट््स को जागरुक किया जा रहा है।
डॉ। राजेश सिंह, नोडल, एनसीडी सेल